गुरु पूर्णिमा पर जयराम विद्यापीठ में गुरुकुल परम्परा के अनुसार 60 विद्यार्थियों का हुआ जनेऊ संस्कार

वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।

जयराम विद्यापीठ में गुरुकुल परम्परा के अनुसार मनाया गुरु पूर्णिमा का पर्व।

कुरुक्षेत्र, 21 जुलाई : देशभर के विभिन्न राज्यों में संचालित श्री जयराम संस्थाओं के परमाध्यक्ष ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी की प्रेरणा से कुरुक्षेत्र के ब्रह्मसरोवर तट पर स्थित श्री जयराम विद्यापीठ में भी रविवार को अन्य राज्यों की भांति गुरु पूर्णिमा का पर्व गुरुकुल परम्परा के अनुसार बड़ी ही श्रद्धा एवं आस्था के साथ मनाया गया। हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी जयराम विद्यापीठ के संस्कृत महाविद्यालय के ब्रह्मचारियों एवं विद्यार्थियों का मुख्य यज्ञशाला में गुरु पूर्णिमा के अवसर पर जनेऊ संस्कार विधिवत मंत्रोच्चारण के साथ सम्पन्न हुआ। इस मौके पर बड़ी संख्या में विद्यार्थियों के अभिभावक, विद्यापीठ के ट्रस्टी एवं श्रद्धालु पहुंचे। ट्रस्टियों के. के. कौशिक, टेक सिंह, राजेश सिंगला, खरैती लाल सिंगला व प्राचार्य रणबीर भारद्वाज सहित सतबीर कौशिक, रोहित कौशिक, यशपाल तथा जयराम संस्कृत महाविद्यालय के विद्यार्थियों ने गुरुजनों को नमन कर आशीर्वाद लिया। प्राचार्य डा. रणबीर भारद्वाज ने बताया कि सनातन धर्म परम्परा के अनुसार वर्षों से इस महान पर्व को मनाया जाता है। गुरु पूर्णिमा का दिन संतों महापुरुषों और ऋषि मुनियों को समर्पित है। डा. भारद्वाज ने बताया कि गुरुकुल परम्परा एवं गुरुओं का अनुसरण करते हुए विद्यापीठ में परमाध्यक्ष ब्रह्मस्वरुप ब्रह्मचारी के मार्गदर्शन में हरवर्ष गुरु पूर्णिमा पर नूतन विद्यार्थियों का मंत्रोच्चारण से साथ जनेऊ संस्कार कर विधि विधान से परम्परा अनुसार गुरु शिष्य का संबंध किया जाता है। गुरु पूर्णिमा कार्यक्रम बड़े धूमधाम से आयोजित किया जाता है। कुरुक्षेत्र में जयराम संस्थाओं के मीडिया प्रभारी राजेश सिंगला ने बताया कि जयराम संस्थाओं के श्रद्धालुओं के लिए जयराम आश्रम हरिद्वार से परमाध्यक्ष ब्रह्मस्वरुप ब्रह्मचारी ने सभी सेवकों एवं श्रद्धालुओं को कल्याण व सुख समृद्धि का संदेश दिया। उन्होंने आशीर्वाद देते हुए गुरु पूर्णिमा का महत्व बताया कि गुरु पूर्णिमा के दिन पर अपने गुरुओं और बड़ों का आशीर्वाद लिया जाता है। महर्षि वेद व्सास की जयंती पर इस पर्व को मनाया जाता है। डा. रणबीर भारद्वाज व अन्य आचार्यों ने जनेऊ संस्कार के महत्व के बारे में बताया कि पहले तो जीव अपनी माँ से पहला जन्म लेता है और उसके उपरांत जनेऊ संस्कार रूप में विद्यार्थी जीवन में प्रवेश करते हुए उसका दूसरा जन्म होता है। उन्होंने बताया कि नए सत्र में प्रवेश लेने वाले विद्यार्थियों तथा ब्रह्मचारियों का जनेऊ संस्कार वैदिक विधि से मंत्रोच्चारण के साथ हुआ। इस अवसर पर शिक्षकों में प्रवीण कुमार, पुरुषोत्तम, संजय, दीपक व प. पंकज पुजारी इत्यादि भी मौजूद रहे।
जयराम विद्यापीठ में जनेऊ संस्कार के अवसर पर ब्रह्मचारी व विद्यार्थी।

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