उत्तराखंड:रैणी आपदा: हाईकोर्ट का आदेश रैणी आपदा में मुवावजा नही पाने वालों के भरण-पोषण की व्यवस्था करें सरकार

रैणी आपदा: हाईकोर्ट का आदेश रैणी आपदा में मुवावजा नही पाने वालों के भरण-पोषण की व्यवस्था करें सरकार।
प्रभारी संपादक उत्तराखंड
साग़र मलिक

नैनीताल हाईकोर्ट ने बुधवार को चमोली के रैणी गांव में ग्लेशियर फटने के दौरान आई आपदा में मृतकों और घायलों को अब तक मुआवजा नहीं दिए जाने के मामले में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की। सुनवाई के बाद कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिए हैं कि जिन लोगों को अभी तक मुआवजा नहीं दिया गया है, उनके भरण पोषण की व्यवस्था की जाए, ताकि उनका जीवन यापन हो सके।कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 8 सितंबर की तिथि नियत करते हुए विस्तृत जवाब दाखिल करने के आदेश दिए हैं। मामले में सुनवाई के दौरान सरकार ने जवाब पेश कर कहा कि 204 प्रभवितों में से 120 लोगों को मुआवजा दे दिया गया है। जिस पर संज्ञान लेते हुए कोर्ट ने सरकार से पूछा है कि अब तक जिन लोगों को मुआवजा नहीं दिया गया उनके लिए सरकार क्या काम कर रही है।
मुख्य न्यायाधीश आरएस चौहान एवं न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। मामले के अनुसार अल्मोड़ा निवासी राज्य आंदोलनकारी पीसी तिवारी ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि रैणी गांव में फरवरी माह में ग्लेशियर फटने से कई लोगों की मौत हो गई थी, जबकि कई अन्य लोग घायल हो गए थे।

याचिका में कहा कि राज्य सरकार ने अब तक कई घायल व मृतक के परिवारवालों को मुआवजा नहीं दिया और न ही मुआवजा वितरित करने के लिए कोई मानक बनाए गए हैं। याचिकाकर्ता का कहना था कि राज्य सरकार ने  क्षेत्र में काम कर रहे नेपाली मूल के श्रमिकों सहित गांव के श्रमिकों को मुआवजा देने के लिए कोई नियम नहीं बनाए हैं। अब तक मृत्यु प्रमाणपत्र तक जारी नहीं किए गए हैं और न ही मौत के आंकड़ों की पुष्टि की गई है।
राज्य सरकार की आपदा से निपटने की सभी तैयारियां अधूरी
याचिकाकर्ता ने यह भी कहा कि कि राज्य सरकार की आपदा से निपटने की सभी तैयारियां अधूरी हैं और सरकार के पास अब तक कोई ऐसा सिस्टम नहीं है जो आपदा आने से पहले उसकी संकेत की सूचना दे सके। सरकार ने अब तक उच्च हिमालयी क्षेत्रों की मॉनिटरिंग के लिए कोई व्यवस्था नहीं की है। 2014 में रवि चोपड़ा की कमेटी की ओर से अपनी रिपोर्ट में बताया गया था कि उत्तराखंड में आपदा से निपटने के मामले में सरकार ने कई अनियमितताएं हैं।इस वजह से चमोली गांव में इतनी बड़ी आपदा आई और कई लोगों की मौत हुई। उत्तराखंड में 5600 मीटर की ऊंचाई वाले क्षेत्रों में मौसम का पूर्वानुमान लगाने वाले यंत्र नहीं लगे हैं और ऊंचाई वाले क्षेत्रों में रिमोट सेंसिंग इंस्ट्रूमेंट अभी तक काम नहीं कर रहे हैं जिस वजह से बादल फटने जैसी घटनाओं की जानकारी नहीं मिल पाती। याचिकाकर्ता की ओर से यह भी कहा कि हाइड्रो प्रोजेक्ट टीम के कर्मचारियों के सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं है। कर्मचारियों को आपदा से लड़ने के लिए कोई ट्रेनिंग तक नहीं दी गई।

Read Article

Share Post

VVNEWS वैशवारा

Leave a Reply

Please rate

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

उत्तराखंड:फर्जी कोरोना जाँच रिपोर्ट पर 25 तक जवाब मांगा, हाईकोर्ट

Fri Aug 13 , 2021
फर्जी कोरोना जाँच रिपोर्ट पर 25 तक जवाब मांगा, हाईकोर्ट।प्रभारी संपादक उत्तराखंडसाग़र मलिक हाईकोर्ट ने कोरोना की जांच रिपोर्ट के नाम पर हो रहे फर्जीवाड़े और ऑक्सीजन कंसंट्रेटर को आवश्यक वस्तु अधिनियम के दायरे में लाने को लेकर दायर जनहित याचिका पर बुधवार को सुनवाई की। कोर्ट ने राज्य सरकार […]

You May Like

Breaking News

advertisement