बिहार: अति कुपोषित बच्चों के लिये वरदान साबित हो रहा पोषण पुनर्वास केंद्र

अति कुपोषित बच्चों के लिये वरदान साबित हो रहा पोषण पुनर्वास केंद्र

-बच्चों के बेहतर पोषण, समुचित देखभाल के साथ केंद्र में उपलब्ध है सभी जरूरी सेवाएं
-भोजन व आवास के साथ बच्चे की मां को श्रम क्षतिपूर्ति राशि के भुगतान का प्रावधान

अररिया

कुपोषण छोटे उम्र के बच्चों के मौत की बड़ी वजह है। आंकड़े बताते हैं कि जिले में 06 से 23 माह के महज 12.8 फीसदी बच्चों को ही उम्र के हिसाब से पर्याप्त पोषणयुक्त भोजन उपलब्ध हो पाता है। कम उम्र में शादी, आज्ञनता, उच्च प्रजनन दर बच्चों के कुपोषित होने की बड़ी वजह है। नीति आयोग के आकांक्षी जिलों में शुमार अररिया में में कुपोषण के मामलों पर प्रभावी नियंत्रण को लेकर विभिन्न स्तरों पर जरूरी प्रयास किये जा रहे हैं। इसी कड़ी में सदर अस्पताल परिसर स्थित पोषण पुनर्वास केंद्र जिले के अति कुपोषित बच्चों को जीवनदान देने में मददगार साबित हो रहा है।

बच्चे को केंद्र में भर्ती करने से पहले रखा जाता है कई मानकों का ध्यान :

बच्चों को केंद्र में भर्ती करने से पहले कई मानकों का ध्यान रखा जाता है। केंद्र में फूड डेमोंसट्रेटर पद पर कार्यरत इंद्राणु भारती बताती हैं कि पांच साल तक के बच्चों के बांह की मोटाई, स्वास्थ्य संबंधी जटिलता सहित कुछ गंभीर लक्षणों के आधार पर बच्चों को केंद्र में दाखिला लिया जाता है। लगातार डायरिया, बुखार व डिहाइड्रेशन जैसी समस्या की वजह से कमजोर बच्चों को केंद्र में भर्ती किया जाता है। उम्र के हिसाब से लंबाई, ऊंचाई व वजन नहीं होने पर भी बच्चे केंद्र में दाखिल किये जाते हैं।

सघन जांच के बाद होता है बच्चों के डाइट का निर्धारण :

केंद्र में दाखिल होन के बाद बच्चों के भूख का परीक्षण होता है। फिर इसके आधार पर बच्चों के डाइट का निर्धारण होता है। निर्धारित प्रक्रिया व तय मानकों के आधार पर बच्चों के लिये विशेष डाइट तैयार किया जाता है। जिसे एफ-75 व एफ-100 के नाम से जाना जाता है। वस्तुत: जो एक फार्मूला मिल्क होता है। इसमें सभी जरूरी पोषक तत्व व निर्धारित मात्रा में कैलोरी मौजूद होता है। पर्याप्त पोषाहार, जरूरी मेडिकल सप्लीमेंट व उचित सलाह व परामर्श से बच्चों की सेहत में तेजी से सुधार परिलक्षित होने लगता है। गंभीर से गंभीर मामलों में भी कम से कम 14 व अधिक से अधिक 21 दिनों के अंदर बच्चों की सेहत में अप्रत्याशित रूप से बदलाव परलक्षित होने लगता है।

ग्यारह दिनों में बच्चे की सेहत में हुआ बहुत सुधार –

पोषण पुनर्वास केंद्र में ग्यारह दिन पूर्व अपने छह माह के बच्चे को लेकर पहुंची गुलबसा खातून ने बताया पहले उसका बच्चा काफी कमजोर था। हमेशा दस्त व खांसी की समस्या लगी रहती थी। इस कारण बच्चा काफी कमजार हो चुका था। ग्यारह दिनों बाद बच्चे की सेहत में बहुत सुधार दिख रहा है। अब काफी स्वस्थ्य हो चुका है। एक दो दिनों में हम अमने घर लौट जायेंगे।

केंद्र में दाखिल बच्चे की मां को मिलती है विभिन्न सुविधाएं :

केंद्र की फूड डेमोंस्ट्रेटर इंद्राणु भारती ने बताया कि केंद्र में दाखिल बच्चों के रहने व खाने का नि:शुल्क इंतजाम है। रोजमर्रा इस्तेमाल में आने वाली सामग्री साबुन, तेल, सर्फ सहित अन्य सामग्री नि:शुल्क उपलब्ध कराया जाता है। इतना ही नहीं श्रम क्षतिपूर्ति के रूप में बच्चे की मां को सरकार द्वारा प्रति दिन के हिसाब से 257 रुपये का भुगतान किया जाता है। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा संचालित इस महत्वपूर्ण सेवा के प्रति अभी भी क्षेत्र के लोगों में जागरूकता की कमी है। उन्होंने कहा कि कुपोषण से जुड़े बच्चों की मौत के मामलों में कमी लाने में यह केंद्र महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

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