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देश में परिवर्तन लाने व नए युग का सूत्रपात करेगी राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 : बंडारू दत्तात्रेय

ब्यूरो चीफ – डा. संजीव कुमारी।

राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने राष्ट्रीय सम्मेलन 2025 का किया शुभारंभ।
उत्तर भारत के विश्वविद्यालयों के कुलपति व प्रतिनिधि दो दिवसीय सम्मेलन में अच्छे शिक्षक का निर्माण करने पर करेंगे चर्चा।
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में एनसीटीई, एचएसएचईसी व कुवि के सहयोग से शुरू हुआ दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन।

कुरुक्षेत्र, 28 अप्रैल : हरियाणा के राज्यपाल एवं कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलाधिपति बंडारू दत्तात्रेय ने कहा कि देश में परिवर्तन लाने व नए युग का सूत्रपात करने में राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 का अहम् योगदान होगा। यह शिक्षा नीति देश में एक नई चेतना और क्रान्ति पैदा करेगी जिससे वर्ष 2047 तक भारत विकसित राष्ट्र बन सकेगा।
राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय सोमवार को कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के ऑडिटोरियम हॉल में नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन, हरियाणा स्टेट हायर एजुकेशन काउंसिल तथा कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में शिक्षक शिक्षा में परिवर्तन विकसित भारत 2047 की दिशा में’ विषय पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन 2025 में बतौर मुख्यातिथि बोल रहे थे। इससे पहले राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय, एनसीटीई के चैयरमेन प्रो. पंकज अरोड़ा, एचएसएचईसी के चैयरमेन प्रो. कैलाश चन्द्र शर्मा, कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा, एनसीटीई की सदस्य सचिव अभिलाषा झा मिश्रा ने दीप प्रज्ज्वलित किया व एनसीटीई के ध्येय गीत के साथ कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया।
राज्यपाल बंडारू दत्तोत्रय ने कहा कि शिक्षा राष्ट्र की आत्मा होती है। यदि हम 2047 तक एक आत्मनिर्भर, समृद्ध और वैश्विक नेतृत्व वाला भारत बनाना चाहते हैं, तो शिक्षा की गुणवत्ता और शिक्षकों की भूमिका सर्वाधिक महत्वपूर्ण होगी। आज गीता स्थली कुरुक्षेत्र की ऐतिहासिक धरती से शिक्षक शिक्षा में परिवर्तन के नए युग का सूत्रपात कर रहे हैं, जो विकसित भारत 2047 के सपने की ओर एक निर्णायक कदम है। उन्होंने कहा कि शिक्षक केवल ज्ञान का संचारक नहीं होता, वह चरित्र निर्माण का शिल्पकार भी होता है। शिक्षक के शब्द विद्यार्थी के भविष्य को आकार देते हैं, उसकी सोच को दिशा देते हैं, और उसमें नवाचार व सेवा की भावना का संचार करते हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के दूरदर्शी नेतृत्व में तैयार की गई नई शिक्षा नीति-2020 इसी दिशा में एक क्रांतिकारी पहल है। इस नीति का उद्देश्य शिक्षा को समावेशी, बहु-विषयी, गुणवत्तापूर्ण और वैश्विक मानकों के अनुरूप बनाना है।
राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने कहा कि शिक्षकों से अपील है कि शिक्षक एक ’डिजिटल ज्ञान बैंक’ बनकर विद्यार्थियों को तकनीकी नवाचारों से जोड़े और विकसित भारत-2047 के लक्ष्य को पूर्ण करने में अपना योगदान सुनिश्चित करें। उन्होंने कहा कि देश और समाज के भविष्य का निर्माण करने के लिए एक अच्छे शिक्षक की जरूरत है। एक अच्छे शिक्षक को तैयार करने के लिए राष्ट्रीय सम्मेलन अहम् भूमिका अदा करेगा।
एनसीटीई के चेयरपर्सन प्रो. पंकज अरोड़ा ने कहा कि देश को वर्ष 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने के उद्देश्य से ही एनसीटीई की तरफ से कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में तीसरा राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया गया है। इस सम्मेलन का विषय भी शिक्षक शिक्षा में परिवर्तन विकसित भारत 2047 की दिशा रखा गया है। इस राष्ट्रीय सम्मेलन में दो दिन शिक्षाविद् और विद्वानजन मिलकर शिक्षा और देश की भावी पीढ़ी विद्यार्थियों को शिक्षित और संस्कारित करने वाले एक अच्छे शिक्षक का निर्माण करने पर चर्चा की जाएगी। आज एनसीटीई परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है। आज उच्च गुणवत्ता वाले शिक्षक की निहायत जरूरत है।
