बिहार:सुरक्षित मातृत्व अभियान को लेकर पूर्णिया कोर्ट यूपीएचसी में किया गया आयोजन

सुरक्षित मातृत्व अभियान को लेकर पूर्णिया कोर्ट यूपीएचसी में किया गया आयोजन

  • सुरक्षित प्रसव के लिए प्रबंधन की होती हैं आवश्यकता: एमओआईसी
  • गर्भवती महिलाओं की प्रसव पूर्व जांच जरूरी: डॉ प्रमोद

पूर्णिया

मातृ शिशु स्वास्थ्य को बेहतर एवं गुणवत्ता पूर्ण बनाने के लिए स्वास्थ्य विभाग के द्वारा कई कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं। जिसमें मुख्य रूप से प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व योजना शामिल है। जिसके तहत मातृ एवं शिशु मृत्यु दर को कम करने का प्रयास किया जा रहा है। विभिन्न तरह के आयोजन कर गुणवत्तापूर्ण सुरक्षित प्रसव उपलब्ध कराना हम सभी की नैतिक जिम्मेदारी है। इसके प्रति स्वास्थ्य विभाग को सजग रहने की जरूरत है। जिसको लेकर शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पूर्णिया कोर्ट में प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ प्रमोद कुमार प्रभाकर की उपस्थिति में मनाया गया। साथ ही रोगी कल्याण समिति का भी आयोजन किया गया। इस अवसर पर यूनिसेफ (एआईएच) के जिला समन्वयक धर्मेंद्र कुमार, पैरामेडिकल (ऑप्टोमेट्रिस्ट) मनीष कुमार, फार्मासिस्ट आफ़ताब आलम, लैब टेक्नीशियन अनुभा प्रसाद व उत्तम कुमार, डेटा ऑपरेटर सीटू कुमार, एएनएम माला कुमारी, रेशमी कुमारी और वार्ड पार्षद अजय कुमार यादव सहित कई अन्य उपस्थित थे।

सुरक्षित प्रसव के लिए प्रबंधन की होती हैं आवश्यकता: एमओआईसी
पूर्णिया कोर्ट शहरी स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ प्रमोद कुमार प्रभाकर ने प्रधानमंत्री मातृत्व सुरक्षित योजना को लेकर विस्तृत रूप से बताते हुए कहा इस योजना का मुख्य उद्देश्य गर्भवती महिलाओं में विशेष रूप से जटिलताओं के कारण जच्चा एवं बच्चा के नुकसान को रोकना है। कहा अभियान के माध्यम से गर्भवती महिला की प्रसव पूर्व जांच करा कर प्रसव के दौरान होने वाली परेशानियों को कम किया जा सकता है। अक्सर ऐसा देखा जाता है कि ज़्यादातर गर्भवती महिलाओं में गर्भधारण के बाद उच्च रक्तचाप बढ़ जाता है, जिससे एक्लेम्पसिया (मिर्गी) की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। जिसका प्रबंधन सही तरीके से करने के बाद जब तक प्रसव नहीं हो जाता है तब तक जच्चा एवं बच्चा दोनों का नुकसान होने का खतरा बना रहता है। इसके अलावा प्रसव की जांच के दौरान ब्लड शुगर बढ़ने के कारण गर्भवती महिलाओं के लिए जानलेवा साबित हो जाता है। जिस कारण पूर्ण रूप से विकसित बच्चा पैदा नहीं होता है। जो भविष्य में नुकसानदायक भी हो सकता हैं।

गर्भवती महिलाओं की प्रसव पूर्व जांच जरूरी: डॉ प्रमोद
डॉ प्रभाकर ने इस अवसर पर गर्भवती एवं धातृ महिलाओं, एएनएम, उपस्थित स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ ही अभिभावकों को सलाह देते हुए कहा कि गर्भवती महिलाओं की प्रसव पूर्व जांच यानी एएनसी बहुत ही ज्यादा जरूरी होता है। क्योंकि इस अवधि में प्रत्येक तीन महीने के अंतराल पर एक बार एएनसी सुरक्षित प्रसव के लिए जरूरी होता है। क्योंकि मातृ मृत्यु के एक प्रमुख कारण जॉन्डिस, शुगर, हृदय रोग, खून की कमी आदि पूर्व से चली आ रही बीमारियों में से एक हैं। किसी भी नवजात शिशु के लिए उसका पहला दिन सबसे अधिक जोखिम भरा होता है। नवजात शिशुओं की मृत्यु के होने के मुख्यतः तीन मुख्य कारण सामने आते हैं। जिनमें सबसे पहला, समय के पूर्व शिशु का जन्म होना, दूसरा, एस्फ़िक्सिया यानि सांस का नहीं लेना, जबकि तीसरा, इंफ़ेक्शन जैसे: सैप्सिज़ और निमोनिया के कारण नवजात शिशुओं की मृत्यु जन्म के बाद हो जाती है। इसके लिए समाज में जागरूकता पैदा कर इसको कम किया जा सकता हैं।

Read Article

Share Post

VVNEWS वैशवारा

Leave a Reply

Please rate

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

तिर्वा कन्नौज:थाना प्रभारी ने पैदल गस्त कर परखी सुरक्षा व्यवस्था

Tue Dec 14 , 2021
वी वी न्यूज़ तिर्वा तहसील संवाददाता अवनीश कुमार तिवारीइंदरगढ़ कन्नौज थाना प्रभारी ने पैदल गस्त कर परखी सुरक्षा व्यवस्था इंदरगढ़ थाना परिषर के थाना प्रभारी ने कस्बे का पैदल गस्त कर सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लिया । नगर में भ्रमण के दौरान सभी से शांति व्यवस्था बनाए रखने की बात […]

You May Like

Breaking News

advertisement