उत्तराखंड: मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के सामने अब नई चुनौती।

उत्तराखंड: मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के सामने अब नई चुनौती।
प्रभारी संपादक उत्तराखंड
साग़र मलिक

देहरादून। भाजपा की त्रिवेंद्र सरकार में शामिल रहे दायित्वधारियों की छुट्टी कर दिए जाने के बाद नए कार्यकर्त्‍ताओं को दायित्व सौंपने के मामले में अब मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के सामने चुनौती बढ़ गई है। वजह ये कि तीरथ सरकार के फैसले के बाद उन पार्टी कार्यकर्त्‍ताओं की उम्मीदें कुलाचें भरने लगी हैं, जो पूर्व में दायित्व से वंचित रह गए थे। ऐसे में कार्यकर्त्‍ता नाराज न हों और नए सिरे से दायित्वों का वितरण भी कर दिया जाए, इसके लिए मुख्यमंत्री को खासी मशक्कत करनी पड़ेगी। कारण यह कि 10 माह बाद पार्टी को विधानसभा चुनाव में पार्टी को जनता की चौखट पर जाना है। ऐसे में दायित्व वितरण को लेकर कहीं कोई नाराजगी का भाव उभरा तो यह पार्टी के लिए नुकसानदेह भी साबित हो सकता है। सूरतेहाल, अब सभी की नजरें इस पर टिक गई हैं कि मुख्यमंत्री इसके लिए क्या फार्मूला निकालते हैं।
वर्ष 2017 में प्रचंड बहुमत हासिल कर भाजपा सत्तासीन हुई तो बड़ी संख्या में पार्टी कार्यकर्त्‍ताओं की नजरें सरकार में शामिल होने पर टिकी थीं। हालांकि, तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने दायित्वों के वितरण में काफी लंबा वक्त लगाया, मगर बाद वह लगभग 120 पार्टी नेताओं व कार्यकर्त्‍ताओं को विभिन्न प्राधिकरणों, निगमों व आयोगों में दायित्व सौंप दिए थे। हालांकि, तब कुछेक नियुक्तियों को किंतु-परंतु के सुर भी उभरे, मगर बात आई-गई हो गई। सरकार के चार साल पूरे होने से पहले ही सरकार में हुए नेतृत्व परिवर्तन के बाद नए मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने कमान संभाली तो दायित्वधारियों को हटाने अथवा बरकरार रखे जाने के संबंध में चर्चाओं का दौर भी प्रारंभ हो गया। अब सरकार ने संवैधानिक पदों को छोड़ अन्य सभी दायित्वधारियों की नियुक्तियां निरस्त कर दी हैं।

जाहिर है कि अब मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत को दायित्वों के वितरण के लिए नए सिरे से खासी मशक्कत करनी पड़ेगी। उन्हें दायित्व बांटने के मामले में राज्य की वित्तीय स्थिति को तो ध्यान में रखना ही होगा, आगामी विधानसभा चुनाव के हिसाब से भी कौशल दिखाना होगा। दरअसल, त्रिवेंद्र सरकार के कार्यकाल में कैबिनेट मंत्री का दर्जा प्राप्त दायित्वधारी को हर माह 45 हजार, राज्यमंत्री का दर्जा हासिल नेताओं को 40 हजार और अन्य दायित्वधारियों को 35 हजार रुपये का मानदेय नियत था। वाहन किराया, सह आवास भत्ता के रूप में 85 हजार रुपये की राशि दी जा रही थी। साफ है कि मंत्री स्तर के दायित्वधारियों पर हर माह 1.30 लाख और राज्यमंत्री स्तर व अन्य पर 1.25 से 1.20 लाख रुपये का प्रतिमाह खर्च आ रहा है।

यही नहीं, 10 माह बाद राज्य में विधानसभा चुनाव भी होने हैं। ऐसे में उन कार्यकर्त्‍ताओं की उम्मीदें परवान चढ़ने लगी हैं, जो पिछली सरकार में दायित्व पाने से वंचित रह गए थे। कुल मिलाकर इन मामलों में मुख्यमंत्री के कौशल की भी परीक्षा होनी है। उन्हें पिछली सरकार में दायित्वधारी रहे नेताओं को साधना है तो नए कार्यकर्त्‍ताओं को भी मौका देना है, ताकि कहीं किसी स्तर पर नाराजगी के सुर न उभरें। साथ ही राज्य की आर्थिक स्थिति का ख्याल रखना है।

Read Article

Share Post

VVNEWS वैशवारा

Leave a Reply

Please rate

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

मेंहनगर तहसील के ग्राम सभा पटना अहियाई में बच्चो ने खेल खेल में ढाई बीघा जलाया गेहूं कि फसल

Sun Apr 4 , 2021
मेंहनगर तहसील के ग्राम सभा पटना अहियाई में बच्चो ने खेल खेल में ढाई बीघा जलाया गेहूं कि फसलमेंहनगर तहसील के ग्राम सभा पटना अहियाई में बरवा सागर के बच्चों ने खेल खेल में पटना अहियाई के ओम प्रकाश पांडे का ढाई बीघा गेहूं की फसल को जलाकर खाक कर […]

You May Like

advertisement