कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में ऑस्टियो आर्थराइटिस बीमारी को लेकर लोगों को किया गया जागरूक।
हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
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कुरुक्षेत्र, 6 फरवरी :- कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय कुरुक्षेत्र के हेल्थ सेंटर विभाग के मेडिकल ऑफिसर,गैपियो एवं आर एस एस डी आई मेंबर डॉ. आशीष अनेजा के द्वारा ऑस्टियो आर्थराइटिस बीमारी को लेकर लोगों को जागरूक किया गया। डॉ. अनेजा ने बताया कि ऑस्टियोआर्थराइटिस एक चिकित्सीय स्थिति होती है तथा इसे गठिया के नाम से भी जाना जाता है जो कि कैल्शियम की कमी के कारण होता है, यह एक ऐसी स्थिति है जहां जोड़ों में इन्फ्लमैशन बढ़ जाता है जिससे हड्डियों के सिरों पर मौजूद सुरक्षा कवच जो कुशनिंग का काम करते हैं उनका क्षरण होता है और इस प्रकार समय के साथ ये समाप्त हो जाते हैं।
उन्होंने बताया कि ऑस्टियोआर्थराइटिस ज्यादातर घुटने और पीठ जैसे बोझ उठाने वाले जोड़ों को प्रभावित करता है। आंकड़ों की बात की जाए तो यह लगभग 2.4 करोड़ लोगों को प्रभावित करने वाला वैश्विक कारक बन गया है। एक अनुमान के अनुसार आज दुनिया भर में 60 वर्ष से अधिक आयु के 9.6 प्रतिशत पुरुष और 18.0 प्रतिशत महिलाओं में इस रोग के लक्षण मौजूद हैं, महिलाओं में इसका मुख्य कारण ऊंची हील वाले सैंडल पहनना होता है क्योंकि इसके कारण पीठ और पैर की मांसपेशियां प्रभावित होती हैं। अकेले भारत में 2.6 करोड़ लोग इस खतरनाक स्थिति से प्रभावित है। ऑस्टियोआर्थराइटिस आमतौर पर तब होता है जब उपास्थि (एक फिसलन और फर्म ऊतक जो घर्षण रहित संयुक्त गति की अनुमति देता है) जो आपके जोड़ों के अंदर हड्डियों को कुचलने में बिगड़ती है। उपास्थि के नीचे की सतह किसी न किसी बनने लगती है। जैसे-जैसे उम्र बढ़ने लगती हैं, तो हड्डियां कमजोर होने लगती है जो ऑस्टियोआर्थराइटिस का कारण बनती है। इसके अतिरिक्त शरीर का वजन शरीर के जोड़ों पर अधिक दबाव डालता है, जो आपके घुटनों, कूल्हों और जोड़ों पर उपास्थि को अधिक घर्षण के लिए प्रवण कर सकता है। वसा ऊतक प्रोटीन भी उत्पन्न करते हैं जो आपके जोड़ों पर पुरानी सूजन का कारण बन सकते हैं जो ऑस्टियोआर्थराइटिस की ओर जाता है। कई बार खेल खेलने या घातक दुर्घटना से होने वाली चोंटे ऑस्टियोआर्थराइटिस विकसित करने की संभावनाओं को बढ़ा सकती हैं। कई साल पहले हुई चोटों से आप भविष्य में ऑस्टियोआर्थराइटिस विकसित कर सकते हैं। इसके अलावा कुछ नौकरियों में ऐसे कार्य शामिल होते हैं जो एक विशेष संयुक्त पर निरंतर तनाव डालते हैं। यह क्षेत्र आसानी से ऑस्टियोआर्थराइटिस से प्रभावित हो सकता है। कई बार ऐसा भी देखने को मिलता है कि यदि एक या दोनों माता-पिता ऑस्टियोआर्थराइटिस होता है, तो बच्चा ऑस्टियोआर्थराइटिस विकसित करने में भी प्रवण होता है। जो लोग दोषपूर्ण उपास्थि या विकृत संयुक्त के साथ पैदा होते हैं। वे ऑस्टियोआर्थराइटिस विकसित करने में अधिक संवेदनशील होते हैं।
डॉ. अनेजा ने बताया कि व्यायाम और फिजियोथेरेपी ऑस्टियोआर्थराइटिस का एकमात्र दीर्घकालिक उपचार है जब तक कि आप घुटना रिप्लेसमेंट की योजना नहीं बना रहे हों। बहुत से अध्ययनों से इस संबंध में इन दोनों के लाभ की पुष्टि की है। हाइड्रोथेरेपी या वाटर एक्सरसाइज के माध्यम से जोड़ों से वजन कम करने में, इन्फ्लमैशन और डिजेनरेशन को दूर करने में, आइसोमेट्रिक्स और आइसोटोनिक एक्सरसाइज के माध्यम से मांसपेशियों की ताकत को बढ़ाने मेंजॉइन्ट मोबलिज़ैशन तकनीक और इलेक्ट्रोथेरप्यूटिकल तौर-तरीकों के माध्यम से दर्द से राहत मिलती है।
व्यायाम ऑस्टियोआर्थराइटिस के लक्षणों से राहत के लिए वजन प्रबंधन में भी बेहद आवश्यक है। हालांकि एक्सरसाइज प्रोग्राम रोगी की स्थिति और रोग पैटर्न पर निर्भर करता है। एक विशेषज्ञ की देखरेख में इनका अभ्यास करना चाहिए । इसके अलावा ऑस्टियोआर्थराइटिस का ऑर्थोपेडिक विशेषज्ञ द्वारा निदान भी किया जा सकता है। आमतौर इसके लिए एक्स-रे जैसे परीक्षण किए जाते हैं। ये परीक्षण प्रभावित संयुक्त के आस-पास उपास्थि हानि और हड्डी स्पर्स की पुष्टि करते हैं। कभी-कभी, आपकी हड्डी में संयुक्त या रक्त तरल स्तर का विश्लेषण करने के लिए रक्त परीक्षण और संयुक्त तरल पदार्थ विश्लेषण जैसे प्रयोगशाला परीक्षण किए जाते हैं। अंत में डॉ अनेजा ने कहा कि वह इस तरह से लोगों को जागरूक करके एक डॉक्टर के साथ- साथ जिम्मेदार नागरिक की भूमिका भी हमेशा निभाते रहेंगे ।