बिहार:जिले के अतिगंभीर कुपोषित बच्चों को उपचार कराने के लिए स्वास्थ्य अधिकारियों को दिया गया एकदिवसीय प्रशिक्षण

जिले के अतिगंभीर कुपोषित बच्चों को उपचार कराने के लिए स्वास्थ्य अधिकारियों को दिया गया एकदिवसीय प्रशिक्षण

  • अति गंभीर कुपोषित बच्चों को एनआरसी में किया जाता है मुफ्त इलाज
  • पूर्णिया मेडिकल कॉलेज व अस्पताल में संचालित है पोषण पुनर्वास केंद्र

पूर्णिया, 14 मार्च। जन्म के बाद बहुत से बच्चे शारीरिक रूप से कमजोर पाए जाते हैं जिसे चिकित्सकीय भाषा में कुपोषित बच्चों की श्रेणी में आंका जाता है। ऐसे बच्चों को सही समय पर आवश्यक इलाज के साथ सही पोषण दिए जाने से सुपोषित किया जा सकता है। जिले में ऐसे बच्चों को चिह्नित कर उसके परिजनों को पोषण के प्रति जागरूक करने और कुपोषित बच्चों को पोषण पुनर्वास केंद्र भेजने के लिए जिले के सभी प्रखंडों के स्वास्थ्य अधिकारियों को यूनिसेफ द्वारा एकदिवसीय प्रशिक्षण दिया गया। इस प्रशिक्षण में सभी स्वास्थ्य अधिकारियों को अपने क्षेत्र के सभी कुपोषित बच्चों की पहचान करने की जानकारी दी गई। जिससे कि उसे समय पर आवश्यक इलाज के लिए जिला पोषण पुनर्वास केंद्र भेजा जा सके। प्रशिक्षण में सिविल सर्जन डॉ. एस. के. वर्मा, डीसीएम (स्वास्थ्य) संजय कुमार दिनकर, यूनिसेफ कंसल्टेंट शिवशेखर आनंद, डिविशनल कोऑर्डिनेटर देवाशीष घोष, पोषण कंसल्टेंट ज्योति कुमारी, डॉ. प्रियंका कुमारी, डीपीसी निशि कुमारी सहित सभी प्रखंडों के प्रभारी चिकित्सा अधिकारी, बीसीएम व बीएचएम उपस्थित रहे।

एनआरसी में उपलब्ध है सभी आवश्यक सुविधा : सिविल सर्जन
सिविल सर्जन डॉ. एस. के. वर्मा ने सभी अधिकारियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि कुपोषित बच्चों को सुपोषित करने के लिए जिला मुख्यालय स्थित राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय व अस्पताल में पोषण पुनर्वास केंद्र (एनआरसी) अच्छी तरह संचालित है। यहां कुपोषित बच्चों को आवश्यक इलाज के लिए सभी प्रकार की सुविधाएं मुहैया कराई जाती हैं। प्रखंड स्तर पर कुपोषित बच्चों के चिह्नित नहीं होने से एनआरसी में बच्चों की उपस्थिति कम दर्ज होती है। सभी स्वास्थ्य अधिकारियों को अपने क्षेत्र के लोगों के बीच इसके प्रति जागरूक करने की जरूरत है। क्षेत्र में पाए जा रहे कुपोषित बच्चों को एनआरसी भेजने की जरूरत है। जिससे कि उसका पर्याप्त इलाज किया जा सके।

अति गंभीर कुपोषित बच्चों को एनआरसी में किया जाता है मुफ्त इलाज :
यूनिसेफ डिविशनल कोऑर्डिनेटर देवाशीष घोष ने कहा कि गर्भावस्था में महिलाओं के सही पोषण नहीं लेने के कारण कुपोषित बच्चों का जन्म होता है। इसे दो श्रेणी में विभाजित किया जाता है- कुपोषित बच्चे एवं अति गंभीर कुपोषित बच्चे। कुपोषित बच्चों को सामान्य रूप से आवश्यक पोषण देकर सुपोषित किया जा सकता है लेकिन अति गंभीर कुपोषित बच्चों को नियत समय पर इलाज की जरूरत होती है। सामान्य बच्चों की तुलना में अति गंभीर कुपोषित बच्चों के मृत्यु की संभावना नौ से ग्यारह गुणा अधिक होती है। इसलिए ऐसे बच्चों को समय से चिह्नित कर उसे पोषण पुनर्वास केंद्र भेजना आवश्यक है। जिससे कि उसका पर्याप्त इलाज हो और उसे सुपोषित किया जा सके।

अति गंभीर कुपोषित बच्चों के बीमारियों की पहचान जरूरी :
पोषण कंसल्टेंट ज्योति कुमारी ने बताया कि अति गंभीर कुपोषित बच्चों की बीमारियों की समय से पहचान करना जरूरी है। ऐसे बच्चों में किसी तरह के आपातकालीन लक्षण जैसे कि कोमा, बेहोशी या झटके आने जैसे संकेत मिल सकते हैं। इसके अलावा अति गंभीर कुपोषित बच्चों के दोनों पैरों में सूजन, लगातार उल्टी होना, 102 डिग्री से तेज बुखार होना, तेज सांस चलना, सीने में दर्द, साइनस, त्वचा/आंखों में घाव या चेचक के बाद कि स्थिति, डायरिया या निर्जलीकरण के लक्षण, गंभीर अनीमिया, हाइपोथर्मिया, बच्चों का कमजोर व निःसहाय महसूस करना जैसे लक्षण हो सकते हैं। ऐसे बच्चों को तुरंत चिकित्सक से जांच कराने के बाद पोषण पुनर्वास केंद्र में पोषण विशेषज्ञ की निगरानी में रखा जाना चाहिए। इससे कुपोषित बच्चों को आवश्यक इलाज द्वारा ठीक किया जा सकता है।

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