प्रकृति में सृजन क्षमता स्त्री को ही प्राप्त है : भारत भूषण भारती।
हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
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गोविंदानंद आश्रम में सैंकड़ों की संख्या में कन्याओं का होता है आगमन।
हर जरूरतमंद कन्या का रखा जाता है विशेष ध्यान।
कन्याओं की शिक्षा चिकित्सा और विवाह समारोह में की जाती है यथा संभव सहायता।
पिहोवा, 30 मार्च : शिवपुरी रोड़ स्थित गोविंदानंद आश्रम पिहोवा में भारत साधुसमाज के प्रदेशाध्यक्ष महंत बंसी पुरी जी महाराज व महंत सर्वेश्वरी गिरि के सान्धिय में नवरात्रों के निमित चल रहे पाठात्मक सहस्त्र चंडी महायज्ञ का पूर्णाहूति, कन्या पूजन, संत-महात्माओं के प्रवचन एवं विशाल भंडारे के साथ समापन हुआ।
जानकारी देते हुए आश्रम कमेटी के प्रधान बारू राम बंसल ने बताया कि भारी संख्या में श्रद्धालुओं द्वारा यज्ञ मंडप की 108 परिक्रमा कर पुण्य कमाया। महायज्ञ के मुख्य यजमानों, मुख्यमंत्री के सलाहकार भारत भूषण भारती, जय ओंकार अंतर्राष्ट्रीय सेवाश्रम संघ के अध्यक्ष स्वामी संदीप ओंकार, सरस्वती हैरिटेज बोर्ड के सदस्य रामधारी शर्मा, षडदर्शन साधसमाज के संगठन सचिव वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक, युधिष्ठर बहल, नीलिमा चक्रपाणि सहित अनेक गण्यमान्य जनों व संत-महात्माओं ने पूर्णाहूति में भाग लेकर पुण्य अर्जित किया। कार्यक्रम में शामिल गण्यमान्य जनों को मंदिर प्रबंधन की ओर से सम्मानित किया गया। दूर दराज से आने वाले उच्च कोटि के अनेक संत-महात्माओं ने अपने मुखारविद से श्रद्धालुओं पर प्रवचनों की अमृत वर्षा की। दोपहर के समय कन्या पूजन के पश्चात विशाल भंडारे का आयोजन हुआ। महिला संकीर्तन मंडल द्वारा अपने भजनों के माध्यम से महामाई का गुणगान किया गया।
मुख्यमंत्री के सलाहकार भारत भूषण भारती ने बताया कि संसार के उद्गम का स्रोत आदि शक्ति है। माना जाता है इस विस्तृत, अपरिमित और अचंभित करने वाले संसार का निर्माण इसी आदि शक्ति से हुआ है। वैसे भी प्रकृति में सृजन क्षमता स्त्री को ही प्राप्त है। सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड के रज-रज में जिस ऊर्जा का संचार है, वह स्त्री रूपा है।
संत महामंडल की अध्यक्षा महामंडलेश्वर 1008 स्वामी विद्या गिरि जी महाराज ने कहा कि नवरात्र का त्यौहार हमें हर साल इस बात का स्मरण कराता है। यह मात्र त्यौहार या पूजा नहीं है, बल्कि नारी शक्ति की महत्ता समझने का अवसर है। माँ दुर्गा के नव रूप, स्त्री के नौ कलाओं की परिचायक हैं। माँ भवानी अपने जिन रूपों में वंदनीय हैं, आज की स्त्री में भी वही सृजन, पालन और संहार की अभूतपूर्व शक्ति है।
जय ओंकार अंतर्राष्ट्रीय सेवाश्रम संघ के अध्यक्ष स्वामी संदीप ओंकार ने कहा कि यज्ञ एक श्रेष्ठ कर्म है इसे समय-समय पर किया जाना अति उत्तम है। यज्ञ द्वारा जहां मनुष्य को शक्ति मिलती है वहीं पर्यावरण की शुद्धि भी होती है। बड़ी अच्छी बात है कि समस्त मानव जाति के कल्याण के लिए इस सत चंडी महायज्ञ का आयोजन किया गया। इस प्रकार के यज्ञ के आयोजन से मां दुर्गा अपने भक्तों को सुख-समृद्धि का वरदान देती है।
इस मौके पर महंत चमन गिरि, थानापति लाल गिरि, डा. विनोद धीर, विकल चौबे, आचार्य डा. अभिषेक कुश, धर्मबीर अत्री, सतीश धवन, विनोद बंसल, राजेश गोयल, तरसेम गर्ग, आदित्य बहल, मिथुन अत्री, सुशील गुप्ता, सिया मित्तल सहित अनेक श्रद्धालु उपस्थित रहे।