वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
कुरुक्षेत्र, 8 मार्च : सैक्टर-17 स्थित वैदिक धाम में ऋषि बोध उत्सव धूमधाम से मनाया गया। इस अवसर पर महाशय जयपाल आर्य के ब्रह्मत्व में हुए विशेष अग्निहोत्र में गुरुकुल के प्रधान राजकुमार गर्ग ने यजमान की भूमिका अदा की जबकि मार्किट के तमाम दुकानदारों ने यज्ञ में आहूति देकर ऋषि को याद किया। आर्य प्रतिनिधि सभा हरियाणा के प्रधान राधाकृष्ण आर्य के दिशा-निर्देशन में हुए इस कार्यक्रम में भजनोपदेशक जयपाल आर्य, अनिल आर्य, प्रचार प्रमुख विशाल आर्य, जगदीश आर्य, दलबीर धोंचक भी मौजूद रहे।
प्रधान राजकुमार गर्ग ने कहा कि महाशिव रात्रि पर ही बालक मूलशंकर के मन में सच्चे ईश्वर को जानने की जिज्ञासा हुई थी अर्थात् उन्हें सच्चे ईश्वर का बोध हुआ जिस कारण इस दिन को आर्य समाज में बोधोत्सव के रूप में मनाया जाता है। उन्होंने कहा कि मंदिर में शिवजी की मूर्ति पर चढ़े लड्डू आदि मिष्टान्न को जब चूहे खा रहे थे तो मूलशंकर के बाल मन में विचार आया कि जो शिव अपने ऊपर चढ़ाए प्रसाद की रक्षा नहीं कर सकते, वे सच्चे शिव नहीं हो सकते, इस संसार को चलाने वाला तो कोई और है। तब उन्होंने सच्चे शिव को जानने के लिए कई वर्षों तक विभिन्न स्थानों का भ्रमण किया और अनेक संत-महात्माओं से मिले, इसी दौरान वे प्रज्ञाचक्षु गुरु विरजानन्द जी के सम्पर्क में आए और मूलशंकर से वेदों के विद्वान ऋषि दयानन्द बन गये। उन्होंने कहा कि महर्षि दयानन्द ने हमेशा समाज में फैली बुराइयों को दूर करने और समाज को एक सूत्र में पिरोने का कार्य किया। नारी को शिक्षा और समाज में समान अधिकार ऋषि दयानन्द की देन है। शांतिपाठ के साथ कार्यक्रम सम्पन्न हुआ।