बिहार:संक्रमण के मुश्किल दौर में बेहद कारगर साबित हुआ कोविड नियंत्रण कक्ष का संचालन

  • मरीजों के सतत अनुश्रवण व उनके दैनिक स्वास्थ्य निगरानी में नियंत्रण कक्ष की भूमिका महत्वपूर्ण
  • संक्रमण के मामले कम होने के बावजूद जरूरतमंदों को जरूरी सेवा उपलब्ध कराने का हो रहा प्रयास

अररिया संवादाता

जिले में कोरोना संक्रमण का मुश्किल दौर फिलहाल थमता नजर आ रहा है। वैश्विक महामारी के दोनों चरण हम सभी के लिये बेहद मुश्किलों से भरा रहा है। उस मुश्किल दौर में रोग से जुड़े सामान्य लक्षण दिखते ही घबराहट व बेचैनी से हमारा दम घुटने लगता था। उस समय हमें रोग से संबंधित सही जानकारी व सलाह की सबसे अधिक जरूरत महसूस होती थी। इस मुश्किल घड़ी में लेागों को सही जानकारी व उचित सलाह उपलब्ध कराने में सदर अस्पताल में संचालित चिकित्सकीय परामर्श सह नियंत्रण कक्ष का संचालन बेहद महत्वपूर्ण साबित हुआ। इसके लिये नियंत्रण कक्ष में तैनात कर्मियों की भूमिका सराहनीय रहा है। जो महामारी के उस चरमकाल से लेकर अब तक जरूरतमंदों को जरूरी जानकारी व सलाह उपलब्ध कराने के काम में मुस्तैदी से जुटे हैं। बिहार सरकार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने भी अपने ट्वीट के माध्यम से जिला स्तर पर संचालित नियंत्रण कक्ष की भूमिका को सराहा है। साथ ही उन्होंने आम लोगों से रोग संबंधी किसी भी तरह की समस्या को लेकर 24 घंटे संचालित मेडिकल हेल्प लाइन नंबर का लाभ उठाने की अपील की है।

लोगों की संतुष्टि से मिलती थी खुशी :

संक्रमण के उस चुनौतीपूर्ण दौर को याद करते हुए नियंत्रण कक्ष में बीते चार महीने से अपनी सेवाएं दे रही रिंकी कुमारी बताती हैं कि बीते मई महीने में संक्रमण की दूसरी लहर अपने चरम पर था। लेकिन अप्रैल माह के शुरूआती समय से ही मरीजों की संख्या लगातार बढ़ने लगे थे। बढ़ते मरीजों की संख्या के साथ उनकी चुनौतियों भी बढ़ रही थी। रोजाना 30-40 लोग संक्रमण से संबंधित जानकारी के लिये नियंत्रण कक्ष से संपर्क करते थे। तो हर दिन 1200 से 1500 सौ लोगों का फॉलोअप करना होता था। एएनएम प्रियंका कुमारी ने बताया जब एक दिन में सैकड़ों कॉल रिसीव व फॉलोअप करना होता था। उस वक्त भी हमें बिल्कुल सहज बने रहना होता था। ताकि लोग आसानी से हमारी बातें समझ सके। अब भी हम गंभीरता से लोगों की बातें सुनते हैं। उन्हें जरूरी सलाह देते हैं। लोग जब इससे संतुष्ट होते तो हमें इससे खुशी मिलती थी।

लोगों की परेशानियां सुनकर खत्म हो जाती है थी अपनी परेशानियां :

मार्च महीने के शुरूआती दौर से नियंत्रण कक्ष में अपनी सेवा दे रही एएनएम सरिता कुमारी ने बताया कि वे लोग अलग-अलग शिफ्ट में ड्यूटी करते हैं। फिलहाल कॉल कम आ रहे हैं। और मरीजों की संख्या में कमी आयी है। तो फॉलोअप भी कम हो रहा है। उस दौर में जब मरीजों की संख्या अपने चरम था। उस समय उनकी समस्या को सुनते-सुनते अपने व अपने परिवार की चिंताएं न जाने कहां गुम हो जाया करती थी। वहीं नियंत्रण कक्ष में अपनी ड्यूटी पर तैनात एएनएम आभा कुमारी ने कहा हम निरंतर सेवा भाव से अपनी जिम्मेदारी के निवर्हन के प्रयास में जुटे रहे। कई लोगों से तो जैसे एक अनजाना रिस्ता सा कायम हो गया। जो अब भी खैरियत पूछने के लिये फोन करते हैं। काफी अच्छा लगता है। संतुष्टी होती है कि चलो हमने तो अपनी जिम्मेदारी सही से निभाई।

संभावित तीसरी लहर से बचने के लिये सावधानी जरूरी :

नियंत्रण कक्ष में अपनी सेवाएं दे रहीं रिंकी व सरिता कुमारी ने कहा कोरोना का मामला कम हुआ है। संक्रमण से जुड़ी चुनौती अभी खत्म नहीं हुई है। अब तक इस वैश्विक महामारी के दौर में हमने तरह-तरह की परेशानियों को झेला है। महामारी की चपेट में आकर न जाने कितनों के परिजन उनसे हमेशा के लिये बिछड़ गये। इसलिये इसे लेकर किसी तरह की लापरवाही से हमें बचना होगा। ताकि संभावित तीसरे लहर की आशंका से बचा जा सके। एएनएम आभा कुमारी व प्रियंका कुमारी कहती हैं लोग अपनी सुरक्षा का जितना ध्यान रखेंगे, दूसरे लोग भी उतने ही सुरक्षित होंगे। हम आपकी सेवा के लिये हमेशा तत्पर हैं। लेकिन आप अपने स्तर से किसी चूक न होने दें तो बेहतर है।

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