वी वी न्यूज़ तिर्वा तहसील संवाददाता अवनीश कुमार तिवारी
तिर्वा(कन्नौज)। आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे के लिए भूमि अधिग्रहण में बैैनामा के बाद लोगों ने ज्यादा मुआवजा ले लिया। करीब एक करोड़ रुपये का मामला खुला था। तब तहसील प्रशासन ने नोटिस भेजे थेइसके बाद चुप्पी साध ली। नोटिस मिलने के बाद 10 लोगों ने ही रकम वापस की है। नोटिस 57 काश्तकारों को दिया गया था।
आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे के निर्माण की प्रक्रिया 2014 में शुरू हुई थी। तहसील क्षेत्र के करीब 27 सौ किसानों की भूमि अधिग्रहीत की गई थी। बैनामे यूपीडा ने किए थे। किसानों को जमीन के बदले सर्किल रेट से चार गुना ज्यादा मुआवजा दिया गया था। सूबे में सत्ता बदलने पर यूपीडा ने एक्सप्रेसवे के लिए अधिगृहीत जमीनों की जांच कराई। यूपीडा के बैनामों के आधार पर जमीन का स्थलीय निरीक्षण करने पर पिपरौली, बस्ता, सत्सार, भुन्ना, बलनापुर, पट्टी गांव में करीब 57 किसानों के ज्यादा मुआवजा लेने का खुलासा हुआ। राजस्व अभिलेखों में सड़क न दर्ज होने के बाद भी सड़क रेट का चार गुना मुआवजा बांट दिया गया। करीब एक करोड़ रुपये से अधिक का घपला सामने आया था। यूपीडा ने काश्तकारों से मुआवजे की अधिक धनराशि वसूलने के निर्देश तहसील प्रशासन को दिए थे। यूपीडा और तहसील प्रशासन की ओर से भेजे गए नोटिस के बाद करीब दस किसानों ने मुआवजे में मिली अधिक राशि को जमा कर दिया। वहीं कई काश्तकार कोर्ट में चले गए।
कोर्ट ने मुआवजे के निस्तारण की कमान जिला प्रशासन को सौंप दी। एडीएम ने निस्तारण के लिए तहसील प्रशासन को स्थलीय जांच के निर्देश दिए। जिला प्रशासन के आदेश पर तत्कालीन तहसीलदार विश्वेशर सिंह, एसडीएम जयकरन ने अधिक मुआवजा लेने वाले काश्तकारों की भूमि का स्थलीय निरीक्षण करने के साथ राजस्व अभिलेखों में स्थिति देखी। मामला सही मिला। इससे प्रशासन ने काश्तकारों को मुआवजे में ली गई अधिक धनराशि जमा कराने के निर्देश दिए। दो साल बीतने के बाद भी प्रशासन ने एक्सप्रेसवे निर्माण में अधिक मुआवजा लेने वाले किसानों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की।
एक्सप्रेसवे निर्माण में धांधली सामने आने पर भी प्रशासन चुप बैठ गया। तहसीलदार अनिल कुमार सरोज ने बताया कि नोटिस के बाद दस लोगों ने मुआवजे की अधिक राशि जमा कर दी थी। नोटिस के बाद कुछ लोगों के न्यायालय में चले जाने से मामला ठंडा पड़ गया। न्यायालय के आदेशानुसार कार्रवाई की जाएगी।