विश्व रक्तदाता दिवस 14 जून पर विशेष, हरियाणा पुलिस विभाग के अधिकारी की जनहित कहानी।
 
हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
दूरभाष – 9416191877

हरियाणा पुलिस में सबसे अधिक रक्तदान करने वाले उप निरीक्षक डॉ. अशोक कुमार वर्मा।
राष्ट्रपति पुलिस पदक से विभूषित डॉ. अशोक के प्रयासों से 47673 लोगों को रक्त का लाभ मिला।
149 बार रक्तदान कर चुके हैं जिसमे 68 बार प्लेटलेट्स वे दे चुके।
बिना किसी बैनर और संस्था के सहयोग से लगा रहे हैं निरंतर रक्तदान शिविर।
कोरोना के समय 54 रक्तदान शिविर किए आयोजित।

कुरुक्षेत्र : राष्ट्रपति पुलिस पदक से विभूषित, राष्ट्रीय स्वर्ण पदक विजेता, डायमंड रक्तदाता एवं पर्यावरण प्रहरी के नाम से प्रसिद्ध डॉ. अशोक कुमार वर्मा हरियाणा पुलिस में 26 नवंबर 1998 को सिपाही के रूप में भर्ती हुए थे। वे वर्ष 2005 में मुख्य सिपाही, 2008 में सहायक उप निरीक्षक बने थे। अब वे हरियाणा राज्य स्वापक नियंत्रण ब्यूरो में जागरूकता कार्यक्रम एवं पुनर्वास प्रभारी के रूप में नियुक्त है। वे बिना किसी बैनर के बिना किसी सहयोग लिए अब तक स्वयं 404 स्वैच्छिक रक्तदान शिविर आयोजित कर चुके हैं जिससे 47673 लोगों को रक्त का लाभ मिला है क्योंकि एक इकाई रक्त से तीन लोगों को लाभ पहुँचता है। वे स्वयं भी 149 बार रक्तदान कर चुके हैं जिसमे 68 बार प्लेटलेट्स वे दे चुके हैं. वे 1989 से रक्तदान कर रहे हैं और 2010 में अपने सैनिक पिता श्री कली राम खिप्पल की स्मृति में पहला रक्तदान शिविर लगाया था. वर्ष 2011 में 3, 2012 में 8, 2013 में 16, 2014 में 26, 2015 में 26, 2016 में 30, 2017 में 44, 2018 में 51, 2019 में 55, 2020 में 54, 2021 में 69 और वर्ष 2022 में अब तक 22 स्वैच्छिक रक्तदान शिविर आयोजित किए हैं। पुलिस विभाग में रहते हुए वे सेवा सुरक्षा और सहयोग को जीवन में चरितार्थ कर रहे हैं। उन्हें वर्ष 2017 में सर्वोच्च रक्त संग्रहण के लिए माननीय राज्यपाल हरियाणा द्वारा राज्यपाल ट्रॉफी से सम्मानित किया गया था। पुलिस विभाग में सबसे अधिक रक्तदान करने वाले डॉ. अशोक कुमार वर्मा पहले पुलिस के अराजपत्रित अधिकारी हैं। रक्तदान की प्रेरणा उन्हें अपने सैनिक पिता श्री कली राम खिप्पल से मिली थी. रक्तदान में विशेष कार्य करने के पीछे भी एक कहानी है। वैसे तो वे नियमित रक्तदाता रहे हैं लेकिन जब रक्त की बहुत अधिक मांग को देखा और लोगों को रक्त के लिए भटकते हुए देखा तो उन्होंने इसे अपने जीवन में आत्मसात किया और स्वैच्छिक रक्तदान शिविर लगाने का बीड़ा उठाया. उन्होंने आज तक किसी भी रक्तदान शिविर में किसी भी व्यक्ति से आर्थिक रूप से कोई सहायता नहीं ली है। केवल अल्पाहार की व्यवस्था रेड क्रॉस द्वारा की जाती है। प्रत्येक वर्ष में रक्तदान शिविरों में आने वाले खर्च को वे स्वयं वहां करते हैं. वर्ष 2020 में कोरोना के समय रक्त की भारी कमी आने पर उन्होंने अपने स्वास्थ्य की परवाह न करते हुए 54 स्वैच्छिक रक्तदान शिविर करनाल और कुरुक्षेत्र में लगाए और रक्त की नियमित आपूर्ति करते रहे. वे पुलिस में भर्ती होने के पश्चात भी अपनी शिक्षा को पूरी करने में लगे रहे और सैनिक पिता कलीराम खिप्पल जी के स्वप्न को साकार करने के लिए उन्होंने बीकॉम, एमकॉम, एलएलबी, एलएलएम, पीएचडी, एमए लोक प्रशासन, पीजी डिप्लोमा इन साइबर लॉ के साथ अनेक शैक्षिक डिग्रीयां प्राप्त की हैं। पुलिस विभाग के अधिकतर कोर्स वे पास कर चुके हैं. पुलिस विभाग में उत्कृष्ट सेवाओं के लिए उन्हें 102 से अधिक प्रशंसा पत्र और 41190 रूपए के नगद पुरस्कार भी मिले हैं। मंत्री से लेकर मुख्यमंत्री और राज्यपाल से वे सम्मानित हो चुके हैं. 26 अप्रैल 2022 को माननीय राज्यपाल हरियाणा द्वारा उन्हें राष्टपति द्वारा प्रदत्त पुलिस पदक से विभूषित किया गया है।

Read Article

Share Post

VVNEWS वैशवारा

Leave a Reply

Please rate

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

पांच वर्ष की उम्र में हुआ विटिलिगो (सफेद दाग) रोग, आयुर्वेदिक इलाज से हुए ठीक

Mon Jun 13 , 2022
हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।दूरभाष – 9416191877 कुरुक्षेत्र : जिस उम्र में बच्चे मनचाहा खाते-पीते हैं अगर उस आयु के अन्दर खटे-मिठे खाने का परहेज करना पड़े, इससे बच्चे की जिंदगी नासूर बन जाती है। ऐसा ही हुआ कुरुक्षेत्र की सेक्टर चार निवासी गनिका के साथ। गनिका को […]

You May Like

Breaking News

advertisement