जिला संवाददाता प्रशांत कुमार त्रिवेदी
कन्नौज / 26 जनवरी 1950 को संविधान लागू होने के समय से ही लगातार ओ बी सी के साथ धोखाधड़ी की जा रही है । कोविड-19 मामारी के समय दुनिया के प्रात्येक व्यक्ति को एहसास हो गया है ,कि डॉक्टर्स की कितनी ज्यादा आवश्यकता है l जबकि भारत में जनसंख्या के अनुपात में डॉक्टर्स की बहुत ज्यादा कमी है l इसलिए महामारी से लड़ने व बचने के लिए डॉक्टर्स की संख्या वढ़ाने के लिए अभियान चलाया जाना चाहिए l भारत की सम्पूर्ण आबादी का लगभग 70 करोड लोग पिछड़ा वर्ग है l जिन्हें हेल्थ सिस्टम में आने से रोकने के लिए तमाम तरह के पढ़यंत्र लगातार शासक वर्ग द्वारा किये जा रहे हैं । सन 1931 की जनगणना के अनुसार ओबीसी 52 % है l जिन्हें क्रीमीलेयर लगाकर 27% प्रतिनिधित्व के लिए आरक्षण के रूप में सेफ गार्ड दिया गया l जबकि पूरा 52 % दिया जाना चाहिये lउसमें भी क्रीमी लेयर लगाया गया जो कि संविधान अनुच्छेद 340 की मूलभावना के विरोध में है । 12 सितम्बर , 2001 को मेडिकल प्रवेश के लिए होने वाली NEET परीक्षा में पिछड़ा वर्ग को केंद्रीय आरक्षण की 15 % राज्य मेडिकल की सीटों में आरक्षण को जीरो कर दिया गया है l ओबीसी के साथ धोखाधड़ी है । कांग्रेस सरकार ने सन 2010 में NEET की शुरुवात की । शासक वर्ग द्वारा NEET को क्यों लाया गया l स्टेट बोर्ड के अंतर्गत स्थानीय भाषा में पढ़ने वाले छात्रों को डॉक्टर बनने से रोकने के लिए NEET सिस्टम को लाया गया l राज्यों का सिलेबस क्षेत्रीय भाषा में सरकारी स्कूलों में पढ़ाया जाता है । जहाँ ओबीसी , एससी . एसटी वर्ग के गरीब घरों के छात्र पढ़ते हैं । इस मौके पर राष्ट्रीय किसान मोर्चा जिला अध्यक्ष रूपलाल वर्मा, रोहित कुमार, राजीव कुमार, साधना सिंह, नीतू सिंह, कैलाश चंद्र कुशवाहा, आदित्य कुमार दिनेश सिंह यादव, सहित एक दर्जन से अधिक लोगों ने राष्ट्रपति से संबंधित ज्ञापन जिला अधिकारी को दिया l