रिपोर्ट अविनाश शाण्डिल्य कोंच
कोंच। पति की दीर्घायु की कामना के लिए पत्नियों द्वारा रखा जाने वाला करवा चौथ का व्रत इस बार पतियों की जेबों पर भारी पड़ रहा है। करवाचौथ पर सुहागिनों का सजना संवरना महंगा हो गया है। सौंदर्य प्रसाधन के दाम 20 फीसदी तक बढ़ गए हैं। इसके अलावा कपड़े, ज्वैलरी आदि के दामों में भी आग लगी है। मंहगाई की मार में कोविड के कारण पहले से ही गड़बड़ाया लोगों के घर का बजट त्यौहारी सीजन में और भी रुलाने वाला साबित हो रहा है।
सुहागिनों के पर्व करवाचौथ पर महंगाई की मार पड़ी है। हालांकि महिलाओं में करवा चौथ को लेकर खासा उत्साह बना है और महंगाई के बावजूद बाजारों में करवा चौथ की खरीदारी के लिए महिलाओं की भीड़ उमड़ रही है। त्यौहारी सीजन में बाजार करवा चौथ के लिए सजे हुए हैं। जहां कोरोना काल के दौरान इस बढ़ती महंगाई ने पहले से ही गृहिणियों के चूल्हे का बजट बिगाड़ कर रखा हुआ है, ऊपर से करवा चौथ पर पत्नियों के लिए उनके मेकअप का सामान खरीदना पहुंच से बाहर होता जा रहा है। करवा चौथ के सामान में सबसे ज्यादा असर कपड़ों, ज्वैलरी, चूड़ियों और मिठाइयों पर भी देखने को मिल रहा है। बीते वर्षो की अपेक्षा इस बार दामों में कमोवेश पंद्रह से बीस फीसद तक की वृद्धि देखी जा रही है। कपड़ा व्यापारी संजीव गर्ग का कहना है कि बाजार में रौनक तो है लेकिन महंगाई की मार है जिसके चलते बिक्री पच्चीस फीसदी तक घटी है। बाजारों में मिल रहे मिट्टी के करवे की कीमत में भी डेढ से दो गुने की वृद्धि हुई है। इस महंगाई के आसमान पर होने से महिलाओं के व्रत का सारा बजट बिगड़ता जा रहा है। महिलाओं ने बताया महंगाई बढ़ी है लेकिन व्रत के लिए सामान खरीदना भी जरूरी है। महंगाई के कारण उन्हें सामान खरीदने पर अतिरिक्त पैसा खर्च करना पड़ रहा है। ऐसी स्थिति में अन्य पर्वों की तरह करवा चौथ भी औपचारिकताओं में सिमटता दिखाई दे रहा है। बता दें कि हिंदू संस्कृति में करवा चौथ सुहागिनों का महत्वपूर्ण त्योहार माना गया है। इस पर्व पर महिलाएं हाथों में मेहंदी रचा और सोलह सिंगार कर अपने पति की पूजा कर व्रत का परायण करती हैं।