श्री मदभागवत गीता से बड़ा गुरु आधुनिक युग में कोई हो नहीं सकता : ब्रह्मचारी

हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
दूरभाष – 9416191877

धरती पर कोई ऐसा स्थान नहीं जो गीता से मुक्त हो : ब्रह्मचारी।

कुरुक्षेत्र,4 दिसम्बर : भगवान श्री कृष्ण के श्री मुख से उत्पन्न हुई पावन गीता से पूरे भारत वर्ष की भूमि उसके स्पर्श से ही धन्य हो गई है। कुरुक्षेत्र की भूमि तो पवित्र भूमि है जहां भगवान श्री कृष्ण ने पूरी सृष्टि को गीता के माध्यम से कर्म का संदेश दिया। जयराम संस्थाओं के परमाध्यक्ष ब्रह्मस्वरुप ब्रह्मचारी ने श्री जयराम गीता जयंती आयोजन कमेटी के सदस्यों से हर वर्ष की भांति इस वर्ष गीता जयंती महोत्सव के कार्यक्रमों की जानकारी लेने के उपरांत कहाकि विद्यापीठ के ट्रस्टियों, श्रद्धालुओं तथा सेवकों के लिए यह महान पर्व है जिसे कुरुक्षेत्र की भूमि पर पिछले चार दशक से अधिक समय से आयोजित किया जा रहा है।
जयराम संस्थाओं के मीडिया प्रभारी राजेश सिंगला ने बताया कि ब्रह्मस्वरुप ब्रह्मचारी ने अपने संदेश में कहा है कि विद्यापीठ का गीता के संदेश को विश्व भर के जन जन तक पहुंचाने का संकल्प निरंतर जारी रहना चाहिए। उन्होंने अपने संदेश में कहा है कि भारतीय अध्यात्मिक दर्शन के अनुसार हर जीव में आत्मा होती है परन्तु मनुष्य के मन की चंचलता अधिक है तो उसमें बुद्धि की प्रबलता है। बुद्धि की प्रेरणा से मन जहां भटकाता है वहीं उस पर विवेक से नियंत्रण भी पाया जा सकता है। ब्रह्मचारी ने कहाकि इसके लिये यह जरूरी है कि ध्यान और भक्ति के द्वारा अपने आत्म तत्व को पहचाना जाये। इस प्रक्रिया को ही अध्यात्मिक ज्ञान कहा जाता है। अध्यात्म का सीधा अर्थ आत्मा ही है पर जब वह हमारे कामकाज को प्रत्यक्ष प्रभावित करता है तब उसे अध्यात्म भी कहा जा सकता है। ब्रह्मचारी ने कहा कि अपने कर्मयज्ञ का स्वामी अध्यात्म को बनाने के लिये यह जरूरी है कि उसके स्वरूप का समझा जाये। यह द्रव्य यज्ञ से नहीं वरन् ज्ञान यज्ञ से ही संभव है। उन्होंने कहा कि गीता के संदेश में ऐसी शक्ति है कि धरती पर कोई ऐसा स्थान नहीं जो गीता से मुक्त हो।
जयराम संस्थाओं के परमाध्यक्ष ब्रह्मस्वरुप ब्रह्मचारी।

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