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समाज के बीच जाकर लोगों को अंगदान के प्रति जागरूक करने की जरूरत : डॉ. सतीश वत्स।
कुरुक्षेत्र : शनिवार को भारतीय अंग दान दिवस के उपलक्ष्य में श्री कृष्णा आयुष विश्वविद्यालय के रचना शरीर विभाग में अंगदान विषय विचार संगोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें स्नातकोत्तर द्वितीय वर्ष की अध्येता डॉ. भारती ने भारतीय अंगदान दिवस 2024 अपने विचार प्रकट किए। डॉ. भारती ने बताया कि पहली बार 3 अगस्त 1994 को किसी मृत व्यक्ति का हृदय किसी जरूरतमंद व्यक्ति को सफलतापूर्वक प्रत्यारोपित किया गया था। इसलिए इस दिन को अंग दान दिवस के रूप मे मनाया जाता है। ताकि अधिक से अधिक लोग अंगदान के बारे में जागरूक हो सके। उन्होंने कहा कि भारत में अंगदान करने वालों की संख्या बहुत कम है। हर साल लाखों लोगों को बीमारी के इलाज के लिए ऑर्गन ट्रांसप्लांट की जरूरत पड़ती है मगर कम ही लोगों को किसी दूसरे व्यक्ति का अंग मिल पाता है। इसके साथ डॉ. भारती ने अंगदान करने के लिए राष्ट्रीय अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (एनओटीटीओ) में नामांकन दर्ज करवाने की विधि तथा अंगदान के लिए योग्य और आरोग्य व्यक्तियों के बारे में बताया। इसके साथ भारत सरकार के द्वारा शुरू किए गए अंगदान जन जागरूकता अभियान की भी जानकारी दी। कार्यक्रम के अंत में विभागाध्यक्ष डॉ. सतीश वत्स ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि भारतीय अंगदान दिवस प्रचार-प्रसार अभियान के तहत छात्र-छात्राओं को समाज के बीच जाकर लोगों को अंगदान के लिए प्रेरित करना चाहिए। जिससे जरूरतमंदों को इसका लाभ मिल सकेगा। इस अवसर पर डॉ. सचिन शर्मा, डॉ. रजनीश सिंह डॉ. आशीष नांदल और विभाग के अन्य कर्मचारी भी उपस्थित रहे।