मध्य प्रदेश: रीवा इको पार्क झूला पुल निर्माण को लेकर प्रधानमंत्री सहित सौंपा गया देशव्यापी ज्ञापन… शिव सिंह

ब्यूरो चीफ/ राहुल कुशवाहा रीवा मध्य प्रदेश..8889284934

रीवा 13 नवंबर 2022… मोरबी गुजरात जैसे बड़े हादसों को रोकने रीवा इको पार्क झूला पुल के निर्माण कार्य पर तत्काल रोक लगाए जाने मध्य प्रदेश जनता दल सेक्युलर के प्रदेश अध्यक्ष शिव सिंह ने प्रधानमंत्री सहित महामहिम राज्यपाल मुख्यमंत्री विधानसभा अध्यक्ष नेता प्रतिपक्ष विपक्षी दलों में कांग्रेस पार्टी समाजवादी पार्टी बसपा मार्क्सवादी आम आदमी पार्टी के प्रदेश अध्यक्षों सहित रीवा कमिश्नर कलेक्टर महापौर आयुक्त नगर पालिक निगम एवं समस्त पार्षद साथियों को ज्ञापन पत्र भेजकर बीहर नदी में बन रहे इको पार्क झूला पुल निर्माण पर रोक लगाए जाने की मांग के साथ सहयोग की अपील की है ज्ञापन के बिंदुओं को स्पष्ट करते हुए श्री सिंह ने कहा कि बीहर नदी के टापू पर इको पार्क एवं झूला पुल बनाए भाजपा सरकार के स्थानीय पूर्व मंत्री राजेंद्र शुक्ला द्वारा सन 2013 में 30 वर्ष के लिए यह प्रोजेक्ट लाया गया था जिसका भूमि पूजन भी सन 2013 में किया गया था प्रोजेक्ट की प्रारंभिक लागत लगभग 19 करोड़ रूपए थी जिसके लिए राजस्व एवं वन भूमि सहित निजी स्वत्व की भूमि मिलाकर कुल 5.783 हेक्टेयर रकवा अधिग्रहित किया गया था उक्त प्रोजेक्ट को 3 विभागों ने वन विभाग नगर निगम तथा इको पार्क टूरिज्म बोर्ड ने मिलकर तैयार किया था जिसको पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप पीपीपी मॉडल से इंदौर की रुचि रियल्टी होल्डिंग प्राइवेट लिमिटेड कंपनी द्वारा बनाया गया था जो चालू होने के पूर्व ही 19 अगस्त 2016 को शहर में आई बाढ़ से जमींदोज होकर बह गया था शायद गुजरात के मोरबी में मच्छु नदी पर बने चालू झूला पुल की तरह हादसा होता जहां सैकड़ों लोगों की जानें चली गई तो शायद गुजरात झूला पुल हादसे से ज्यादा नागरिक रीवा इको पार्क झूला पुल हादसे में मौत का शिकार हो गए होते इसके बाद भी स्थानीय पूर्व मंत्री एवं मध्य प्रदेश सरकार की आंखें नहीं खुल रही हैं वह विवादित इको पार्क प्रोजेक्ट को बार-बार चालू कराने में लगे हुए हैं जो बड़े हादसे को आमंत्रण है 19 अगस्त 2016 को शहर में आई बाढ़ से करोड़ों रुपए से निर्मित झूला पुल एवं इको पार्क प्रोजेक्ट के जमींदोज होकर बह जाने को लेकर सन 1997 की भीषण बाढ़ का जिक्र करते हुए जनता दल सेक्युलर ने 1 सितंबर 2016 को धरना प्रदर्शन उपरांत कमिश्नर रीवा के माध्यम से माननीय राज्यपाल महोदय एवं माननीय मुख्यमंत्री महोदय को ज्ञापन भेजकर निर्माण एजेंसी ठेकेदार इंजीनियर व अन्य दोषियों के विरुद्ध आपराधिक प्रकरण पंजीबद्ध कराने एवं ब्याज सहित लागत खर्च राशि वसूली के साथ-साथ निर्माण एजेंसी को ब्लैक लिस्टेड करने तथा भविष्य में ऐसे मौत के झूला पुल इको पार्क का निर्माण न कराया जाए की मांग की गई थी तब तमाम जांच पड़ताल एवं आगे आने वाले