वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
कुरुक्षेत्र : सांसद नवीन जिंदल प्राकृतिक खेती को लेकर किसानों को जागरूक करने के अभियान में लगे हुए हैं । इस अभियान को सफल बनाने के लिए उन्होंने आचार्य देवव्रत के मार्गदर्शन में किसानों को प्रशिक्षित करने का बीड़ा उठाया है। उन्होंने 28 किसानों को प्रशिक्षण दिलाने के लिए गुरुकुल, कुरुक्षेत्र के प्राकृतिक खेती प्रशिक्षण संस्थान में शिविर का आयोजन आरंभ करवाया है । आज इस प्रशिक्षण शिविर के दूसरे दिन सभी किसानों को प्राकृतिक खेती से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारियां दी गई और उन्हें इस खेती के लिए प्रमुख घटक जीवामृत और घनजीवामृत बनाने की विधि सिखाई गई। सांसद नवीन जिन्दल का प्रयास है कि प्राकृतिक खेती प्रशिक्षण शिविर के माध्यम से किसानों को मृदा सुधार और जहरमुक्त खेती की ओर लेकर जाना है ताकि पेस्टीसाइड आधारित खेती के उत्पादन से सेहत के साथ होने वाले खिलवाड़ पर अंकुश लगाया जा सके। किसानों की आय में वृद्धि हो जिससे युवावर्ग खेती की ओर अग्रसर हो सके।
प्रशिक्षण शिविर के दूसरे दिन पद्मश्री डॉ. हरिओम ने बताया कि प्राकृतिक खेती अपनी पुरातन परम्परागत खेती है जिसमें समय के साथ कुछ बदलाव किये गये हैं, देशी गाय पर आधारित इस खेती के जीवामृत और घनजीवामृत दो मुख्य घटक है जो गाय के गोबर और गोमूत्र से किसान द्वारा घर पर ही तैयार किये जाते हैं। जीवामृत बनाने के लिए किसान को केवल एक 200 लीटर का ड्रम, देशी गाय का गोबर-गोमूत्र, किसी दाल का बेसन, गुड़ और खेत की एक मुट्ठी मिटटी की जरूरत होती है। इस प्रकार जीवामृत और घनजीवामृत के प्रयोग से एक देशी गाय से तीस एकड़ भूमि पर प्राकृतिक खेती की जा सकती है। सबसे अहम बात यह है कि प्राकृतिक खेती, ऑर्गेनिक या जैविक खेती से बिल्कुल अलग है और इसमें किसान को पहले ही वर्ष से भरपूर उत्पादन मिलता है, किसान भाइयों को उत्पादन को लेकर किसी प्रकार का भ्रम नही पालना चाहिए। प्राकृतिक खेती प्रशिक्षण संस्थान गुरूकुल कुरूक्षेत्र के संचालन के लिए पद्मश्री डॉ. हरिओम, डॉ. राम गोपाल, डॉ. मनीषा वर्मा और डॉ. प्रदीप शर्मा अपनी जिम्मेवारी को कुशलतापूर्वक निभा रहे हैं। उल्लेखनीय है कि सांसद नवीन जिंदल प्राकृतिक खेती को जन- जन तक पहुंचाने के लिए प्रयासरत है। केंद्र सरकार ने एक करोड़ किसानों को प्राकृतिक खेती के अंतर्गत लाने का निर्णय लिया है। केंद्र सरकार का यह निर्णय सांसद जिंदल के प्रयास को और किसानों को प्राकृतिक खेती की ओर मोड़ने व लोगों के स्वास्थ्य को सुधारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।