पूर्वांचल ब्यूरो /अनुपम श्रीवास्तव
जीवन का अंतिम उद्देश्य सिर्फ डिग्री या नौकरी नहीं हासिल करना नहीं बल्कि संपूर्ण मानवीय भाव ही हासिल करना अंतिम लक्ष्य है। ऐसे में हमें लक्ष्य की प्राप्ति के साथ ही समय-समय पर आत्म-निरीक्षण करते रहना चाहिए, जिसके परिणाम स्वरूप और भी ऊंचे लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है।
यूपी कालेज स्थित राजर्षि स्कूल आफ मैनेजमेंट एंड टेक्नोलाजी (आरएसएमटी)में एमबीए व एमसीए पाठ्यक्रम के नव प्रवेश विद्यार्थियों के लिए सोमवार को आयोजित ओरिएंटेशन कार्यक्रम में ये बाते वक्ताओं ने कही। बतौर मुख्य अतिथि मुख्य अतिथि एपीजे अब्दुल कलाम तकनीक यूनिवर्सिटी के पूर्व कुलपति प्रो. डीएस चौहान ने कहा कि शिक्षा के माध्यम से विद्यार्थी अपने ज्ञान को व्यक्त करने की क्षमता में वृद्धि कर सकता है।
मुख्य वक्ता नेहू, शिलांग के पूर्व कुलपति प्रो. एएन राय, ने कहा कि हमें हर छोटी-छोटी चीज के लिए सरकार की ओर नहीं देखना चाहिए। उन्होंने शिक्षा में मानवतावादी दृष्टिकोण की वकालत करते हुए कहा कि विद्यार्थियों को विद्यालय परिसर की परंपरा का पालन करने का भी सुझाव दिया। कहा कि तथ्यों की जानकारी नहीं बल्कि सीखने और सोचने की क्षमता में वृद्धि का नाम शिक्षा है। कहा कि सबकी जिंदगी में अवसर अवश्य आते हैं जरूरत इस बात की होती है कि हम उन अवसरों का तुरंत पहचान कर उस पर काम करें। उन्होंने कहा कि अपने लक्ष्य की पहचान करें और उसे चरणबद्ध तरीके से प्राप्त करने की कोशिश करें। विशिष्ट अतिथि यूएसएसबी, माइक्रो फाइनेंस के प्रमुख, त्रिलोक नाथ शुक्ला ने कहा कि चरित्र निर्माण अत्यंत महत्वपूर्ण है। अध्यक्षता करते हुए उदय प्रताप शिक्षा समिति के सचिव व न्यायाधीश एसके सिंह ने कहा कि शिक्षा का आधारभूत ढांचा, विद्यार्थी शिक्षक अनुपात, गुणवत्ता है। ऐसे में केवल आधारभूत ढांचा ही नहीं है बल्कि विद्यार्थियों के संपूर्ण व्यक्तित्व विकास बेहद जरूरी है। संचालन गरिमा आनंद व धन्यवाद ज्ञापन डा. विनीता कालरा ने किया। इसके बाद एमबीए व एमसीए के शिक्षकों का विद्यार्थियों से सीधा संवाद भी हुआ। कार्यक्रम में कोआर्डिनेटर पीएन सिंह, डा. एसके सिंह, निदेशक डा. अमन गुप्ता सहित अन्य लोग उपस्थित थे।