बिहार:क्लास में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले छात्र छात्राओं के बीच पुरस्कार वितरण समारोह का हुआ आयोजन

क्लास में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले छात्र छात्राओं के बीच पुरस्कार वितरण समारोह का हुआ आयोजन।।

अररिया
स्थानीय गर्ल्स आइडियल एकेडमी अररिया के प्रांगण में आयोजित पुरस्कार वितरण समारोह में फाइनल परीक्षा में बेहतरीन प्रदर्शन कर सभी वर्गों में प्रथम द्वितीय एवं तृतीय स्थान प्राप्त करने वाले छात्र छात्राओं को अतिथियों के हाथों मेडल पहनाकर और प्रशस्तिपत्र देकर सम्मानित किया गया। पुरस्कार वितरण समारोह में शामिल अतिथियों का स्वागत स्कूल्स ऑफ आइडियल ग्रुप के निदेशक प्रोफेसर अलामख्तुर मुजीब ने किया। कार्यक्रम का संचालन स्कूल के मैनेजर मुकशीत अली ने किया। मुख्य अतिथि के रूप में एडवोकेट मो० ताहा खामोश साहब, मौलाना नियाज़ अहमद,मो० आफताब फिरोज़, प्रोफेसर अनिल कुमार मिश्रा, विकास कुमार आदि उपस्थित रहे।इस मौके पर छात्र छात्राओं को संबोधित करते हुए निदेशक मो० अलामख्तुर मुजीब ने कहा कि शिक्षा की प्रक्रिया गुरु और शिष्य के मध्य शिक्षण अधिगम द्वारा ही संभव होती है। प्राचीन काल में गुरुकुल में जा कर शिक्षा ग्रहण करने की परंपरा थी,तत्पश्चात समय के साथ साथ शिक्षण-व्यवस्था में भी परिवर्तन होते रहे। कम्प्यूटर के आविष्कार के बाद शिक्षा में इसके महत्व को स्वीकारा गया और शैक्षिक पाठ्यक्रम में कम्प्यूटर को एक विषय के रूप में शामिल किया गया। धीरे -धीरे टेक्नोलॉजी का विकास होता गया और शिक्षा के डिजिटलीकरण की प्रक्रिया शुरू हो गई और डिजिटल शिक्षा की अवधारणा ने जन्म लेना शुरू कर दिया। डिजिटल शिक्षा का अर्थ है- शिक्षा में ऐसे उपकरणों और तकनीकों का उपयोग करना जो बहुत नवीन हों।
जैसे जैसे-जैसे कोरोना महामारी ने अपने पैर पसारने शुरू किए सभी संस्थान ,फैक्टरीज, इंडस्ट्रीज़ और विद्यालय बन्द हो गए,और एकाएक ऑनलाइन माध्यम की शुरुआत हो गई। इस काल में शिक्षा का तेजी से डिजिटलीकरण हुआ।वो दिन अब नहीं रहे, जब कक्षा में शिक्षा का मतलब किताबें पढ़ना, शिक्षकों का चीजें समझाने के लिए ब्लैकबोर्ड पर लिखना और छात्रों का नोट्स लिखना, इन्हीं चीजों तक सीमित था।आज शिक्षा को प्रभावी बनाने के लिए बच्चे, माता पिता और शिक्षक टेक्नोलॉजी का किस तरह इस्तेमाल करते हैं, यही डिजिटल शिक्षा का पहला उद्देश्य है। यह सच है जब टेक्नोलॉजी शैक्षिक उद्देश्यों के लिए अच्छी तरह इस्तेमाल की जाती है, तब शिक्षा का अनुभव ज्यादा असरदार होने में मदद मिलती है।इस डीजिटल युग में अभिभावकों को बच्चों पर नज़र रखने की जरूरत है कि वो इस डीजिटल उपकरणों का इस्तेमाल किसी अनैतिक कार्यों के लिए तो नहीं कर रहे हैं।
कार्यक्रम को सफल बनाने में प्रिंसिपल नातिक मुजीबी, शिक्षक प्रभात चन्द्र सिंह, नौशाद आलम, नन्द किशोर,आरीफ रेजा, रेहान रेजा, तबस्सुम आरा आदि का महत्त्वपूर्ण भूमिका रहा।।

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