बाढ़ खतरों को देखते हुए तत्कालीन सरकार ने मार्च 2019 में उक्त प्रोजेक्ट को निरस्त कर दिया था इसके बाद भी पुराने हादसों को नजर अंदाज करते हुए पूर्व मंत्री की जिद से फिर उसी जगह रीवा बीहर नदी में इको पार्क प्रोजेक्ट के तहत मौत के झूला पुल का निर्माण कराया जा रहा है जिसका मैंने स्वयं जाकर निरीक्षण किया जहां पूर्व के पिलरों पर ही करोड़ों की लागत से गुणवत्ता विहीन सामग्री के साथ निर्माण कार्य चल रहा है जो बड़े हादसे को आमंत्रण है श्री सिंह ने कहा प्रधानमंत्री जी सहित मैं आप सभी को अवगत कराना चाहता हूं कि 1 सितंबर 1997 को रीवा जिला जब भीषण बाढ़ की चपेट में था उस समय बाढ़ की समीक्षा एवं बाढ़ के कारणों की जांच शासन स्तर पर कराई गई थी जिसमें बीहर बराज एवं बकिया बराज के गेट समय रहते न खोला जाना मुख्य कारण था तब उसी समय रीवा में बाढ़ रोकने और भी योजनाएं बनाई गई थी जिसमें बरसात के समय चौकसी तथा बीहर बिछिया नदी का गहरीकरण एवं चौड़ीकरण के साथ-साथ नदी क्षेत्र में जो भी निर्माण होंगे वह सभी सन 1997 कीबोर्ड त्रासदी की समीक्षा के बाद ही होंगे लेकिन 1997 के बाद इको पार्क झूला पुल सहित तमाम पुल पुलियों का जो भी निर्माण कार्य हुआ कहीं भी 1997 की त्रासदी का जिक्र नहीं किया गया पूर्व की फाइलों को काल कोठरी में बंद कर दफन कर दिया गया उसी का परिणाम है कि 19 अगस्त 2016 सहित कई बार जिले वासियों को बाढ़ त्रासदी का सामना करना पड़ा तथा तमाम जनधन की हानि हुई सन 1986 87 में बड़ी पुल यानी बिक्रमपुल का निर्माण तत्कालीन इंजीनियरों द्वारा रीवा किले की जमीन की ऊंचाई सीमा रेखा से कराया गया था और सन 1997 की बाढ़ का आकलन यहां के शासन प्रशासन एवं जनप्रतिनिधियों को था इसके बावजूद भी जब छोटी पुल का निर्माण कार्य कराया गया तब उसकी ऊंचाई बड़ी पुल से 5.41 मीटर कम कर दी गई साथ ही लंबाई भी कम कर दी गई जिसका परिणाम था कि सन 2016 की बाढ़ में छोटी पुल पूरी तरह से प्रभावित रही है इसी तरह करहिया एवं अजगरहा बाईपास पुल की लंबाई चौड़ाई ऊंचाई भी बड़ी पुल से काफी कम कर दी गई है जिससे बरसात के मौसम में पानी की ठेक लगने से पूरा रीवा शहर जलमग्न हो जाता है इन सब निर्माण कार्यों के बाद झूला पुल का निर्माण कराया गया था जो बड़ी पुल एवं छोटी पुल की ऊंचाई से काफी कम था जिसका परिणाम था कि झूला पुल शुरू होने के पहले ही जमींदोज होकर बह गया तथा जहां इको पार्क का निर्माण कार्य फिर से कराया जा रहा है वह टीला कई बार बाढ़ विभीषिका में पूरी तरह डूब चुका है ऐसे में शत प्रतिशत यह स्पष्ट है कि झूला पुल चालू होने से गुजरात जैसी बड़ी घटनाएं होने की पूर्ण संभावना है
इसलिए देश के प्रधानमंत्री सहित आप सभी से विनम्र आग्रह करता हूं कि ऐसे विनाशकारी विकास कार्यों पर रोक लगाए जाने में अपना सहयोग एवं समर्थन करें ताकि आगामी रीवा में संभावित बड़ी जनधन हानि को रोका जा सके

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