फिरोजपुर {कैलाश शर्मा जिला विशेष संवाददाता}=
रेलवे रामा नाटक क्लब डबल स्टोरी की ओर से बस्ती टैंका वाली में चल रही रामलीला के दौरान छठी नाइट में राम बनवास के दृश्य दिखाए गए जिसके अंतर्गत पहले दृश्य में राजा दशरथ का दरबार दिखाया जाता है और वह अपने मंत्रिमंडल से मशवरा करते हैं की माप बड़ी अवस्था में आ गया हूं तो अयोध्या का अगला राजा किसे बनाया जाए राजा दशरथ के गुरु वशिष्ठ सहित पूरा मंत्रिमंडल फैसला करता की राम से बेहतर अयोध्या का राज संभालने वाला और कोई नहीं है तो राजा दशरथ सभी के विचारों से सहमत होकर रामचंद्र जी को अयोध्या का राजा बनाने के लिए सहमत होते हैं और नगर में घोषणा करवा देते हैं की सुबह रामचंद्र का राज तिलक होगा।
जब यह बात रानी केकेई की दासी मंथरा के कानों में पड़ती है तो मैं दौड़ी- रानी केकेई के पास आती है रानी के कान भर्ती है की महाराज कल सुबह रामचंद्र को राजतिलक देने वाले हैं और वह रानी केकई को अपनी बातों में उलझा कर राजा दशरथ के द्वारा दिए हुए दो वर मांगने को कहती है उन दो वरो में रानी कैकई के बेटे भरत को राजतिलक और रामचंद्र को 14 वर्ष का वनवास रानी केकई अपनी दासी मंथरा की बातों में आ जाती है और अपने महल में अंधेरा कर लेती है जब शाम ढलते राजा दशरथ रानी कैकई के महल में जाते हैं तो वहां अंधेरा देखकर वह हैरान हो जाते हैं और इसका कारण रानी के केकई से जानते हैं । रानी के केकई राजा दशरथ द्वारा दिए गए अपने दो वचनों को देने के लिए कहती है जिस राजा दशरथ परेशान हो जाते हैं वह रानी के कई को बहुत मानते हैं लेकिन रानी केकेई टस से मस नहीं होती वह अपनी जिद पर रहती है कि भारत को राजतिलक और रामचंद्र को 14 वर्ष का वनवास अंत राजा दशरथ को अपनी प्रिया रानी केकेई की बात माननी पड़ती है और वह रानी कैकई के महल में रामचंद्र को बुलवा भेजते हैं।
रामचंद्र अपने पिता राजा दशरथ के पास आते हैं तो राजा दशरथ रामचंद्र को 14 वर्ष वनवास का हुक्म सुनते हैं । जिसे रामचंद्र खुशी-खुशी स्वीकार कर लेते हैं अपने पिता और माता के केकेई से आग्य लेकर अपनी माता कौशल्या और सुमित्रा के पास ओटो में जाने की आज्ञा लेने जाते हैं । जहां पर कौशल्या और सुमित्रा भी हैरान हो जाती है परंतु वह रामचंद्र को रोक नहीं पाती रामचंद्र की धर्मपत्नी सीता भी साथ जाने की जिद करती है रामचंद्र उन्हें रोकते हैं पर वह भी अपनी हट्ठ को नहीं छोड़ती और साथ जाने की तैयारी करती है जब यह बात रामचंद्र के छोटे भाई लक्ष्मण को पता चलती है तो वह है आग बबूला हो उठता है और वह सभी को बुरा भला कहता है जिसे रामचंद्र जी उन्हें समझाते हैं और शांत करते हैं परंतु लक्ष्मण भी अपनी जिद करते हैं की बड़े भाई के होते हुए अयोध्या में रहना मेरे लिए दुश्वार है अंत में भी आपके साथ चलूंगा रामचंद्र लक्ष्मण की बात मानते हैं और लक्ष्मण को भी साथ लेकर माता कौशल्या और सुमित्रा से आज्ञा लेकर वनों की ओर प्रस्थान करते हैं । इस नाइट में कलाकारों द्वारा रामायण के सुंदर गीत गाकर श्रद्धालुओं को गमगीन माहौल में ले गए । इस नाइट में भगवान श्री रामचंद्र जी का रोल सीपी पाल, सीता का रोल युवराज, लक्ष्मण का रोल परवीन, राजा दशरथ का रोल रिशिपाल ,ककई का रोल नीलू, गुरु वशिष्ठ का रोल मास्टर ऐश
कौशल्या माता का रोल जसमीत निभाकर दर्शकों का मन मोह लिया।