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कामधेनु आरोग्य संस्थान में नवनिर्मित कामधेनु मंदिर के अवलोकन व मासिक हवन का आयोजन

हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक दूरभाष – 94161 91877

नूँह/तावड़ू. 07 दिसंबर :
नूंह जिले में तावडू उपमंडल के गाँव बिस्सर-अकबरपुर में कामधेनु आरोग्य संस्थान प्रबंधन समिति द्वारा 07 दिसंबर 2025 को कामधेनु मंदिर के अवलोकन और मासिक हवन का आयोजन किया गया। इस दिव्य कार्यक्रम में बतौर मुख्य विशिष्ट अतिथि कामधेनु मंदिर में अपना तन मन धन से सेवा देने वाले सभी महानुभाव और गोभक्त रहे। आशीर्वचन हेतु आचार्य शिव कुमार अत्रि, मनुआ बाबा आश्रम, वृन्दावन की कार्यक्रम में उपस्थिति रही। आज सुभाष गुप्ता, चार्टर्ड अकाउंटेंट, के जन्म दिन के उपलक्ष्य में कामधेनु गोधाम में प्रातः वेला में रुद्राभिषेक का भी आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारम्भ सभी विशिष्ट और अन्य महानुभावों द्वारा दीप प्रज्ज्वलन करके किया गया।
सर्वप्रथम आदर्श गर्ग ने हवन का शुभारम्भ किया। हवन प्रथा के अनुसार दिसंबर माह मे जन्मदिन, पुण्यतिथि एवं शादी की वर्ष गांठ इत्यादि पर अग्नि देव को आहुति अर्पित की गई।
उसके उपरांत संस्थान के महामंत्री प्रियंक गुप्ता ने कार्यक्रम को प्रारंभ करते हुए बताया कि नवंबर 2025 में संसथान में आयोजित भागवत कथा और दिव्य कामधेनु मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के बाद होने वाला प्रथम आयोजन है और इन दिव्य कार्यक्रमों में शामिल हुए सभी भक्तो के क्षण भावुक रहे हैं। कामधेनु मंदिर में दिव्य विग्रहों की प्राणप्रतिष्ठा के बाद कामधेनु मंदिर प्रबंधन समिति का पुनर्गठन किया और सर्वसम्मति से महेन्द्र गोयल को अध्यक्ष और मदन लाल जिंदल को सह-अध्यक्ष नियुक्त किया गया।
इस अवसर पर आचार्य शिव कुमार अत्रि का स्वागत सुनील जिंदल और डॉक्टर एस. पी. गुप्ता ने किया। श्रीमती आशा विष्णु भगवान का श्रीमती शशि गुप्ता और आचार्य मनीष शर्मा ने, महेन्द्र गोयल का रुचिर गुप्ता और शशि गुप्ता ने, मदन लाल जिंदल का दिनेश गुप्ता और मधु गुप्ता ने, एस.के अग्रवाल, चार्टर्ड अकाउंटेंट का ब्रह्मदत्त और पवन कुमार ने, सुभाष गुप्ता, चार्टर्ड अकाउंटेंट का शशि गुप्ता और डॉ. एस के गुप्ता ने, श्रीमती इन्दु गुप्ता का महावीर वोहरा और पवन जादू ने, नरेश गुप्ता का सुनील जांगड़ा और ओम प्रकाश ने और डॉक्टर एस के गुप्ता और शशि गुप्ता का विशेष स्वागत ब्रह्मदत्त ने किया। सभी महानुभावों को पटका पहना कर, संस्थान में निर्मित च्यवनप्राश एवं तुलसी पौधा गोबर गमले सहित भेंट करते हुए सम्मान किया गया।
सर्वप्रथम कामधेनु आरोग्य संस्थान के संस्थापक डॉ. एस.पी.गुप्ता ने अपने संबोधन में कहा कि 2 वर्ष पहले कामधेनु मंदिर निर्माण का संकल्प हुआ था और पिछले महीने इसकी प्राण-प्रतिष्ठा परम पूज्य श्री गोविन्द देव गिरी जी के सान्निध्य में हुई। उन्होंने अपने सम्बोधन में बताया कि मंदिर में मूर्तियां नहीं बल्कि साक्षात् भगवान विराजमान है, और यहीं पर कामधेनु और कल्पवृक्ष भी विद्यमान है। इन सभी दिव्य कार्यक्रमों में जिन-जिन गोभक्तों ने तन, मन, धन से सहयोग दिया उन सबको धन्यवाद देने के लिए उनके पास शब्द नहीं है क्योंकि सभी ने अपनी सामर्थ्य से अधिक सहयोग किया है। उन्होंने सभी गोभक्तों के सर्वांगीण सहयोग के लिए बार-बार नाम लेकर उनका धन्यवाद किया। एस.के अग्रवाल ने जिस प्रकार मंदिर के लिए विग्रह प्राप्ति का संघर्ष किया उसकी भी प्रशंसा की। उन्होंने कार्यक्रम में उपस्थित आशा विष्णु भगवान, महेन्द्र गोयल, मदन लाल जिंदल, सुभाष गुप्ता, एस के अग्रवाल, अजय पोद्दार, श्याम सुन्दर गुप्ता, उषा गर्ग, नरेश गुप्ता, ब्रह्मदत्त के सहयोग की संक्षेप में चर्चा की। डॉ. गुप्ता ने कहा कि उनको नहीं पता था कि चार्टर्ड अकाउंटेंट इतने कर्मठ हो सकते हैं।
