संस्कृति बोधमाला पुस्तकें समाज में अवश्य जानी चाहिएं : गोविंद चंद्र मोहंत

वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।

देशभर में संस्कृति बोध अभियान चलाने हेतु दिए टिप्स।
भारतीय ज्ञानपरम्परा आधारित संस्कृति बोधमाला पुस्तकों का हुआ विमोचन।
संस्थान के पोर्टल ‘‘विद्याभारतीबुक्स डॉट कॉम’’ का लोकार्पण
तीन दिवसीय संस्कृति बोध परियोजना अखिल भारतीय कार्यशाला का समापन।

कुरुक्षेत्र, 27 जून : हमें समाज में अपनी संस्कृति को प्रभावी बनाना है। हमारे बच्चे एवं आगामी पीढ़ी इस विचार को स्वीकार करेगी तो निश्चित ही हमारे चिंतन को सफलता मिलेगी। भारतीय संस्कृति युक्त परीक्षा को हम अधिक से अधिक स्थान तक पहुंचाएंगे। ये विचार विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान के संगठन मंत्री गोविंद चंद्र मोहंत ने तीन दिवसीय अखिल भारतीय कार्यशाला में व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि जब हमें दायित्व मिलता है तो हम योजना बनाकर लक्ष्य हासिल करने के लिए आगे बढ़ते हैं। विद्या भारती का अभिन्न अंग संस्कृति बोध परियोजना है। भारतीय शिक्षा व्यवस्था को पुनर्स्थापित करने के लिए सरस्वती शिशु मंदिर योजना के माध्यम से जो अभियान हमने शुरू किया गया था, उसमें राष्ट्रीय शिक्षा नीति के माध्यम से यह परिवर्तन आया है जिसका आधार है भारतीयता और भारतीय ज्ञान परम्परा। इसी के अंतर्गत विद्या भारती संस्कृति शिक्षा संस्थान द्वारा कक्षा 3 से 12 तक पुस्तकों का निर्माण किया गया है। भारतीय ज्ञान परम्परा को समझने के लिए बोधमाला पुस्तकें समाज में अवश्य जानी चाहिएं। उन्होंने प्रतिभागियों को संस्कृति बोध अभियान को समाजव्यापी बनाने के लिए महत्वपूर्ण टिप्स दिए। इस अवसर पर उनके साथ संस्थान के अध्यक्ष डॉ. ललित बिहारी गोस्वामी, सचिव वासुदेव प्रजापति, निदेशक डॉ. रामेन्द्र सिंह, सं.बो. परियोजना के विषय संयोजक दुर्ग सिंह राजपुरोहित रहे।
कार्यशाला के समापन पर भारतीय संस्कृति को नवीन क्लेवर में प्रस्तुत कर रही ‘‘भारतीय ज्ञानपरम्परा आधारित संस्कृति बोधमाला’’ पुस्तकों का विमोचन किया गया। संस्थान के निदेशक डॉ. रामेन्द्र सिंह ने बताया कि ये पुस्तकें जहां कक्षा 3 से 12 तक के विद्यार्थियों के लिए संस्कृति ज्ञान परीक्षा में उपयोगी होंगी, वहीं आम जनमानस हेतु भी इनका विशेष महत्व रहेगा। साथ ही संस्थान के पोर्टल ‘‘विद्याभारतीबुक्स डॉट कॉम’’ का लोकार्पण भी मंचासीन एवं प्रतिभागियों द्वारा हुआ। संस्थान का सद्साहित्य एवं चित्रमाला इस पोर्टल पर उपलब्ध है जो कि कहीं से भी आसानी से प्राप्त किया जा सकता है।
प्रतिभागियों का मार्गदर्शन करते हुए संस्थान के अध्यक्ष डॉ. ललित बिहारी गोस्वामी ने कहा कि विद्या भारती का अपना विचार है और इसे व्यवहार में लाने की कार्य पद्धति है। संस्कृति बोध अभियान में लक्ष्य निर्धारण पर कहा कि जब हम अभियान लेते हैं तो उसमें आक्रात्मकता छिपी होती है। थोड़े समय में ज्यादा काम करना होता है। इसे जब योजना बनाकर करते हैं तो निश्चित रूप से सफलता मिलती है। आज हम अनेक आन्दोलन देखते हैं लेकिन वैचारिक आन्दोलन खड़ा करना विद्या भारती का काम है। उन्होंने कहा कि दृढ़ विचार वही होता है जो अचल होता है सचल नहीं होता। ऐसा दृढ़ विश्वास किस स्वाध्याय के आधार पर इसमें आ गया है, उसी में विस्तार देने के लिए उत्साह की भावना मन में आती है। वह उत्साह से भरा होता है और बाहर आकर अपने काम में लगता है, अपने विचार के प्रसार में लगता है। यह संस्कृति बोध अभियान अपने विचार के प्रसार के लिए है। हमारे पास श्रेष्ठ और समग्र विचार है। सं.बो.परियोजना के विषय संयोजक दुर्ग सिंह राजपुरोहित ने प्रतिभागियों को कार्यकर्ताओं से नियमित अपडेट लेने को कहा।
विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान के संगठन मंत्री गोविंद चंद्र मोहंत तीन दिवसीय अखिल भारतीय कार्यशाला में संबोधित करते हुए।
तीन दिवसीय अखिल भारतीय कार्यशाला में संस्कृति बोधमाला पुस्तकों का विमोचन।
अखिल भारतीय कार्यशाला में संस्थान के पोर्टल ‘‘विद्याभारतीबुक्स डॉट कॉम’’ का लोकार्पण।

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