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धर्म एक विवेकपूर्ण आचरण : प्रो. सुभाष चन्द्र सैनी

धर्म एक विवेकपूर्ण आचरण : प्रो. सुभाष चन्द्र सैनी

वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक

ऑनलाइन रिफ्रेशर कोर्स का दूसरा दिन सम्पन्न।

कुरुक्षेत्र, 8 मई : धर्म एक विवेकपूर्ण आचरण है जिसे समाज, समय और संदर्भ के अनुसार अनेक दृष्टिकोणों से देखा जाता रहा है। यह विचार डॉ. सुभाष चंद्र सैनी ने कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा के मार्गदर्शन में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के मालवीय मिशन शिक्षण प्रशिक्षण केंद्र (एमएमटीटीसी) और पंजाबी विभाग द्वारा आयोजित दो साप्ताहिक ऑनलाइन रिफ्रेशर कोर्स के दूसरे दिन व्यक्त किए।
उन्होंने भगत सिंह, विवेकानंद, दयानंद और डॉ. अंबेडकर के विचारों के माध्यम से यह स्पष्ट किया कि धर्म कोई स्थिर परिभाषा नहीं, बल्कि व्यवहार में ढलने वाली अवधारणा है। इस सत्र का संचालन राजकीय महिला महाविद्यालय, हिसार की अध्यापिका सुनीता ने किया। द्वितीय सत्र में प्रसिद्ध शिक्षा-शास्त्री प्रो. हरपाल सिंह ने ‘बताया कि किस प्रकार ब्रिटिश शासन के दौरान भारतीय शिक्षा पद्धति को कमजोर कर अंग्रेजी माध्यम को थोप दिया गया। इस सत्र का संचालन डॉ. सतिंदर कौर, अध्यापिका, डीएवी कॉलेज, बठिंडा ने किया। तृतीय सत्र में अंग्रेजी साहित्य और डिजिटल माध्यम की गहन अध्येता डॉ. रविंदर कौर ने बताया कि डिजिटल माध्यमों से अब साहित्य, संस्कृति और धर्म की बहुआयामी व्याख्या और संरक्षण संभव हो सका है। इस सत्र का संचालन डॉ. अनुराधा शर्मा, अध्यापिका, चौधरी बंसीलाल गर्ल्स कॉलेज, भिवानी ने किया। अंतिम सत्र में डॉ. रामचन्द्र ने बताया कि भारतीय संस्कृति आत्मिक और सामाजिक संतुलन के मूल्यों पर आधारित रही है। इस सत्र का संचालन डॉ. वीरेंद्र कुमार, सीएमजी महाविद्यालय, भोडिया खेड़ा ने किया। कार्यक्रम का समन्वयन डॉ. कुलदीप सिंह (समन्वयक) एवं डॉ. लता खेड़ा (सह- समन्वयक) के निर्देशन में विश्वविद्यालय स्तर पर किया जा रहा है।

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