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कुरुक्षेत्र, 16 अक्तूबर :- अखिल भारतीय श्री मार्कण्डेश्वर जनसेवा ट्रस्ट के अध्यक्ष एवं श्री मार्कण्डेश्वर महादेव मंदिर ठसका मीरां जी के व्यवस्थापक महंत जगन्नाथ पूरी ने बताया कि 20 अक्तूबर को शरद पूर्णिमा है, भारतीय संस्कृति एवं संस्कारों में भी इस का बड़ा महत्व है। उन्होंने बताया कि पंचांग के अनुसार वैसे तो वर्ष भर में बारह पूर्णिमा होती है लेकिन सिर्फ शरद पूर्णिमा पर ही अमृत वर्षा होती है। ऐसी एक मान्यता है लेकिन अगर वैज्ञानिक तथा ज्योतिष दृष्टि से देखा जाए तो यह आध्यात्मिक अवस्था की एक खगोलीय घटना भी है। उन्होंने बताया कि शरद पूर्णिमा की रात को चन्द्रमा पृथ्वी के सबसे निकट होता है तथा यह अपनी सोलह कलाओं से परिपूर्ण रहता है। महंत जगन्नाथ पूरी ने कहा कि यह दिन इस लिए भी बहुत विशेष है कि इस दिन देवादिदेव भगवान भोलेनाथ के परम भक्त ऋषि मार्कण्डेय का प्रकाट्योत्सव भी है। इसलिए 19 तथा 20 अक्तूबर को श्री मार्कण्डेश्वर महादेव मंदिर ठसका मीरां जी में संत महापुरुषों के सान्निध्य विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं।
स्वास्थ्य के लिए लाभकारी अवसर
महंत जगन्नाथ पुरी ने बताया कि विज्ञान, अध्यात्म एवं ज्योतिष की दृष्टि से यह दिन प्राणियों के लिए काफी लाभकारी होता है। शरद पूर्णिमा की रात चन्द्रमा का ओज सबसे तेजवान एवं ऊर्जावान होता है, इसके साथ ही शीत ऋतु का प्रारंभ होता है। शीत ऋतु में जठराग्नि तेज हो जाती है और मानव शरीर स्वास्थ्य से परिपूर्ण होता है। उन्होंने बताया कि इस शरद पूर्णिमा की रात को दूध और चावल मिश्रित खीर पर चन्द्रमा की रोशनी में रखा जाता है। चन्द्रमा तत्व एवं दूध पदार्थ समान उर्जा धर्म होने के कारण दूध अपने में चन्द्रमा की किरणों को अवशोषित कर लेता है। इस तरह मान्यता के अनुसार उस में अमृत वर्षा हो जाती है और खीर को खाकर अमृत पान का संस्कार पूर्ण करते है।
शरद पूर्णिमा तिथि
पूर्णिमा तिथि आरंभ :19 अक्तूबर 2021 को शाम 7 बजे से पूर्णिमा तिथि समाप्त : 20 अक्तूबर 2021 को रात्रि 8 बजकर 20 मिनट पर
सकारात्मक सोच बनती है।
महंत जगन्नाथ पुरी ने बताया कि विद्वानों के अनुसंधान से सिद्ध हुआ है कि इस अवसर पर ग्रह नक्षत्र के हिसाब से वातावरण में एक आध्यात्मिक तरंगे मौजूद होती हैं। जिस से सात्विक व सकारात्मक विचार व मस्तिष्क प्रफुल्लित होता है। इसलिए इसका फायदा उठाना चाहिए। शरद पूर्णिमा की रात चन्द्रमा पृथ्वी के बहुत निकट होता है और उसकी उज्जवल किरणें पेय एवं खाद्य पदार्थों में पड़ती हैं तो उसे खाने वाला व्यक्ति वर्ष भर निरोग रहता है। उसका शरीर पुष्ट होता है। चंद्रमा ही सब वनस्पतियों को रस देकर पुष्ट करता है।
शरद पूर्णिमा के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए महंत जगन्नाथ पुरी।