हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
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यदि राजनीति नीतिविहीन होगी और धन का आगमन भी अधर्म के मार्ग से होगा तो आप अपने घर परिवार और राज्य का विनाश निश्चित समझें।
पानीपत : प्रसिद्ध साहित्यकार ज्योतिषाचार्य डा. महेन्द्र शर्मा ने विशेष बातचीत करते हुए राजनीति विषय पर बताया कि यह लोग भी उतने ही राष्ट्रभक्त है जितना एक आशिक जो अपनी प्रेमिका को उसके प्रश्न करने पर कि तुम मुझ से कब तक प्रेम करोगे तो आशिक उस की आंखों से गिरते हुए आंसू को समुद्र में डाल कर कहता है जब तक तुम समुद्र से अपना आंसू खोज कर नहीं लाती हो मैं तब तक तुम से अथाह प्रेम करता रहूंगा। प्रिय, सरकार अब चंद्रमा मंगल के पश्चात सूर्य तक पहुंच रहे हैं और बस स्वर्ग ही बाकी है, बस एक अवसर और दो। यहां से सब को एक साथ इकठ्ठे ही स्वर्ग की यात्रा करवा देगी। किसी भी देश के राष्ट्रध्यक्ष जब किसी देश की यात्रा पर जाते हैं तो वह अपने देश की आंतरिक राजनीति पर चर्चा न कर के दोनों राष्ट्रों के विश्व के क्षेत्रज संगठनों के परस्पर संबंधों या राजनीति पर चर्चा करते हैं न कि अपने देश की। आंतरिक राजनीति या रहन सहन के स्तर की बात करते हैं। हमारे देश के नेताजी वर्तमान में पोलैंड और यूक्रेन की राजनैतिक यात्रा पर गए हुए हैं। यद्यपि इस तरह के कार्यक्रम तो काफी समय पहले से ही निर्धारित हो जाते हैं लेकिन विपक्ष या सोशल मीडिया पर सरकारी नौकरियों में डायरेक्ट एंट्री के विरुद्ध मुहिम में जवाब न दे पाने की स्थिति में होने पर बुरी तरह से ट्रोल भी हो रहे हैं। 1947 से लेकर 2014 तक भारत में विभिन्न राजनैतिक दलों के नेता प्रधानमंत्री रहे हैं जिन में इनकी पार्टी के श्री पंडित अटल बिहारी वाजपेई भी तीन बार प्रधानमंत्री रहे, किसी ने भी भारत की विदेश नीति को नहीं बदला जो शुरू से चली आ रही थी, लेकिन आज ऐसी क्या आवश्यकता पड़ गई कि नीति में बदलाव हो। क्या कोई विश्व युद्ध होने की संभावना बन रही है कि हमें किसी ग्रुप का साथ चाहिए। 1947 से 2014 तक भारत गुट निरपेक्ष राष्ट्रों में अग्रणी रहा है। भारत ने अतीत में सोवियत यूनियन और अमरीका के शीत युद्ध में नाटो सीटो आदि अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों से अलग रहते हुए “प्यार बांटते चलो” की नीति पर चलते हुए सब देशों से मधुर संबंध बनाए रखे । इस नीति का लक्ष्य था कि किसी न किसी तरह से हमारे देश में विकास हो और हमें सुखद परिणाम भी मिले। यदि भारत इन में किसी ग्रुप का सदस्य होता तो हमारे यहां भी फिलिस्तीन और इसरायल जैसे राजनैतिक माहौल होता। एक ग्रुप में भारत होता तो दूसरे में पाकिस्तान। शायद हम दोनों आपस में लड़ते या न लड़ते लेकिन यह ग्रुप हम दोनों को नित्य लड़वाते रहते। अब तो इक्का दुक्का छूटपुट घटनाएं होती रहती है अन्यथा हम लोग सुरक्षा के लिए अपने घरों में बंकर अवश्य बनवाते ताकि रात को अमन चैन से सो सकें। हमारा देश कॉमनवैल्थ का भी हम अध्यक्ष रहा। अभी एक वर्ष पूर्व हमारे देश में G 20 सम्मेलन हुआ जिस में हमारा देश अध्यक्ष बना। इस सम्मेलन के अध्यक्ष बनने से पहले इस प्रकार का