निरकारी सत्गुरु माता सुदीक्षा जी महाराज जिले के प्रथम आगमन तैयारिया जोरो पर
आजमगढ़, 24 अगस्त 2022 संत निरंकारी मिशन की प्रमुख सत्गुरु माता सुदीक्षा जी महाराज का दिव्य आगमन की पावन धरा पर प्रथम बार होने जा रहा है। इस सूचना से समस्त जिले के निवासी साथ साथ आसपास के सभी भक्त अति उत्साहित हैं क्योंकि जिस पल की प्रतीक्षा बरसों बरस से सभी भक्तों को थी वह पावन क्षण समीप ही हैं। इस दिव्य निरंकारी संत समागम का आयोजन 24 अगस्त, सायं 5 बजे से रात्रि 9 बजे तक, भदुली (हाइवे) रोड स्थित-खोजापुर के मैदान में किया जायेगा। इस संत समागम में आजमगढ़, फैजाबाद, अम्बेडकर, जौनपुर, मऊ, बलिया के अतिरिक्त आसपास के शहरों से भी सभी श्रद्धालुगण पहुँचेंगें।
आजमगढ़ में आयोजित होने वाले संत समागम की तैयारियां पूरे उत्साह से चल रही है जिसमें सभी श्रद्धालु एवं प्रभु प्रेमी अपनी सेवाओं का भरपूर योगदान दे रहे है। समागम से संबंधित संपूर्ण जानकारी देते हुए स्थानीय संयोजक श्री राजेन्द्र प्रसाद निषाद जी ने बताया कि सत्गुरू के आगमन की सूचना मिलने के उपरांत सभी निरंकारी भक्त और सेवादल के सदस्य मिलकर समागम परिसर की स्वच्छता हेतु दिन रात प्रयासरत है। हर कोई सत्गुरु माता जी के पावन दर्शन हेतु अभिलाषी है। सत्गुरु के आगमन की खुशी सभी संतों के चेहरों पर साफ झलक रही है।
सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज समूचे संसार में प्रेम, एकता, विश्व भाईचारे, शांति को अपनाने का संदेश दे रही हैं। संसार में फैली कुरीतिया वैर, ईर्ष्या, द्वेष, निंदा जैसे भावों का त्याग करके सभी के प्रति नम्रता, करूणा, मिलर्वतन जैसे दिव्य गुणों को अपनाकर जीवन जीये तभी वास्तविक रूप से सब ओर अमन और चैन का एक सुंदर वातावरण स्थापित होगा।
संत निरंकारी मिशन आध्यात्मिक उत्थान के साथ साथ समाज कल्याण की गतिविधियों में भी सम्मिलित रहता है। रक्तदान शिविर, स्वच्छता अभियान, निशुल्क चिकित्सा जांच शिविर, वृक्षारोपण, निशुल्क नेत्र जांच शिविर एवं प्राकृतिक आपदाओं में जरूरतमंदों की सहायता इत्यादि जैसी सेवाएं प्रमुख है। मिशन अपने योगदानों द्वारा मानसिक, शारिरिक स्वस्थता प्रदान करने के साथ साथ प्राकृतिक प्रदूषण से मुक्ति हेतु कई योजनाओं में प्रयासरत है।
आजमगढ़ के जोनल इंचार्ज श्री रामजीत राम भारती ने सभी श्रद्धालुओं, नागरिकों, बुद्धिजीवियों एवं प्रभु प्रेमियों से आग्रह किया कि इस दिव्य संत समागम में सम्मिलित होकर सत्गुरू के दिव्य दर्शनों एवं पावन प्रवचनों का श्रवण करके स्वयं को निहाल करें।