प्राकृतिक कृषि सखी बनाने की पहल कोअन्य राज्य भी अपनाएं : राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मुजी।

वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।

राष्ट्रपति भवन में राज्यपाल सम्मेलन का आयोजन : उप राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री नरेंद्रभाई मोदी और गृहमंत्री अमितभाई शाह की उपस्थिति में सार्थक चर्चा हुईं।

राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने राज्यपालों की अनौपचारिक बैठक की अध्यक्षता की और चौथे समूह के संयोजक के तौर पर चर्चा का नेतृत्व किया: प्राकृतिक कृषि विषय प्रथम पंक्ति में रहा।

राज्यपाल समाज की सेवा में सक्रिय भूमिका निभाएं : राष्ट्र के विकास को गति प्रदान करने में अपना योगदान दे : राज्यपाल सम्मेलन में विस्तृत विचार-विमर्श।

नयी दिल्ली : राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मुजी, उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़, प्रधानमंत्री श्री नरेंद्रभाई मोदी और गृहमंत्री अमितभाई शाह की उपस्थिति में भारत के राज्यपालों का सम्मेलन आयोजित हुआ। राज्यपाल सम्मेलन-2024 में गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने तमाम राज्यपालों की अनौपचारिक बैठक की अध्यक्षता की। उन्होंने राज्यपालों के समूह-4 के संयोजक के तौर पर चर्चा का नेतृत्व भी किया। साथ ही, राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री सहित महानुभावों की उपस्थिति में उनकी प्रस्तुति की।

भारत के राज्यपाल समाज की सेवा में सक्रिय भूमिका निभाएं। इतना ही नहीं, राष्ट्र के विकास को गति प्रदान करने में क्या योगदान दे सकते हैं? इस विषय पर विचार-विमर्श करने के लिए आयोजित राज्यपाल सम्मेलन- 2024 के शुभारम्भ सत्र में राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मुजी ने कहा कि इस सम्मेलन के एजेंडा में समाविष्ट विषय हमारे राष्ट्रीय लक्ष्य की प्राप्ति के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। प्राकृतिक कृषि का विस्तार करना यह भी लक्ष्य की एक प्राथमिकता है।

राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मुजी ने कहा कि प्राकृतिक कृषि को प्राथमिकता देकर भूमि की उर्वरकता बढ़ाने के साथ-साथ किसानों की आय भी बढ़ानी है। उन्होंने कहा कि “ राज्यपाल आचार्य देवव्रत प्राकृतिक खेती के लिए निरंतर कार्य कर रहे हैं। अन्य राज्यपाल भी राजभवनों द्वारा प्राकृतिक खेती के श्रेष्ठ उदाहरण प्रस्तुत कर जनजागृति ला सकते हैं।”

प्रधानमंत्री नरेंद्रभाई मोदी ने राज्यपालों से आग्रहपूर्वक कहा कि वह केंद्र और राज्यों के बीच प्रभावी सेतु की भूमिका अदा करें। नागरिकों और सामाजिक संगठनों के साथ इस प्रकार संवाद स्थापित करें कि वंचित लोग विकास यात्रा में शामिल रहें। उन्होंने कहा कि संविधान को साथ रखकर राज्यपाल, लोगों के कल्याण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।

राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने राज्यपाल सम्मेलन से पूर्व राष्ट्रपति भवन में आयोजित राज्यपालों की अनौपचारिक बैठक की अध्यक्षता की। तमाम राज्यपालों को सम्बोधित करते हुए उन्होंने जनहित के राष्ट्रीय अभियानों की सफलता के लिए राज्यपाल किस प्रकार सक्रिय योगदान दे सकते हैं, जनता का राज्यपाल कैसा हो, विभिन्न एजेंसियों और संगठनों के बीच श्रेष्ठ समन्वय किस तरह साधा जा सकता है और इसमें राज्यपाल क्या भूमिका अदा कर सकते हैं? इस पर विचार-विमर्श करके दो दिवसीय सम्मेलन के दौरान होने वाले परामर्श के लिए मार्गदर्शक अभिप्राय दिया।

2 और 3 अगस्त 2024 के दौरान आयोजित राज्यपाल सम्मेलन में राज्यपालों के छह पृथक समूहों में अलग-अलग विषयों पर विचार-विमर्श किया गया। राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने समूह-4 के संयोजक के तौर पर आंध्रप्रदेश के राज्यपाल एस. अब्दुल नजीर, अरूणाचल प्रदेश के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल कैवल्य त्रिविक्रम परनाइक, उड़ीसा के राज्यपाल रघुबर दास के साथ ‘माय भारत’, एक भारत- श्रेष्ठ भारत, एक पेड़ मां के नाम और प्राकृतिक खेती अभियान में राज्यपालों की भूमिका पर विचार-विमर्श किया।

इस बैठक में खेलकूद और युवा मामलों के केंद्रीय मंत्री श्री मनसुखभाई मांडविया, वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री श्री कीर्तिवर्धन सिंह, कृषि एवं किसान कल्याण राज्यमंत्री भगीरथ चौधरी और वरिष्ठ सचिवों ने भाग लिया।

राज्यपाल सम्मेलन के अंतिम दिवस। राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने ग्रुप-4 में राज्यपालों और केंद्रीय मंत्रियों तथा अधिकारियों के साथ हुए विचार- विमर्श की फलश्रुति राष्ट्रपति, उप राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री एवं गृहमंत्री तथा समस्त राज्यपालों के समक्ष प्रस्तुत की।

समापन के अवसर पर राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मुजी ने कहा कि बजट में आगामी दो वर्ष में देश में एक करोड़ किसानों को प्राकृतिक खेती के साथ जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है। उन्होंने तमाम राज्यपालों को प्राकृतिक कृषि पर किसानों को जागरूक करने का अनुरोध करते हुए कहा कि इससे प्राकृतिक कृषि को तो गति मिलेगी ही, साथ ही किसानों को भी लाभ होगा। गुजरात में ग्रामीण महिला किसानों को प्राकृतिक खेती की पांच दिवसीय तालीम दी जा रही है। गुजरात के इस महा अभियान की प्रशंसा करते हुए राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मुजी ने सुझाव दिया कि ‘प्राकृतिक कृषि सखी’ बनाने की गुजरात की पहल का अन्य राज्य भी अनुसरण करें।

उन्होंने कहा कि राज्यपालों की सक्रिय भागीदारी से इस सम्मेलन में राष्ट्रीय महत्व के विभिन्न मुद्दों पर सार्थक चर्चा हुई है। उप राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और गृहमंत्री ने भी अपने सम्बोधनों में राष्ट्रीय प्राथमिकताओं पर मार्गदर्शन दिया। महत्वपूर्ण रचनात्मक अभिप्रायों के लिए राष्ट्रपति जी ने सभी राज्यपालों की सराहना की और इस सम्मेलन के निष्कर्षों को कार्यरत करने का अनुरोध किया।

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