स्टेटमेंट देते तो पता चलता कि हमारी राजनैतिक स्थिति सम्मान क्या है? हमारे देश में ही हमारी थू थू हो जाती। एक ओर तो हमारे प्रधानमंत्री को शौक है की वह चर्चा में रहे दूसरी ओर इनकी दोगली नीति से यह पता चलता है कि हमारे देश का प्रधानमंत्री एक अशिक्षित और विचारहीन व्यक्ति है। इस तरह के वक्तव्य से तो वह अतीत के सभी राजनेताओं का अपमान कर रहे हैं। देश में अगर आप की नीतियों की पकड़ होती तो श्री राम मंदिर, धारा 370 का एक सेक्शन और तीन तलाक के मुद्दों की नीति पर आप को भारत की संसद में 400 से अधिक सीटें मिलती। भगवान ने इन को अयोध्या से तो क्या? भगवान ने सभी धार्मिक सीटों से हरवा कर शिक्षा दे दी। देश की जनता ने आप की विस्फोटक राजनीति और छोटी सोच की सांप्रदायिक नीति ने आप को बैशाखियों पर ला दिया है, हालत तो ऐसे बन गए हैं की लोग अब सरकार समर्थित गोदी मीडिया की जगह सोशलमीडिया को फॉलो करते है, आज देश को जैसे जैसे सत्यता का संज्ञान हो रहा है वैसे वैसे ही आप के राजनैतिक सम्मान का ग्राफ नीचे गिरता जा रहा है, जो रुकने का नाम ही नहीं ले रहा। विदेशों में भारतीय लोगों के हुजूम के सामने किसी तरह की भाषणबाज़ी का कोई प्रभाव नहीं होने वाला। वैसे तो 15 अगस्त के निराशाजनक भाषण से अभी तक किरकरी बन्द नहीं हुई। आप ने देश की जनता का ही विश्वास खो दिया है। हरियाणा के विधान सभा चुनावों में जैसे ही इनकी पार्टी की हाई कमान ने कहा कि पुराने प्रत्याशियों की जगह नए युवा लोगों को अवसर दिया जाएगा तो इन की पार्टी के लोग इस तरह से टिकट का आवेदन करने लगे कि अब जैसे हर गली मोहल्ले का एक विधायक बनेगा। क्योंकि सभी पुराने कार्यकर्ता पार्टी की नीतियों से तंग है कि इस सिद्धांतवादी पार्टी का पूरी तरह से कांग्रेसीकरण हो गया है। छोटे छोटे राजनैतिक लाभ लेने के लिए आपकी पार्टी के जमीनी कैडर ने पुरुषार्थ करना बन्द कर दिया है, जिस नीति से पार्टी को भविष्य में नुकसान होना तय होता है, क्यों कि वह जानने लग जाते हैं मेहनत क्यों की जाए जब इस प्रकार के दलबदलु नेताओं की टिकट दे देंगे। हमेशा संशय बना रहता है कि यह फसलीबटेर नेता इन के दल में कब तक रहेंगे, राजनैतिक हालात सदैव एक जैसे नहीं रहते, ज़रा सा भी भूकम्प की स्थिति बनी तो यह नेता चूहों की तरह जहाज छोड़ कर भाग जायेंगे। इस में सत्यता है आप कांग्रेस के दरबार में जाकर देखें कि अतीत के नेता घर वापिसी के लिए तरस रहे हैं।
आटे में नमक तो मिलाया जाता है लेकिन इस वर्ष तो देश में नमक में आटे को मिलाने की राजनीति चल रही है। समझते सारे हैं और समझती तो दुनियां भी है। अब हालात ऐसे बन गए हैं कि राजनेताओं के साथ आम जनता बागी होती जा रही है। जनता ने 2024 में एक अवसर भुना लिया है और दूसरे में पटकनी दे सकती है इसकी पूरी पूरी सम्भावना है। भगवान कृपा बनाए रखे यदि ईवीएम पर खेला न हुआ तो … परिणाम आम जनता की इच्छानुसार वही होगा जो वह चाहती है।
भगवान श्री राम की राजनीति के अनुकरण का समय आ गया है।
नीति प्रीति परमारथ यथारथ।
नहीं कोऊ जान सम राम यथारथ।।
इस लिए स्थाई राजनीतिक अस्तित्व के आधारभूत नियमन का अवमुल्यन न होने दें।
डॉ. महेन्द्र शर्मा “महेश”