अपना दर्द जीतकर दूसरों के हमदर्द बने रोहित, डॉट्स प्रोवाइडर बन जरूरतमंदों की कर रहे मदद

अपना दर्द जीतकर दूसरों के हमदर्द बने रोहित, डॉट्स प्रोवाइडर बन जरूरतमंदों की कर रहे मदद

संघर्ष और चुनौतियां कई बार इंसान को इतना मजबूत बना देती हैं कि उनके जीवन का मकसद ही बदल जाता है। आमतौर पर देखा जाता है कि टीबी का मरीज समाज में बताना नहीं चाहता कि उसे यह बीमारी है। ठीक होने के बाद भी वह इतनी हिम्मत नहीं जुटा पाते कि लोगों को बताएं कि कभी उन्हें टीबी थी और अब वह स्वस्थ हैं। वहीं जिले में एक ऐसे भी टीबी चैंपियन हैं, जिन्होंने न केवल इस बीमारी को हराया बल्कि वह डाट्स प्रोवाइडर बनकर मरीजों को दवा खिलाने के बाद दूसरों को भी इस बीमारी के प्रति जागरूक कर रहे हैं।
यह शख्स हैं सदर ब्लॉक के ग्राम खुरदैया के रहने वाले 30 वर्षीय रोहित कुमार कभी यह खुद टीबी से ग्रसित थे। लेकिन नियमित दवाओं का सेवन कर खुद को टीबी से मुक्त कर लिया। वह चाहते हैं कि टीबी की गिरफ्त में आए दूसरे लोग भी इससे निजात पाएं इसी उद्देश्य के साथ डाट्स प्रोवाइडर बन क्षेत्र में घूमकर लोगों को इस बीमारी के प्रति सचेत कर रहे हैं। अपने इस प्रयास से वह कई लोगों को टीबी से मुक्ति दिला चुके हैं। रोहित कुमार बताते हैं कि वर्ष 2016 में लगातार खांसी आने व सीने में दर्द की शिकायत हुई। खांसी के साथ बलगम आ रहा था। लेकिन मुझे यह नहीं पता था कि यह बीमारी हो जाएगी। जनपद के ही एक निजी अस्पताल में इलाज कराकर वह दवा लेने लगें। कई हफ्तों तक दवा खाने के बाद जब कोई आराम नहीं हुआ तो परिवारजन उन्हें ग्वाल मैदान क्षय रोग विभाग ले गए। वहां जांच के बाद पता चला कि उन्हें टीबी है। इस जानकारी से परिवार का हर सदस्य सन्न रह गया। चिकित्सकों द्वारा टीबी की पुष्टि होने पर मेरी निःशुल्क दवा शुरू कराई गई और ईलाज पूरा होने तक नियमित दवा खाने को कहा गया। छह महीने के ईलाज व नियमित दवा के सेवन के बाद वह पूरी तरह से रोग मुक्त हो गये। वहीं उनकी मुलाकात टीबी व एचआईवी के जिला समन्वयक अखिलेश कुमार से हुई। ईलाज के दौरान उनका अच्छा सहयोग मिला। उनके कहने पर ही वह डाट्स प्रोबाइडर बनें। अब रोहित क्षेत्र में टीबी रोगियों के घर जाते हैं। उन्हें दवा खिलाने के बाद भरोसा दिलाते हैं कि टीबी का समय से इलाज और नियमित दवा के सेवन से बीमारी पूरी तरह ठीक हो जाती है। पिता ओम प्रकाश पाल बताते हैं कि मुझे पता चला कि मेरे बेटे को टी.बी. हैं मैं निराश हो गया। लेकिन बीमारी तो बीमारी हैं किसी को भी हो सकती हैं। किसी ने मुझे बताया कि सरकारी अस्पताल में इसका ईलाज मुफ्त और बढ़िया हैं। मैं तुरन्त बेटे को लेकर ग्वाल मैदान स्थिति क्षय रोग अस्पताल ले गया पूरा ईलाज कराया आज मेरा बेटा पूरी तरह स्वस्थ हैं।
जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ.जे.जे.राम ने बताया कि फ़िलहाल जनपद में 1111 एक्टिव मरीज़ हैं, जिनमे 90 एमडीआर के मरीज़ हैं| इस साल जनवरी से लेकर अभी तक सरकारी स्वास्थ्य केन्द्रों व एसीएफ अभियान के तहत 490 मरीज चिन्हित हुए जबकि निजी चिकित्सालयों में 36 मरीज चिन्हित हुए। उन्होंने बताया जिले में सभी डॉट्स प्रोवाइडर अच्छा कार्य कर रहे हैं, अलग-अलग श्रेणी के टीबी मरीजों को दवा खिलाने के एवज में डॉट्स प्रोवाइडर को शासन की तरफ से प्रोत्साहन राशि मिलती है| छह माह का कोर्स कराने पर एक हज़ार रुपये और एमडीआर टीबी के मरीजों, जिनका इलाज 24 माह चलता है, उन्हें दवा खिलाने पर डॉट्स प्रोवाइडर को पांच हजार रुपये मिलते हैं।

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