अब भारतीय संस्कृति को अंग्रेजी माध्यम में भी आत्मसात कर सकेंगे विद्यार्थी : डॉ. रामेन्द्र सिंह

वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।

दो दिवसीय संस्कृति बोधमाला अनुवाद कार्यशाला का आयोजन।

कुरुक्षेत्र, 8 मई : विद्या भारती संस्कृति शिक्षा संस्थान में दो दिवसीय संस्कृति बोधमाला अनुवाद कार्यशाला का आयोजन किया गया। जानकारी देते हुए संस्थान के निदेशक डॉ. रामेन्द्र सिंह ने बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुसार विद्यार्थी अपने विषय तो पढेंगे ही, साथ ही भारतीय संस्कृति को कैसे समाहित करें इसकी मूलभूत जानकारी संस्कृति बोधमाला पुस्तकों में दी गई है। हिन्दी भाषा में तैयार की गई इन पुस्तकों का अंग्रेजी अनुवाद इस कार्यशाला में किया गया है।
इन पुस्तकों को पढ़कर अंग्रेजी माध्यम में पढ़ने वाले विद्यार्थी भी भारतीय संस्कृति की जानकारी आत्मसात कर सकेंगे। कक्षा 3 से 12 तक तैयार की गई ये पुस्तकें 8 विषयों पर आधारित हैं। हमारी भारत माता, हमारा भारत राष्ट्र, हमारी भारतीय संस्कृति, हमारी परिवार व्यवस्था, हमारी ज्ञान परम्परा, हमारी वैज्ञानिक परम्परा, हमारा गौरवशाली अतीत, हमारी संस्कृति का विश्व संचार विषयक सामग्री का अलग-अलग समूह बनाकर हिन्दी से अंग्रेजी भाषा में अनुवाद कार्य संपन्न हुआ। समापन उद्बोधन में संस्थान के सचिव वासुदेव प्रजापति ने कहा कि अनुवाद का कार्य अत्यंत गूढ़ है। प्रतिभागियों का उत्साहवर्द्धन करते हुए उन्होंने कहा कि अनुवाद कार्य में अपनी निरन्तरता बनाए रखें। जब भी ऐसा कोई अवसर मिले तो उसे अवश्य करें। इससे उनके विषय में और प्रगाढ़ता आएगी। शब्दों का अथाह भंडार है और सीखने की कोई सीमा नहीं है। ऐसे अवसरों पर नए-नए शब्दों का अनुवाद कार्य करने का अवसर तो अप-टू-डेट रहेंगे। ज्ञातव्य हो कि संपूर्ण भारत के विद्यार्थियों के लिए तैयार की गई ये पुस्तकें कुरुक्षेत्र केन्द्र से उपलब्ध होती हैं। हिन्दी और अंग्रेजी को मिलाकर इन पुस्तकों का 11 अन्य भाषाओं में भी प्रकाशन होता है। विद्या भारती संस्कृति शिक्षा संस्थान भारतीय संस्कृति के प्रचार-प्रसार हेतु अध्ययन-अध्यापन की सामग्री उपलब्ध कराता है। अनेक विषयों से युक्त 300 पुस्तकों की उपलब्धता के साथ संस्थान का साहित्य केन्द्र भी है जहां से साहित्य प्राप्त किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि संस्कृति का बोध कराने के लिए संस्थान द्वारा प्रत्येक वर्ष संस्कृति महोत्सव का आयोजन किया जाता है जिसमें अनेक विधाएं होती हैं। कार्यशाला में मंचासीन संस्कृति बोध परियोजना विषय संयोजक दुर्ग सिंह राजपुरोहित, कृष्ण कुमार भंडारी, अनिल कुलश्रेष्ठ भी रहे। इस अवसर पर दिल्ली से श्रीमती निधि सच्चर, श्रीमती अम्बिका सोनी, सुश्री अनुराधा अत्रि, श्रीमती ज्योत्सना आहूजा, पंजाब से विजय आनन्द, हरियाणा से श्रीमती नेहा गुप्ता, नरेन्द्र कौशिक, शैलेन्द्र शर्मा, सुश्री कंचन शर्मा, श्रीमती बबीता गोयल, संजय स्वामी, सुखवीर चन्द, श्रीमती मेघा, श्रीमती सोनम, श्रीमती सुनैना, श्रीमती सोनल मल्होत्रा ने कार्यशाला में प्रतिभागिता की।
दो दिवसीय संस्कृति बोधमाला अनुवाद कार्यशाला में भाग लेते प्रतिभागी।

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