सरस्वती नदी की धारा को फिर से धरातल पर लाने के लिए 200 किलोमीटर लम्बे मार्ग पर नहीं कोई बाधा:धुम्मन।

सरस्वती नदी की धारा को फिर से धरातल पर लाने के लिए 200 किलोमीटर लम्बे मार्ग पर नहीं कोई बाधा:धुम्मन।

हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
दूरभाष – 94161- 91877

आदि ब्रदी में बनने वाले बांध और बेराज का डिजाईन होगा 31 मार्च तक तैयार।
1 माह में हरियाणा और हिमाचल के बीच एमओयू साईन।
बांध बनाने के लिए ओएनजीसी के पास भेजे मिट्टी के नमूने।
मुख्यमंत्री मनोहर लाल के प्रयास ला रहे है रंग।

पिहोवा 16 फरवरी :- हरियाणा सरस्वती धरोहर विकास बोर्ड के उपाध्यक्ष धुम्मन सिंह किरमिच ने कहा कि देश की सबसे प्राचीन एवं पवित्र सरस्वती नदी की जल धारा को धरातल पर लाने के लिए सरकार के सामने बहुत बड़ी चुनौती रही है। अब मुख्यमंत्री मनोहर लाल के प्रयासों से आदि बद्री में डैम और बेराज बनाने की तैयारियां पूरी होने जा रही है। इस स्थल पर डैम और बेराज का डिजाईन 31 मार्च 2021 तक तैयार कर लिया जाएगा। इतना ही नहीं 1 माह के अंदर हरियाणा और हिमाचल सरकार के बीच एमओयू पर भी हस्ताक्षर हो जाएंगे। इसके बाद यह परियोजना तेज गति के साथ आगे बढ़ेगी।
उपाध्यक्ष धुम्मन सिंह किरमिच मंगलवार को पिहोवा सरस्वती तीर्थ स्थल पर आयोजित 5 वें अंतरराष्ट्रीय सरस्वती महोत्सव के समापन अवसर पर बातचीत कर रहे थे। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल के प्रयासों से पवित्र नदी सरस्वती को धरातल पर लाने के लिए एक बहुत बड़ी परियोजना तैयार की गई है। इस परियोजना के तहत आदि बद्री में सरस्वती उदगम स्थल पर सबसे पहले बांध बनाया जाएगा और उसके नीचे सरस्वती बेराज का निर्माण किया जाएगा। इस बांध को सोमनदी के साथ जोड़ा जाएगा। इसके नीचे गांव रामपुर सहित 3 गांवों की बेकार पडी 400 एकड़ जमींन पर सरस्वती सरोवर का निर्माण किया जाएगा। उन्होंने बताया कि बांध और बेराज का डिजाईन 31 मार्च तक तैयार कर लिया जाएगा और इसकी मिट्टी के नमूनों को जांच के लिए ओएनजीसी की लैब में भेजा गया है। इसके साथ ही 3 गांवों की पंचायतों ने 400 एकड़ जमींन सरस्वती सरोवर के लिए प्रस्ताव सरकार के पक्ष में पारित कर दिया है और 17 फरवरी 2021 को काठगढ़ में बनने वाले बेराज का निरीक्षण करने के लिए जीओलोजी सर्वे आफ इंडिया की टीम पहुंच रही है।
उपाध्यक्ष ने कहा कि सर्वे के उपरांत अब यह तथ्य सामने आ चुके है कि सरस्वती नदी के बहाव के 200 किलोमीटर तक कोई भी बाधा नहीं रही है। जब भी कोई नदी बहती है तो वह सरकारी और निजी जमींन को नहीं देखती, इसलिए इस 200 किलोमीटर के मार्ग में यमुनानगर कुछ निजी जमींन आती है जिसका समाधान कर लिया गया है। इसका बेकायदा नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया गया है, इसको घग्गर नदी के साथ जोड़ा जाएगा। बोर्ड की तरफ से पिछले 3 सालों में 25 पुलों का निर्माण किया जा चुका है और सरस्वती नदी के तट पर 20 से ज्यादा तीर्थो पर भी काम किया गया है। इतना ही नहीं वर्ष 2017 से सरस्वती नदी में बरसात के सीजन में जल का प्रवाह किया जा रहा है और जिसके कारण नदी का प्रवाह नजर आने लगा है और इसके परिणाम भी मिलने लगे है।जहाँ किसानों की जमींन में भू-जलस्तर 5 से 7 फीट नीचे जाने लगा था अब बरसात के पानी को छोडने से टयूबलों के बोर नीचे जाने बंद हो चुके है। इससे स्पष्ट नजर आने लगा है कि डार्क जोन की समस्या निकट भविष्य में समाप्त हो जाएगी।

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