गोरखपुर के रामगढ़ ताल मे फिर से लगा जलकुंभियों का ढेर
झील की खुबसूरती पर जलकुंभी का दाग
गोरखपुर।मुख्यमंत्री का ड्रीम प्रोजेक्ट सी प्लेन रामगढ़ ताल झील की सुन्दरीकरण मे बढ़ते जलकुंभी से सफाई व्यवस्था व सुन्दरीकरण की पोल खोलती नजर आ रही है।प्रतिवर्ष अरबों रुपये रामगढ़ ताल झील की सफाई के नाम पर खर्च किया जाता है लेकिन जलकुंभी झील में पुनः कैसे आ जाती है यहभी एक सवाल खड़ा होता है कि सफाई के नाम पर अरबों रुपये खर्च कर दिया जाता है।लेकिन जलकुंभी जस के तस दिखाई देता है अभी हाल ही में मुख्यमंत्री ने गोरखपुर महोत्सव के समापन समारोह को संबोधित करते हुए कहा था कि रामगढ़ ताल से सी प्लेन उतारने का प्रावधान किया जा रहा है जिसकी प्रक्रिया जल्द ही शुरू की जायेगी उन्होंने कहा था कि आने वाले दिनों में यदि किसी को आवश्यकता पड़ेगी तो वह सर्किट हाउस के पास से ही सी -प्लेन पकड़कर देश के किसी भी कोने में पहुंच जायेगा अगर इसी तरह रामगढ़ ताल मे जलकुंभी बढ़ता रहा तो मुख्यमंत्री का सी प्लेन उतारने का सपना अरबों रुपये खर्च करने के बाद भी धरा का धरा रह जायेगा।जो कि इससे पहले से ही मुख्यमंत्री का प्लानिंग चल रहा था कि जम्मू कश्मीर की तर्ज पर झील में शिकारा के संचालन की भी योजना चल रही है लेकिन अधिकारियों की बेपरवाही से झील की खूबसूरती पर जलकुंभी का दाग लग रहा है।गोरखपुर से ही नहीं अन्य प्रदेशों से आने वाले सैलानियों को जलकुंभी का दर्शन कर वापस लौटना पड़ रहा है।इस सन्दर्भ मे सीएम से एक कदम आगे बढ़ते हुए सासंद रवि किशन शुक्ला ने लदंन आई की तर्ज पर झील के किनारे झुला को लेकर मुख्यमंत्री को प्रस्ताव दे डाला।रामगढ़ झील गोरखपुर विकास प्राधिकरण की सम्पत्ति है, लेकिन जलकुंभी निकालने की जिम्मेदारी जलनिगम की है।जब तक जल निगम के पास जलकुंभी निकलने की जिम्मेदारी थी तब तक मोटी रकम इस मद मे खर्च हुई।अब इसे निकलने मे जो खर्च आयेगा उसका खर्च जीडीए को झेलना पड़ेगा पहले से ही आर्थिक सकंट से जुझ रहे जीडीए ने सीएम के ड्रीम प्रोजेक्ट को लेकर आखे बन्द कर ली है।इस प्रकार बोटिंग चलाने वाले ठेकेदारों ने अधिकारियों से गुहार लगायी थी कि जलकुभीं की सफाई करा दी जाये देखना है कि सफाई कब होती है दुर्घटना के बाद या दुर्घटना के पहले इस संबंध में जीडीए सचिव ने बताया कि जीडीए अपने स्रोतों से मैनुअल लेबरों से जलकुंभी निकलवाने का काम करवा रही है हमारे पास कोई मशीन उपलब्ध नहीं है अब देखना है कि लेबरों के भरोसे कबतक सफाई होगा और सीएम का महत्त्वाकांक्षी योजनाओं में शुमार शिकारा व सी प्लेन रामगढ़ ताल मे उतारने का सपना अधूरा रह जायेगा।