रुड़की
एंकर:माहे रमजान की आखिरी अरसे की ताक रातो में अकीदतमंद शबे कादर की तलाश करते हैं। ऐसी मान्यता है कि सबे कदर की रात ही कुराने पाक नाजिल होना आरंभ हुआ था ।शबे कद्र की रात आसमा से जमी पर फ़रिश्ते उतरते हैं और इबादत करने वाले की दुआ कबूल करते हैं आखरी ताक रातें 21,23 ,25, 27 और 29 इन्हीं पांच रातों में से एक शबे कद्र की रात मानी जाती है हर मोमिन की ख्वाहिश होती है कि इस रात को इबादत में गुजारे । उलेमाओ का तो यहां तक मानना कि इस रात में खारा पानी मीठा हो जाता है। करुणा महामारी का प्रकोप देश में लगातार बढ़ रहा है को देखते हुए मुस्लिम धर्मगुरुओं ने मुस्लिमों से अपील की है कि शबे कदर की रातों में खुदा से दुआ करें कि हमारे देश से कोरोना का खात्मा जल्द से जल्द हो जाए और देश में अमन शांति बनी रहे
बाईट मुफ़्ती राशिद (मुस्लिम धर्म गुरु)