हरियाणा :कोरोना महामारी का मुकाबला डरकर नहीं बल्कि डटकर करना है : प्रो. सोमनाथ।

हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
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कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय तथा महात्मा गांधी ग्रामीण शिक्षा राष्ट्रीय परिषद, उच्च शिक्षा विभाग, शिक्षा मंत्रालय (भारत सरकार) के सहयोग से कोविड हेल्पर्स स्किल्सः महामारी के दौरान मनोसामाजिक कौशल में सुधार के लिए मार्गदर्शन विषय पर वेबिनार आयोजित।

कुरुक्षेत्र, 26 मई :- कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा ने कहा कि कोरोना काल के दौरान आयोजित यह कार्यक्रम कोरोना से प्रभावित व्यक्तियों तथा कोरोना से प्रभावित व्यक्तियों की सहायता करने वाले सहायकों के लिए लाभदायक सिद्ध होगा। इस तरह का कार्यक्रम विश्वविद्यालय के छात्रों को वालिंटियर बनने के लिए एक नई राह दिखाएगा। वे बुधवार को कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय तथा महात्मा गांधी ग्रामीण शिक्षा राष्ट्रीय परिषद, उच्च शिक्षा विभाग, शिक्षा मंत्रालय (भारत सरकार) के सहयोग से कोविड हेल्पर्स स्किल्सः महामारी के दौरान मनोसामाजिक कौशल में सुधार के लिए मार्गदर्शन“ विषय पर आयोजित एक दिवसीय ऑनलाइन कार्यशाला में बोल रहे थे।
कुलपति ने कहा कि विद्यार्थी अपने आस-पास के क्षेत्र में सामाजिक गतिविधियों में बढ़-चढ़कर भाग लें तथा टीम का हिस्सा बनकर कोविड सहायक के रूप में कोरोना पीड़ितों की मदद करें। वे कोविड संवाद टीमों का हिस्सा बनकर एक नई मिसाल कायम कर दूसरों को भी मदद करने के लिए प्रेरित करें। कुलपति ने कहा कि कुवि के शिक्षक व कर्मचारी स्वयंसेवक के रूप में पहले से ही कोरोना पीड़ितों के लिए सहयोग कर रहे हैं। विश्वविद्यालय द्वारा चलाई जा रही रसोई के माध्यम से कोरोना ग्रस्त लोगों को भोजन उपलब्ध करवाया जा रहा है। विश्वविद्यालय के स्वास्थ्य केन्द्र द्वारा थर्मामीटर, आक्सीमीटर, दवाईयां तथा स्वास्थ्य सम्बंधी परामर्श 24 घंटे उपलब्ध करवाए जा रहे हैं। विश्वविद्यालय के सफाईकर्मी भी दिनरात सफाई कर रहे हैं, विश्वविद्यालय में सैनिटाईजेशन का कार्य भी किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि हमें इस भयंकर महामारी का मुकाबला डरकर नहीं बल्कि डटकर करना है। हमे अंधकार से प्रकाश की ओर चलकर इस संकट से बाहर आना है। इसके लिए हम सभी को मिलकर प्रयास करने की आवश्यकता है। कोरोना संकट से उबरने के लिए समाज से लेने की नहीं बल्कि देने की भावना से कार्य करना होगा।
छात्र कल्याण अधिष्ठाता प्रो. अनिल वशिष्ठ ने कहा कि वालंटियर में साईको स्किल से पहले योगदान करने की भावना, आगे आना की भावना का जागृत होना अहम है। हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि हमें किस क्षेत्र पर कार्य करना है। अनुशासन में रहते हुए लोगों को जागरूक करते हुए समाज को संदेश दें व स्वयं को सुरक्षित रखें।
