मध्य प्रदेश// रीवा// RTI के तहत 48 घंटे के भीतर निरीक्षण में हुआ खुलासा,
ब्यूरो चीफ// राहुल कुशवाहा रीवा मध्य प्रदेश…8889284934
गंगेव जनपद की बंद मिलीं नलजल योजनायें// सामाजिक कार्यकर्ता शिवानन्द द्विवेदी ने आर टी आई की धारा 2(जे)(1) और धारा 7(1) के तहत 48 घंटे के भीतर निरीक्षण के लिए दायर की थी RTI // SDO PHE एसके श्रीवास्तव की उपस्थिति में हुआ निरीक्षण//*
दिनांक 17 अप्रैल 2021, स्थान रीवा मप्र
सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 7(1) एवं धारा 2(जे)(1) के तहत बंद नलजल योजनाओं के 48 घंटे के भीतर निरीक्षण में एक बार फिर पीएचई और पंचायत विभाग के कार्यों की पोल खोल दी है. सरकार के नलजल योजनाओं और जल जीवन मिशन द्वारा घर-घर पानी पहुंचाने की सच्चाई को फिर एक बार बेनकाब कर दिया है.
इस ऐतिहासिक आर टी आई में हुआ बड़ा खुलासा
सामाजिक कार्यकर्ता शिवानन्द द्विवेदी ने दिनांक 15 अप्रैल को कार्यपालन यंत्री लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग खंड रीवा में आरटीआई दायर कर गंगेव जनपद की ग्राम पंचायतों में नलजल योजनाओं के निरीक्षण के विषय में जानकारी चाही थी. आवेदक के सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 7(1) एवं धारा 2(जे)(1) के तहत निरीक्षण किये जाने की माग पर कार्यपालन यंत्री शरद सिंह द्वारा धारा 6(3) के तहत पत्र का अंतरण करते हुए हुजुर के एसडीओ एसके श्रीवास्तव को जानकारी समयसीमा पर उपलब्ध कराये जाने हेतु निर्देशित किया गया था.
दिनांक 17 अप्रैल को उक्त पत्र के परिपालन में एसडीओ एसके श्रीवास्तव, उपयंत्री गंगेव जितेन्द्र अहिरवार, और नलकूप मैकेनिक अश्वनी पटेल के साथ सामाजिक कार्यकर्ता शिवानन्द द्विवेदी द्वारा मौके पर ग्राम पंचायत हिनौती, बांस, हिरुडीह में नलजल योजनाओं का निरीक्षण किया गया. निरीक्षण के दौरान सभी नलजल योजनायें बंद पायी गयीं.
नलजल योजनाओं में किसी के मोटर गायब तो किसी की केबल
जहाँ मौके पर हिनौती पंचायत में रमाकांत चतुर्वेदी के घर के पास पिछले 2 वर्ष पहले कराये गए बोरवेल में केबल नहीं मिली वहीँ अखिलेश उपाध्याय के घर के पास पुरानी वाली नलजल योजना में मोटर पंप जला बताया गया. ज्ञातव्य है की पिछले वर्षों जब एसडीओ जनार्दन प्रसाद द्विवेदी हुजूर पीएचई के प्रभार में थे तब डीएम्एफ फण्ड के जरिये हिनौती बी में नलजल योजना हेतु लाखों की राशि जारी की गयी थी. इसके उपरांत अगले वर्ष नलजल योजना के लिए पाइप लाइन बिछाई गयी. लेकिन स्वयं एसडीओ श्रीवास्तव द्वारा बताया गया की ठेकेदार द्वारा नलजल योजना प्रारंभ करके नहीं दी गयी जिसके कारण योजना बंद है. सवाल यह था की जब नलजल योजना प्रारंभ नहीं की गयी थी तो इतनी अधिक राशि स्वीकृत करने का क्या औचित्य था. और आखिर इस पर कार्यवाही क्यों नहीं हुई?
50 हजार से अधिक क्षमता की बांस की पानी की टंकी बनी शोपीस
निरीक्षण के दौरान जब बांस की पानी की टंकी के पास पहुँचा गया तो पता चला की जब से टंकी बनी है तब से कभी भी संचालित ही नहीं हुई. गाँव के ही सत्यम द्विवेदी ने बताया की पानी टंकी में लीक होने से पानी संधारण ही नहीं हो रहा. जब मौके पर मोटर पंप के पास गये तो पाया गया की मोटर पंप के आसपास कभी भी साफ-सफाई नहीं की गयी और न ही कभी मोटर पंप चला. वर्षों से मोटर पंप जला था जिसे निकाल कर कहीं फेंक दिया गया था. एसडीओ श्रीवास्तव ने स्थानीय नलकूप मैकेनिक और ठेकेदार से बात करके जानकारी ली तो बताया गया की कई महीने पहले से बंद है. ज्ञातव्य है की बांस की नलजल योजना के नाम पर ठेकेदारों और पंचायत सरपंच सचिव के साथ पीएचई विभाग ने लाखों की चपत लगाई है और संधारण और सञ्चालन के नाम पर लाखों व्यय किये हैं.
