कुवि की ललितकला विभाग की शिक्षिका डॉ. जया दरोंदे की कलाकृति चण्डीगढ़ की वार्षिक प्रदर्शनी में प्रदर्शित।
हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
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कुरुक्षेत्र, 05 मार्च :- चंण्डीगढ़ में 19 वीं वार्षिक एग्जिबीशन 03 मार्च 2021 को गवर्नमेंट म्यूजियम एवं आर्ट गैलरी में वार्षिक प्रदर्शनी फेमिनाइन फैबल्स व अवार्ड सेरेमनी वी-अ ग्रुप आफ इंडियन कंटेपरेरी वुमन आर्टिस्ट चंण्डीगढ़ की ओर से ग्रुप की अध्यक्ष साधना संगर द्वारा आयोजित किया गया।
इस अवसर पर इस आयोजन की सलाहकार व कार्यक्रम की मुख्य अतिथि लिपि पारसल एवं विशिष्ट अतिथि सीसीपीसीआर की चेयरपर्सन बीबी हरजिंदर कौर रही। प्रदर्शनी को ग्रुप की जर्मन कलाकार हिइडी सब्रा को समर्पित की गई। इस प्रर्दशनी को इंटरनेशनल वुमंस डे के मौके पर इसका आयोजन किया गया। इसमे देशभर की 65 आर्टिस्ट व 70 आर्ट वर्क विभिन्न विधाओं से डिसप्ले हुए। यह प्रर्दशनी को 3-7 मार्च तक चंण्डीगढ़ के गवर्नमेंट म्यूजियम एंव आर्ट गैलरी में प्रदर्शित की जाएगी।
इस आयोजन में ललित कला विभाग कुरुक्षेत्र की सहायक प्राध्यापिका डॉ. जया दरोंदे की कृति ‘बात उम्मीद की’ गैलरी में प्रदर्शित की गई। शोधार्थी ईशु जिंदल को उसकी कृति ‘सपना और बचपन’ के लिए को 3 मार्च को वी-अ ग्रुप की ओर से चंण्डीगढ़ में प्रथम पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
इस मौके पर ललित कला विभाग के विभागध्यक्ष डॉ. पवन कुमार एवं प्रो. राम विरंजन और कला विभाग के सभी अध्यापकां ने जया दरोंदे व ईशु जिंदल को बधाई देते हुए कहा कि कला में प्रसार के लिए यह महत्वपूर्ण योगदान है।
कृति ‘बात उम्मीद की’ का वर्णन।
आर्टिस्ट डॉ. जया दरोंदे ने बताया कि यह कृति एक्रेलिक माध्यम में तैयार की गई। इस कृति को लॉकडाउन मे तैयार किया गया था। इसमें वह सभी बातें हैं जो लॉकडाउन के दौरान हमें देखने को मिली। इस कृति में दीप जलाएं, कुछ मास्क दर्शाए गए और अंत में उम्मीद की किरण को दर्शाया गया है कि फिर से सब कुछ ठीक होगा।
कृति ‘बचपन की यांदे’ का वर्णन।
शोधार्थी ईशु जिन्दल अपनी कृति में बताया कि इस आर्टवर्क को एचिंग एंड एक्वाटिंत में बनाया और उन्होंने बचपन की यादों को दर्शाया है जिसे तीन पैनल द्वारा बनाया गया। इसमे पहले चरण में खिलौने दूसरे चरण में जीव जंतु व तीसरे में फूलो को बनाया गया। जो हमें बचपन की याद से बंधे रहने के लिए बाध्य करवाती है।