उन्होंने साइको सोशल स्किल्स के बारे में बताते हुए कहा कि हम कैसे समाज की सहायता कर सकते है? इसके लिए सबसे पहले स्वयं को सुरक्षित करना, कोरोना संबंधी एसओपीस की पालना करना, परिवार को सुरक्षित रखना तथा समाज को सुरक्षित रखने के लिए जागरूक करना आवश्यक है। उन्होंने बताया कि कम्प्यूटर स्किल्स वाला स्वयंसेवक व्यक्ति जिला प्रशासन के लिए डाटा ट्रांसफ्रर एवं क्लेक्शन में मदद कर सकता है। वहीं गृह विज्ञान का जानकार कोविड के दौर में स्वस्थ भोजन के विषय में संस्था की सहायता कर सकता है। उन्होंने बताया कि कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय ने पहले भी कोविड महामारी में काम करने वाले स्वयंसेवकों को सम्मानित किया है। उन्होंने कहा कि सेवाभाव के साथ राष्ट्र, राज्य एवं समाज हित के कार्यों से जुड़कर ही नेतृत्व के गुणों को विकास होता है।
महात्मा गांधी ग्रामीण शिक्षा राष्ट्रीय परिषद के चैयरमेन डॉ. डब्ल्यू.जी. प्रसन्ना कुमार के दिशा-निर्देशानुसार डॉ. रणबीर सिंह बतान ने बताया कि कोरोना वैश्विक महामारी के दौरान साइको सोशल स्किल्स की पांच टीमें बनाई गई हैं जिनमें हॉस्पिटल मैनेजमेंट, नॉन हॉस्पिटल मैनेजमेंट, फैमिली स्पोर्ट, इमोशनल एवं राइट इंफोरमेशन टीम शामिल है। उन्होंने कहा कि इसका उद्देश्य हॉस्पिटल में बेड एवं वैक्सिनेशन एवं ऑक्सीजन सिलेंडर की उपलब्धता संबंधी जानकारी प्रदान करना, सोशल सर्विस, कोरोना संक्रमित व्यक्ति के परिवार की आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर सहायता करना, उनके साथ भावनात्मक रूप से जुड़कर उनका साथ देना, जरूरतमंद व तनावग्रस्त लोगों की मदद करना है। उन्होंने कहा कि जब कुरुक्षेत्र की भूमि ने भारतवर्ष को गीता का ज्ञान दे सकती है तब मानवता का संदेश का दे सकती है। हमें मानवीय मूल्यों को समझकर लोगों से भावनात्मक रूप से जुड़कर अपने पास-पड़ोस, समाज एवं राष्ट्रहित में कार्य करने की जरूरत है।
महात्मा गांधी ग्रामीण शिक्षा राष्ट्रीय परिषद, उच्च शिक्षा विभाग, शिक्षा मंत्रालय (भारत सरकार) के साई सुधीर ने कहा कि कोरोना पीड़ित व्यक्ति की हर संभव मदद करनी चाहिए। इस गंभीर स्थिति में कोरोना पीडितों को मानसिक, सामाजिक मदद की आवश्यकता है। आक्सीजन, टीका, बेड, खाना व दवाईयां आदि की उपलब्धता के बारे में जानकारी प्रदान करके वालिंटियर अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा कर इनकी सहायता कर सकते हैं।
कार्यशाला के संयोजक डॉ. अजय जांगडा ने कार्यशाला के उद्देश्य के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि इस कार्यशाला में 900 से अधिक पंजीकरण किए गए थे जिसमें से 21 प्रतिशत शिक्षक वर्ग, 70 प्रतिशत विद्यार्थी व लगभग 8 प्रतिशत अन्य सरकारी व गैर-सरकारी कर्मचारी, बिजनेसमैन व अन्य सामाजिक व्यक्तियों ने भाग लिया। उन्होंने बताया कि कार्यशाला में हरियाणा, पंजाब, उड़ीसा, तेंलगाना, दिल्ली सहित नेपाल देश से भी प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया जिनमें शिक्षाविदों, शोधार्थियों, विद्यार्थियों एवं सामाजिक संस्थाओं के प्रतिनिधि शामिल रहे। कार्यक्रम में कार्यशाला के सह-संयोजक डॉ. कुलदीप सिंह ने सभी का धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि हमें फल की इच्छा किए बिना कर्म करना चाहिए। कार्यशाला में प्रतिभागियों द्वारा पूछे गए प्रश्नों के उत्तर भी दिए गए।
इस कार्यशाला में डीन एकेडमिक अफेयर्स प्रो. मंजुला चौधरी, कुलसचिव डॉ. संजीव शर्मा, प्रो. डीएस राणा, प्रो. नीलम ढांडा, सहित विश्वविद्यालय के शिक्षकों, अधिकारियों व कर्मचारियों सहित बड़ी संख्या में प्रतिभागियों ने आनलाईन भाग लिया।

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