कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के साहित्य परिषद्, हिंदी विभाग एवं सत्यशोधक फाउंडेशन के सहयोग से विचार संगोष्ठी का आयोजन।

कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के साहित्य परिषद्, हिंदी विभाग एवं सत्यशोधक फाउंडेशन के सहयोग से विचार संगोष्ठी का आयोजन।

हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
दूरभाष – 94161-91877

कुरुक्षेत्र, 10 मार्च :- साहित्य परिषद्, हिंदी विभाग कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय एवं सत्यशोधक फाउंडेशन के सहयोग से बुधवार को हिन्दी विभाग में माता सावित्रीबाई फुले जी पुण्यतिथि व अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर साहित्य में स्त्रीः जीवन और चेतना विषय पर एक विचार संगोष्ठी व स्त्री विमर्श की कविताओं की चित्र प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। हिंदी विभाग द्वारा इस विचार गोष्ठी के साथ ही माता सावित्रीबाई फुले व महिलाओं से संबंधित कविताओं की प्रदर्शनी भी लगाई गई।
इस अवसर पर कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के भाषा व कला संकाय के डीन प्रो. ब्रजेश साहनी ने माता सावित्रीबाई फुले को प्रणाम करते हुए उनके जीवन संघर्ष को उजागर किया व आज के समय में स्त्री की स्थिति पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि सावित्रीबाई का मानना था कि जब तक सामाजिक जीवन में अज्ञानता है तब तक सुधार और तरक्की संभव नहीं है। उन्होंने सावित्रीबाई फुले की कविता ‘अज्ञान’ की पंक्तियों को उद्धृत करते हुए बताया कि वह अज्ञानता को मानवता का सबसे घातक दुश्मन समझती थी और इसे अपने जीवन से ढूंढकर और पीटकर भगाने का आह्वान करती थी।
पंजाबी विभाग से प्राध्यापक डॉ. परमजीत कौर ने बतौर मुख्य वक्ता वेदों, मध्यकालीन साहित्य, आधुनिक साहित्य को केंद्र में रखते हुए स्त्री से सम्बंधित विभिन्न बिंदु को ध्यान में रखते हुए स्त्री जीवन पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि सावित्रीबाई फुले को उनके पति ज्योतिबा फुले ने शिक्षा दी। उस समय में यह एक असामान्य बात थी। भारतीय समाज में धार्मिक व्यवस्था के तहत स्त्री और शूद्र को शिक्षा से वंचित रखा गया। वर्ण-धर्म की रूढ़िवादी धारणा समाज में स्थापित हो गई थी कि यदि स्त्री और शूद्र वर्ग शिक्षा प्राप्त करेंगे तो उन्हें विशेषतौर पर और पूरे समाज को घोर विपत्ति का सामना करना पड़ेगा।
इस मौके पर हिंदी विभाग के अध्यक्ष प्रो. सुभाष चंद्र ने विभिन्न कवियों की दृष्टि को बताते हुए स्त्री जीवन और चेतना के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि सावित्रीबाई फुले ने समाज में फैली रूढ़िवादिता को समाप्त करने के लिए महिला को शिक्षित करने का अहम कदम उठाया जिसके कारण उन्हें पहली भारतीय महिला शिक्षक होने का गौरव प्राप्त हुआ।
इस अवसर पर विभाग के विद्यार्थियों विजेता, पूनम व गौरव ने कविताओं के माध्यम से अपने विचारों को प्रदर्शित किया। कार्यक्रम में मंच संचालन हिंदी विभाग के अध्यापक विकास सल्याण द्वारा किया गया।
इस अवसर पर पंजाबी विभाग के डॉ. कुलदीप, जसबीर सिंह, ब्रजपाल सहित पंजाबी व हिंदी विभाग के विद्यार्थी तथा शोधार्थी मौजूद रहे। विद्यार्थियों ने चित्र प्रदर्शनी के माध्यम से सावित्री बाई फुले की कविताओं का अध्ययन किया।


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