अल्लाह को राजी करने का महीना है रमजान : इमरोज़अहमद
रमजान उल मुबारक वो मुक़द्दस पवित्र महीना है इसकी अजमत का अंदाजा कोई नहीं लगा सकता है क्योंकि अल्लाह ने इस महा को खास बनाया है रमजान में बंदो के लिए माफी के सारे दरवाजे को दिए जाते हैं और उनके गुनाह बख्श दिए जाते हैं रोजेदार के लिए फ़रिश्ते दिन-रात मगफिरत की दुआ करते हैं रोजेदार अपने रब पर भरोसा करके पूरे दिन भूख और प्यास को बर्दाश्त करते हैं अपने रब को राजी करने की कोशिश करते हैं और अल्लाह ताला की इबादत करता है इस पवित्र महीने के रोजे हर इंसान पर फ़र्ज हैं रोजा जानबूझकर छोड़ देने वाला व्यक्ति बहुत बड़ा गुनहगार है अजाब (सजा) का हकदार है रमजान उल मुबारक को तीन अशरो में बांटा गया है पहला रहमत दूसरा मगफिरत व तीसरा जहन्नम से आजादी का अशरा होता है रमजान में कोई ऐसा कार्य ना करें जिससे किसी को कोई दिक्कत हो