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को पूरे भारत में पूर्णतर्या जल्द लागू किया जा रहा है। इसके लिए 7 हजार फीड बैक लिए गए हैं। इन सुझावों के आधार पर शिक्षा नीति में परिवर्तन किए जाएंगे। यह शिक्षा नीति तेजी से बदल रही दुनिया और एआई जैसे युग से मुकाबला करने में अहम् भूमिका अदा करेगी लेकिन इसके लिए एक अच्छे शिक्षक का निर्माण करना जरूरी है जो देश की समृद्धि और सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने के साथ-साथ आगे बढ़ा सके।
हरियाणा राज्य उच्च शिक्षा परिषद के अध्यक्ष प्रो. कैलाश चन्द्र शर्मा ने कहा कि एनईपी 2020 का उद्देश्य आत्मनिर्भर, तर्कसंगत ढंग से सोचने वाले, क्रिया करने वाले, करूणा एवं मानवता के साथ साहसी, रचनात्मकता एवं कल्पनाशीलता की जड़ों से युक्त युवा तैयार करना। इस उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए सभी स्तर की शिक्षण संस्थाओं में विद्यालय से लेकर उच्च शिक्षा तक क्रियान्वित करने के लिए सुझाव दिए गए हैं। शिक्षा का महत्वपूर्ण है भारत केन्द्रित शिक्षा में मनुष्य के निर्माण के लिए महत्वपूर्ण अंग शिक्षक कैसा हो, शिक्षक को विशेष प्रकार की आवश्यकताओं के अनुरूप आईटेप 4 वर्षीय प्रोग्राम में, शिक्षक बायचांस नहीं बायच्वाइस होता है। इसलिए 12वीं कक्षा के बाद विद्यार्थी अन्य स्ट्रीम की ओर जाने के लिए तय करता है।
उन्होंने कहा कि जिस दिन भारतवर्ष का प्रशासनिक अधिकारी शिक्षक की ओर आएगा उस दिन समझिए भारतवर्ष की शिक्षा उचित दिशा में जा रही है। समाज के प्रति दायित्व, करूणा, विनम्रता बिना व्यक्तित्व निर्माण नहीं हो सकता। इसलिए मानवीय मूल्यों का विकास होना चाहिए। व्यक्ति में भावनात्मक, करूणा दया संवेदना बौद्धिक विकास होना चाहिए इसे भारतवर्ष में अध्यात्म कहा गया है। शिक्षा में शिक्षकों के माध्यम से इन मानवीय विषयों का विकास होगा तभी भारतवर्ष का भाग्य बदलेगा।
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर सोमनाथ सचदेवा ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि भारत विश्व का सबसे युवा देश है 15 से 39 के बीच 37 करोड़ युवा है जो हमारी ताकत है। देश के शीर्ष नेतृत्व द्वारा दिए गए विजन 2047 को प्राप्त करने में विभिन्न आयाम साइंस, तकनीक, एग्रीकल्चर, इंडस्ट्री, सर्विस सेक्टर के मूल में शिक्षा है। पहली आदमी के पास काम नहीं, बेरोजगारी, काम के लिए आदमी नहीं मिल रहे स्किल की कमी, काम के लिए रखे हुए आदमी किसी काम के नहीं। संस्कारों की कमी, एनईपी में इन तीनों समस्याओं को समाधान दिया गया है। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय ने हरियाणा में ही नहीं बल्कि पूरे देश में एनईपी को अपने यूजी एवं पीजी प्रोग्राम्स में सभी प्रावधानों के साथ लागू किया है।
उन्होंने कहा कि केयू हरियाणा का एकमात्र सरकारी विश्वविद्यालय है जिसे नेक द्वारा ए प्लस प्लस ग्रेड प्रदान किया गया है। अनुसंधान नेशनल रिसर्च फंडिंग के तहत 1000 हजार करोड़ के रुपए फंड भारत सरकार द्वारा रिलिज किए गए हैं जो 7 हब इंस्ट्टियूशन में हरियाणा का एकमात्र कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय भी शामिल है जिसे हाल ही में एनआरएफ की 10 करोड़ रुपए की फंडिंग मिली है। शोध के क्षेत्र में इको सिस्टम को विकसित करते हुए 63 पैटेंट फाइल किए है 34 ग्रांट भी हो गए हैं। एनईपी के तहत 19 ऑनलाइन प्रोग्राम में 7 प्रोग्राम इंडस्ट्रियल रेवूल्येशन 4.0 के तहत साइबर सेक्यूरिटी, आर्टिफिशियल इंटेलिजैंस, मशीन लर्निंग, डाटा एनालॉटिक्स में 6000 विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं।
1100 विश्वविद्यालयों में माका ट्रॉफी का तीसरा स्थान है वहीं सांस्कृतिक गतिविधियों में केयू का सरकारी विश्वविद्यालय में प्रथम स्थान है तथा सभी विश्वविद्यालयों में तीसरा स्थान है। एनसीटीई की सदस्य सचिव अभिलाषा झा मिश्रा ने मेहमानों का आभार प्रकट किया। मंच का संचालन डॉ. संगीता सैनी ने किया। इस अवसर पर सभी अतिथियों ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के जनक पद्म विभूषण डॉ. कृष्णा स्वामी कस्तूरीरंगन को श्रद्धांजलि अर्पित की।
इस अवसर पर समस्कृत प्रमोशन फाउंडेशन के निदेशक प्रो. सीके सलूजा, कुलपति प्रो. सुदेश छिकारा, चंडीगढ़, दिल्ली, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, जम्मू कश्मीर तथा लद्दाख के विश्वविद्यालयों एवं संस्थान के कुलपति एवं निदेशकों सहित ने भाग लिया।

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