अतरौलिया स्थित पूर्व पोखरा के श्री राम जानकी मंदिर पर तीर्थोंध्यापन एवं श्रीमद् भागवत कथा यज्ञ का आयोजन संपन्न
विवेक जायसवाल की रिपोर्ट
अतरौलिया आजमगढ़ नगर पंचायत अतरौलिया स्थित पूर्व पोखरा के श्री राम जानकी मंदिर पर तीर्थोद्यापन एवं श्रीमद् भागवत कथा -यज्ञ का आयोजन किया गया। जिसमें श्री धाम अयोध्या जी से पधारे परम् भागवत संत पंडित प्रदीप शास्त्री जी महाराज (श्री हनुमान गढ़ी) ने भगवान श्री कृष्ण और रुक्मणी के विवाह का प्रसंग सुनाते हुए उपस्थित श्रोताओं से कहा कि विवाह बंधन और समझौता नहीं, बल्कि जीवन का सर्वोत्म संस्कार है। विशेष रुप से निर्वाह पूर्ण जीवन ही विवाह है। जीवत्मा रूपी कन्या का परिग्रहण परमात्मा रूपी वर के हाथ होना ही जीवन की पूर्ण सफलता है। कुल परंपरा रूप और गुण के अनुरूप विवाह से दांपत्य के जीवन में शक्ति का संचार होता है। विवाहोपरान्त धर्माचरण करते हुए उत्तम संतान की प्राप्ति ही दांपत्य जीवन की सफलता है। विवाह का उद्देश्य संस्कारिक पुत्र जो समाज में आदर्श को स्थापित करते हुए राष्ट्र का सेवा कर सके। आज का विवाह प्रायः भोग बंधन और समझौता बनकर रह गया है। जिसका परिणाम तलाक, हत्या और आत्महत्या के रूप में हर समय हर जगह दिखाई दे रहा है। मर्यादा स्वशासन के साथ जीवन जीना ही जीवन की श्रेयस्कर प्रद्धति है ।परम भागवत संत पंडित प्रदीप शास्त्री जी महाराज ने कृष्ण कथा का वर्णन करते हुए कहां माता यशोदा और उनके लाडले कन्हैया की कथा बताते हुए बताया कि वृंदावन के गोप और गोपियों के प्रेम की कथा भी बताये। और बताया कि ज्ञानी उद्यत कृष्ण का संदेश लेकर ब्रज में जाते हैं, मगर वहां के लोगों का प्रेम देखकर स्वयं ही प्रेममय हो जाते हैं। तत्पश्चात कृष्ण के साथ रुक्मणी से विवाह की कथा विस्तार पूर्वक बताये। उन्होंने भारतीय महिलाओं की महत्ता बताते हुए कहा कि एक विदेशी महिला ने एक भारतीय महिला से कहा कि भारतीय नारी तो कोई विकास नहीं की है ।वह तो केवल शादी के बाद बच्चा पैदा करना और फिर घर की गृहस्थी संभालना ही संभालती हैं। वहीं विदेशी महिला ने तो एरोप्लेन तक चलाना जानती है। तब भारतीय नारी ने कहा कि तुम तो एरोप्लेन चलाती हो, हम तो यमलोक तक जाकर वहां से अपने पति को वापस लाये हैं। उन्होंने यज्ञ के आयोजक दिवाकर त्रिपाठी एवं अश्विनी कुमार त्रिपाठी को धन्यवाद देते हुए यज्ञ की महत्ता को बताते हुए कहा कि जब इस धरा पर अकाल पड़ता है तो ऋषि मुनि यज्ञ का आयोजन करते हैं। और इस यज्ञशाला में जब मंत्रोचार के साथ आहुति दी जाती है। तो देवता प्रसन्न होकर अमृत वर्षा करते हैं। इससे धरा पर अन्य जल उत्पन्न होता है। और मानव तथा सभी प्राणी जीवन सुख पूर्वक जीते हैं। रामचरितमानस में तुलसीदास जी ने कहा की यज्ञ से परमात्मा का प्रादुर्भाव हुआ है। खुद भगवान राम का जन्म भी यज्ञ के माध्यम से हुआ है। प्रवचन के अंतिम चरण में संत पंडित प्रदीप शास्त्री जी महाराज ने धर्मप्राण क्षेत्रीय श्रद्धालुओं पर अपनी अमृत वर्षा करते हुए सभी के लिए सुख समृद्धि का आशीर्वचन दिया। इस अवसर पर काफी संख्या में नर नारी श्रद्धा भाव से प्रवचन सुनकर भक्ति भाव में गोते लगाते रहे। इस अवसर पर दिवाकर त्रिपाठी, डॉक्टर हरिसेवक पांडे, रामसेवक पांडे, साहित्यकार डॉ राजाराम सिंह, नगर पंचायत अध्यक्ष सुभाष चन्द्र जायसवाल, आनंद प्रकाश पांडे, डा० दिनेश सिंह, अश्विनी कुमार त्रिपाठी, तिलक राजभर, दीपक मद्धेशिया, दिलीप पांडे, सत्येंद्र सिंह, दयाशंकर कसौधन, झांगुर प्रसाद जायसवाल, ओम प्रकाश मिश्रा सहित काफी संख्या में नर नारी उपस्थित रहे। यज्ञ के आयोजक श्री राम जानकी मंदिर के संचालक दिवाकर त्रिपाठी और अश्विनी कुमार त्रिपाठी ने बताया कि भंडारे का आयोजन किया गया है। जिसमें सभी श्रद्धालुओं को उपस्थित होकर प्रसाद ग्रहण करने की अपील की।
वरिष्ठ पत्रकार विवेक जायसवाल की रिपोर्ट 9452717909