हिरुडीह में भीषण जलसंकट, हरिजन आदिवासियों को कोई सुविधा नही
अगले चरण में बांस के ही नजदीक हिरुडीह पंचायत का भी दौरा किया गया तो राजमणि पाण्डेय ने बताया की हिरुडीह पंचायत की नलजल योजना कभी भी संचालित नहीं हुई. वहीँ जरहा ग्राम में संतोष पाण्डेय के घर के पास स्थित मोटर पंप में बताया गया की 2 वर्ष पहले 2 दिन के लिए चलाया गया था इसके बाद कभी भी नहीं चला. ज्ञातव्य हो की 2 वर्ष पूर्व भी तत्कालीन एसडीओ जेपी द्विवेदी के समय एक्टिविस्ट शिवानन्द द्विवेदी द्वारा शिकायत की गयी थी जिसके बाद क्षेत्र की नलजल योजनाओं के निरीक्षण में कमियाँ पाई गयीं थीं और कोई भी नलजल योजना चालू नहीं मिली थी. इसके बाद जब नोटिस जारी हुई तो जरहा ग्राम की नलजल योजना को मात्र स्थानीय स्तर पर ही 2 दिन चलाया गया था जिसके बाद वह बंद हुई तो कभी प्रारंभ नहीं हुई. जबकि देखा जाय तो बिजली बिल और संधारण के नाम पर लाखों का व्यय बताकर सरकार को बराबर चूना लगाया जा रहा है.
कैसे सफल हो पायेगी सरकार की महत्वाकांक्षी योजना – जल जीवन मिशन?
आज सबसे बड़ा सवाल यही है की जिस प्रकार नलजल योजनाओं के बुरे हाल हैं वैसे ही जल जीवन मिशन के भी होने वाले हैं. बात मात्र बांस, हिनौती और हिरुडीह की नहीं हैं बल्कि पूरे जिले या यूँ कहें की प्रदेश की ग्राम पंचायतों के यही हाल हैं. सरकार की सभी महत्वाकांक्षी योजनायें भ्रष्टाचार की बलि चढ़ रही हैं और और पंचायतों की कारगुजारी के चलते ही बंद पड़ी हैं. नोडल एजेंसी के तौर पर जो जिम्मेदारी पीएचई विभाग की है वह भी नहीं पूरी हो रही है. सही मायनों में यह पीएचई विभाग की जिम्मेदारी है की इसकी सही जानकारी शासन स्तर तक पहुंचाकर कार्यवाही करें लेकिन क्या चल रहा है सबको पता है. यदि ऐसे ही चलता रहा तो जल जीवन मिशन का भी यही हाल होगा. जहां कागजों में तो करोड़ों अरबों की योजनायें चलेंगी लेकिन वास्तविक धरातल पर सब शून्य रहेगा.
ठप्प योजनाओं के पीछे ग्राम पंचायतों में भ्रष्टाचार प्रमुख वजह
यदि देखा जाय तो इन योजनायों की असफलता के पीछे भ्रष्टाचार बड़ी वजह है. ग्राम स्तर में आने वाली सभी योजनायें पंचायतों को हैण्ड ओवर कर दी जाती हैं लेकिन पंचायत सरपंच सचिव को मनरेगा और वित्त आयोग के भ्रष्टाचार से फुर्सत कहाँ है की वह लोगों के खाना-पानी के बारे में फिकर करेंगी. यदि इस समस्या के समाधान को देखा जाय तो जब तक इन योजनाओं में आम जनता की सहभागिता नहीं बढ़ेगी तब तक क्रियान्वयन में भ्रष्टाचार बना रहेगा. इस मामले में सबसे अधिक संख्या में उस बस्ती के लोगों की समितियां बनाई जाएँ जो पंचायतों से पूरी तरह से स्वंतंत्र रहें और जिसकी जबाबदेही लोक स्वास्थ्य विभाग की रहे. इसमें जिला स्तर में हेल्पलाइन प्रारंभ की जाय जहां मामला सीधे कलेक्टर और जिला सीईओ के संज्ञान में रहे की कहाँ किस ग्राम में नलजल योजना की क्या स्थिति है. वैसे देखा जाय तो सीएम हेल्पलाइन एक अच्छा आप्शन था लेकिन जिस प्रकार इसमें फर्जी निराकरण देने का प्रचलन प्रारंभ हुआ है इससे सीएम हेल्पलाइन की विश्वसनीयता पूरी तरह से समाप्त हो चुकी है.
संलग्न – कृपया बंद नलजल योजनाओं के निरीक्षण के दौरान तस्वीरें देखने का कष्ट करें.
*शिवानन्द द्विवेदी सामाजिक एवं मानवाधिकार कार्यकर्ता, जिला रीवा