बिहार: सरकार की गलत नीतियों के कारण शिक्षक समस्याओं से त्रस्त:प्रशांत किशोर

सरकार की गलत नीतियों के कारण शिक्षक समस्याओं से त्रस्त:प्रशांत किशोर

हाजीपुर(वैशाली)सरकार की गलत नीतियों के कारण शिक्षक समस्याओं से त्रस्त हैं।अपनी समस्याओं के समाधान के लिए निरंतर आंदोलन करने को विवश शिक्षकों को शिक्षा की बदहाली के लिए जिम्मेदार ठहराना उचित नहीं है।उक्त बातें बागमली स्थित चित्रांश कमिटी हॉल में परिवर्तनकारी प्रारंभिक शिक्षक संघ द्वारा बिहार के संदर्भ में शिक्षा और शिक्षकों के समक्ष चुनौतिया विषयक आयोजित शैक्षिक परिचर्चा को संबोधित करते हुए जन सुराज के नेता और देश के जाने-माने राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने कही।उन्होंने कहा कि बंगाल विधानसभा चुनाव में 60 से अधिक शिक्षक विधायक चुनकर आए हैं लेकिन बिहार में सरकारी तंत्र शिक्षकों को हमेशा नीचा दिखाने का प्रयास कर रहा है।जिसका व्यापक प्रभाव शिक्षा पर पड़ रहा है।उन्होंने कहा कि जो लोग यह कहते हैं कि बिहार के स्कूलों में शिक्षक नहीं पढ़ाते हैं उन्हें यह बताना चाहिए कि पटना का साइंस कॉलेज सहित राज्य के सभी उपलब्ध प्रतिष्ठित महाविद्यालय और विश्वविद्यालय की शिक्षा व्यवस्था आज क्यों बदहाल हो गई है।शैक्षिक परिचर्चा की अध्यक्षता परिवर्तनकारी प्रारंभिक शिक्षक संघ प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर ब्रजवासी ने की एवं कार्यक्रम का संचालन जिला वरीय सचिव नवनीत कुमार ने की।संघ के प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर ब्रजवासी ने सम्बोधित करते हुए कहा कि राज्य के नियोजित शिक्षक समस्याओं से इस कदर परेशान है कि वे शारीरिक रूप से भले ही स्कूल में रहते हैं लेकिन मानसिक रूप से अपने न्यूनतम आवश्यकता की पूर्ति के लिए परेशान रहते हैं। विगत 19 वर्षों से काम कर रहे हैं। नियोजित शिक्षकों के लिए स्थानांतरण की सुविधा नहीं दी गई जिस कारण सैकड़ों शिक्षिका आज भी मायके में ही नौकरी करने को विवश है।आज तक इन्हें प्रोन्नति भी नहीं दी गई।शिक्षक अपनी सेवानिवृत्ति के बाद के जीवन के लिए चिंतित है क्योंकि उन्हें पेंशन नहीं दिया गया। शिक्षक हमेशा विकल्प की तलाश में रहते हैं।क्योंकि इस पेशा में उनका भविष्य अंधकार में नजर आता है।मंच का संचालन करते हुए वरीय सचिव नवनीत कुमार ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2022 का राज्य में पालन नहीं हो रहा है शिक्षकों से गैर शैक्षणिक गतिविधियां कराई जाती है मध्याह्न भोजन,सर्वेक्षण कार्य,अनाज वितरण,पोशाक योजना,छात्रवृत्ति, साइकिल वितरण,बीएलओ एवं तरह-तरह के राज्य द्वारा विद्यालय से डाटा की मांग की जाती है।जिससे बच्चों की शिक्षा काफी प्रभावित होती है।परिवर्तनकारी प्रारंभिक शिक्षक संघ वैशाली जिला अध्यक्ष दिनेश पासवान ने कहा कि 63% बिहार की साक्षरता दर है इसका मतलब राज्य में औसतन 63 छात्रों पर केवल एक ही शिक्षक उपलब्ध है।राष्ट्रीय औसत शिक्षकों की उपलब्धता 40% होनी चाहिए।बिहार के प्रारंभिक स्कूलों में शिक्षकों का करीब ढाई लाख से ज्यादा पद रिक्त है।बेरोजगारी की भी कोई कमी नही स्नातक पास 34.3 प्रतिशत युवाओं को रोजगार नही है। जब शिक्षकों की उपलब्धता बढ़ेगी नही तब तक साक्षरता का दर नही बढ़ेगा।महिला सामाजिक संगठन पंचशील की अध्यक्ष केकि कृष्णा ने कहा बच्चों को शैक्षणिक सहयोग समय से नहीं मिलता 2017 तक सरकार छपी किताबें 1 से 8 तक के बच्चों को मुफ्त देती थी इसमें आधा सत्र बीत जाता था।अब पैसा मिलता है वह भी आधे बच्चों को साथ ही समय पर नहीं मिल पाता।बिना परीक्षा बच्चों को पास करना सरकार की नीति है मैट्रिक की परीक्षा में वह भी बच्चा टॉप कर सकता है जिसे अंग्रेजी में फेल हो गए।राजनीति शास्त्र में गोल्ड मेडलिस्ट पाने वाली प्राकृती सिन्हा ने कहा बिहार के छात्र हर साल आईएएस,आईपीएस,सीए, आईआईटी जैसे कठिन परीक्षाओं में बिहार के छात्र अपना दबदबा बनाए रखते हैं।इसका ये मतलब हुआ यहाँ के छात्र काफी मेहनती एवं प्रतिभाशाली होते है।सबसे परिश्रमी माने जाने वाले यह बिहारी आज शिक्षा के क्षेत्र मे पीछे क्यों हैं?कहीं न कहीं सरकार की नीति और शिक्षा विभाग की कार्यशैली पूरी तरह जिम्मेदार है।इस शैक्षिक परिचर्चा में कई शिक्षकों ने संबोधित किया जिसमें जिला संयोजक मनौवर अली नूरानी, सचिव अब्दुल कादिर,कोषाध्यक्ष इंद्रदेव महतो,सचिव नागमणि,महुआ प्रखंड अध्यक्ष राजीव कुमार, चेहरकला प्रखंड अध्यक्ष श्यामलाल दास,हाजीपुर प्रखंड अध्यक्ष राजू रंजन चौधरी,संयोजक अमरेंद्र कुमार, मोहम्मद आज़ाद,अरविंद कुमार केजरीवाल,महेश प्रसाद यादव इत्यादि सैकड़ो शिक्षक उपस्थित रहे।
रिपोर्ट मोहम्मद शाहनवाज अता

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