सम्पूर्ण विश्व में सनातन धर्म ही सर्वश्रेष्ठ है : समर्थगुरू सिद्धार्थ औलिया।
हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
संवाददाता – गीतिका बंसल।
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मुरथल : ओशोधारा नानक धाम मुरथल में आयोजित ओशोधारा संसद के समापन कार्यक्रम में समर्थगुरु सिद्धार्थ औलिया ने सनातन धर्म के प्रचार और प्रसार के लिए आचार्य डा. सुरेश मिश्रा को ओशोधारा हिमाचल का संयोजक का कार्यभार दिया है। प्रोफेसर आचार्य दर्शन को केन्द्रीय संयोजक की जिम्मेदारी दी है।
जम्मू काश्मीर के लिए आचार्य शिवम् , हरियाणा के लिए आचार्य सुभाष , पंजाब के लिए आचार्य कुंज बिहारी, दिल्ली के लिए आचार्य सूरज , प्रमोशन कोऑर्डिनेटर के लिए आचार्य अमरेश झा, मध्यप्रदेश के लिए सीमा तिवारी , छत्तीसगढ़ के लिए आचार्य संतोष, बिहार के लिए आचार्य प्रभात और मीडिया के प्रसार हेतु संदीप नैन को कार्यभार दिया है ।
समर्थगुरू जी का 81वा जन्मदिन देश विदेश से आए साधकों ने धूमधाम से मनाया। यमुना नदी के तट पर साधकों ने यमुना महोत्सव मनाया गया। समर्थगुरू सिद्धार्थ औलिया जी ने बताया कि सम्पूर्ण विश्व में सनातन धर्म ही सर्वश्रेष्ठ है । सनातन धर्म में
ध्यान और ओंकार का बहुत महत्व है। ओंकार से दूर होते जाना नर्क है और ओंकार के पास आना स्वर्ग है।
ओंकार से जुड़ना ध्यान है और ओंकार के साथ एक होना ही समाधि है। बिनु सत्संग विवेक ना होई , राम कृपा बिना सुलभ न सोई। ध्यान से प्रज्ञा बढ़ती है और प्रज्ञा से ध्यान बढ़ता है। सनातन धर्म के प्रवर्तक भगवान शिव है। भगवान राम , भगवान बुद्ध, और भगवान कृष्ण है। ओशो ने सनातन धर्म के वैज्ञानिक दृष्टिकोण को सम्पूर्ण विश्व में बताया। ओशोधारा ध्यान ,योग और प्रज्ञा कार्यक्रम को विज्ञान पर आधारित दैवी सत्ता और सनातन धर्म को ले कर चल रही है। सन्त कबीर, गुरुनानक , संत तुलसीदास, संत मीरा और संत तुकाराम आदि सभी कहते है कि सनातन धर्म में वैज्ञानिकता समाहित है मानो मत जानो।
अनुभवी जीवित सद्गुरु के सानिध्य में ही आत्मा और परमात्मा के विभिन्न आयाम जैसे नाद, नूर, अमृत,शब्द,ऊर्जा ,दिव्य, आत्मज्ञान, आनंद, प्रेम,अद्वैत, कैवल्य, निर्वाण , सहज,चैतन्य, अभय , परमपद और सच्चिदानंद आदि के अनुभव हो सकते है अन्यथा प्राणी बिना सद्गुरु के आध्यात्म पथ में भटक ही जाता है।