आशा विष्णु भगवान ने डॉ एस.पी गुप्ता और शशि गुप्ता के अथक प्रयासों और उनकी तपस्या की सराहना की और सभी को निवेदन किया कि यहाँ मंदिर में आने के लिए प्रेरणा दे और उन्हें यहाँ आने के लिए प्रेरित करें।
एस.के अग्रवाल ने डॉ. एस.पी गुप्ता जी और शशि गुप्ता का धन्यवाद किया जिन्होंने उन्हें आने के लिए करीब 10 वर्ष पूर्व आमंत्रित किया था। यहाँ आकर और यहाँ की दिव्यता देखकर वो अभीभूत है। उन्होंने बताया कि विग्रहों की सेवा ईश्वर कृपा से ही संभव है। मंदिर प्राण प्रतिष्ठा से पहले किस तरह से श्री राम दरबार के सिंहासन की दिशा बदली गई उसकी भी उन्होंने चर्चा की ।
मदन लाल जिंदल ने अपने वक्तव्य का प्रारम्भ हरे कृष्ण महामंत्र से किया। उन्होंने एक भजन “जरा इतना बता दे कान्हा, तेरा रंग काला क्यों” सुनाकर सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया ।
उषा गर्ग ने बताया कि मानसिक रूप से तो सदा यहाँ रही ही है लेकिन पिछले 7 वर्षों से उन्होंने यहाँ के सभी कार्यक्रमों में भाग लिया है और अपनी यथा शक्ति सहयोग करने की कोशिश की है। उन्होंने डॉक्टर एस पी गुप्ता और शशि गुप्ता के दीर्घायु और स्वस्थ जीवन के लिए भी प्रार्थना की।
महेन्द्र गोयल ने मंदिर के निर्माण, इसकी लागत इत्यादि की जानकारी संक्षेप में दी। उन्होंने बताया कि मंदिर में हर मंगलवार सुंदरकाण्ड का पारायण होगा। उन्होंने बताया गोधाम स्वर्ग है और यहाँ आकर उन्हें परम संतुष्टि की अनुभूति होती है।
सुभाष गुप्ता ने अपने 69वें जन्मदिन के उपलक्ष्य में सभी विशिष्ट अतिथियों को शाल भेंट की। उन्होंने गुप्ता जी को उनका जन्मदिन अविस्मरणीय बनाने के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने गोधाम में स्वास्थ्य सेवा, गौ-सेवा और मंदिर निर्माण को लेकर अपनी हार्दिक प्रसन्नता व्यक्त की। आचार्य शिव कुमार अत्रि जी ने अपने सम्बोधन का आरंभ गोमाता की जय, सनातन धर्म की जय, हिन्दू राष्ट्र की जय के साथ किया। उन्होंने बताया कि यहाँ पर उनका पहली बार आना हुआ है। उन्होंने बताया कि जिस प्रकार गाय अपने बछड़े के मल को चाटकर साफ़ कर देती है उसी प्रकार भगवान हमारे हृदय के सभी मलों को नष्ट कर देते है। गौ-माता की सेवा का सौभाग्य पुण्य आत्माओं को ही प्राप्त होता है । हम आज के समाज में कुत्तों को तो पालना चाहते है, उनको घुमाने ले जाते है पर गोमाता की उपेक्षा करते हैं। भोपाल गैस काण्ड में एक परिवार के सभी लोग जीवित रह गए । उसका कारण था कि उस घर की दीवारों पर गाय का गोबर लीपा हुआ था। जिस घर में कुत्ता रहता है उस घर में देवता जल तक ग्रहण नहीं करते । लेकिन जिस घर में गाय रहती है उस घर में देवताओं का नित्य वास रहता है। बहुत पैसा कमाना जीवन की सार्थकता नहीं है। बल्कि जीवन को सही दिशा में ले जाना आवश्यक है। गोसेवा से पितृ प्रसन्न होते है । यहाँ अधिकतर लोग 60 वर्ष से अधिक आयु के है और युवा कम है । संस्थान की सतत उन्नति के लिए युवा शक्ति को जोड़ना अति आवश्यक है । लोगों में गोसेवा की भावना मनसा, वचसा, कर्मणा आनी चाहिए । महर्षि वसिष्ठ जी की गोशाला में सेवा करने के उपरान्त ही महाराज दशरथ जी भगवान श्री राम, लक्ष्मण, भारत और शत्रुघ्न जैसे चार सुपुत्रों की प्राप्ति हुई। आनंद मन का विषय है। किसी को पशुओं के माँस खाने में आनंद आता है। किसी को भगवान की सेवा में आनंद आता है। कामधेनु में जाग्रत विग्रह है। नूँह क्षेत्र में, जहाँ कांवड़ियों पर आक्रमण हुआ था, इतना बड़ा दिव्य और भव्य कार्यक्रम संचालित करना अति प्रशंसनीय है। समापन सत्र में संस्थान की अध्यक्षा और साहित्यकार श्रीमती शशि गुप्ता ने कहा कि जब भगवान प्रसन्न होते है तो हमें संतों के दर्शन होते है। संतों के सान्निध्य से ना केवल समस्याओं का समाधान होता है बल्कि जीवन सरल हो जाता है। तदुपरांत सभी ने गोमाता को सवामणि अर्पित की तथा महाप्रसाद ग्रहण किया।

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