वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
कसौली : आदरणीय समर्थगुरु और गोविंद की कृपा से भागवताचार्य श्री हरि जी महाराज को ओशोधारा मैत्री संघ, हिमाचल के संयोजक आचार्य डा. सुरेश मिश्रा ने ओशोधारा संस्थान मुरथल के संस्थापक समर्थगुरु सिद्धार्थ औलिया जी द्वारा रचित ब्रह्मसूत्र एवं ईशावास्य उपनिषद भेंट की गईं ।
आचार्य डा. सुरेश मिश्रा ने अपने समर्थगुरु सिद्धार्थ औलिया जी द्वारा ओशोधारा नानक धाम, मुरथल में आयोजित ध्यान योग और प्रज्ञा कार्यक्रम के बारे में जानकारी दी। सनातन धर्म हमें जोड़ना सिखाता है ।
भगवान शिव सनातन धर्म के मुख्य प्रवर्तक है। भगवान राम ,भगवान श्री कृष्ण, भगवान बुद्ध , परम गुरु ओशो और सभी संतो ने सन्तान धर्म को आगे बढ़ाया है। ओशोधारा के भागीरथ समर्थगुरु सिद्धार्थ औलिया जी उसी सनातन धर्म को आगे कर्म योग,ज्ञान योग,भक्ति योग के विभिन्न 72 कार्यक्रम द्वारा योग , समाधि और प्रज्ञा कार्यक्रम द्वारा बढ़ा रहे है।
श्री सनातन धर्म मन्दिर, कसौली में आयोजित श्री राम कथा में श्री हरि जी महाराज ने बताया कि इस कलिकाल में मनुष्यों का कल्याण करने के लिए ही भगवान ने शुकदेव रूप धारण करके परिक्षित को भागवत जी का रसपान करवाया, अतः भागवत रूपी कल्प वृक्ष के नीचे बैठ कर सभी अपना कल्याण करें। भगवान शिव की कथा सुनने के बाद ही श्री राम कथा सुनने में प्रवेश होता है। श्री राम कथा सुनने के बाद ही भगवान श्री कृष्ण की भागवत कथा सुनने में प्रवेश होता है। भगवान श्री राम मर्यादा पुरूषोतम हैं। सभी के लिए उनका चरित्र अनुकरणीय है। भगवान राम का नाम और भगवान की भक्ति ही संसार सागर से पार करती हैं।
इस शुभ अवसर पर श्री सनातन धर्म के पुजारी पण्डित देवेन्द्र नौटियाल और स्त्री सत्संग सभा के साथ कसौली के सभी श्रद्धालु भक्त गण उपस्थित रहें।
भगवान की आरती के पश्चात सभी भक्तों ने भंडारे का प्रसाद लिया।