सत्य सनातन धर्म है विश्व का सबसे प्राचीन धर्म : जगदगुरु शंकराचार्य नरेन्द्रानंद सरस्वती

हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
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थीम पार्क में 501 कुंडीय लक्षचंडी महायज्ञ का सातवां दिन।

कुरुक्षेत्र, 28 अक्तूबर :-
मां मोक्षदायिनी गंगाधाम ट्रस्ट ऋषिकेश – हरिद्वार द्वारा थीम पार्क में 501 कुंडीय लक्षचंडी महायज्ञ में आदिगुरु शंकराचार्य महासंस्थान सुमेरू मठ काशी के जगदगुरु शंकराचार्य नरेन्द्रानंद सरस्वती महाराज व महानिर्वाणी अखाड़ा अहमदाबाद (गुजरात) से महामंड़लेश्वर विशोकानन्द भारती महाराज ने गऊ सेवा,सत्य सनातन धर्म व अखण्ड हिन्दू राष्ट्र विषय को लेकर विस्तार से चर्चा की।बुधवार सायं सिरसा की सांसद सुनीता दुग्गल ने महाआरती में हिस्सा लिया। जगदगुरु शंकराचार्य नरेन्द्रानंद जी सरस्वती ने अपने क्रांतिकारी संबोधन से श्रद्धालुओं में भारतवर्ष को अखण्ड हिन्दू राष्ट्र बनाने हेतु जोश भरा।उन्होनें कहा कि विश्व का सबसे प्राचीन धर्म सत्य सनातन धर्म है। प्राचीन मिश्र,यूनान,बेबीलोन और रोम के धर्म नष्ट हो गए किन्तु हिन्दू धर्म अनादिकाल से आज भी विद्यमान है इसलिए इसे सनातन धर्म कहते है।हिन्दू धर्म का उद्धभव या निर्माण ही ज्ञान से हुआ है।अतः यह ज्ञान स्वरुप है।वेदों के रूप में इसमें परम ब्रह्म सदैव विद्यमान रहता है।यह विश्व का एकमात्र धर्म है जिसका निर्माण ज्ञान व वर्षों के अध्ययन व साधना से हुआ है। धर्म श्रेय और साधन दोनों है। श्रेय रूप में वह वेद है, ब्रह्म है।साधन रूप में वह धर्म प्राप्ति का मार्ग है। ईश्वर मनुष्य को ज्ञान व भक्ति देकर कृतार्थ करता है। ईश्वर के विविध नाम व रूप हैं किन्तु उन सबका ईश्वरत्व एक है अर्थात सभी हिन्दू जिसको ईश्वर मानते वह गुणः और कर्म में एक ही है। ईश्वर प्राप्त करने के मार्ग अनेक है जैसे – कर्म मार्ग, भक्ति मार्ग, ज्ञान मार्ग और योग मार्ग।ऋग्वेद में कहा गया है कि सद एक है और विद्वान लोग उसको अनेक प्रकार से कहतें हैं।इस प्रकार हिन्दू धर्म में उपासना के मार्ग अनेक हैं किन्तु सबकी मंजिल एक ही है। हिंदू धर्म के प्रमुख गुण है उदारता, सहिष्णुता व परोपकार जिससे हिन्दू धर्म का सदैव सरंक्षण होता रहा है। महानिर्वाणी अखाड़ा अहमदाबाद (गुजरात) से महामंड़लेश्वर विशोकानन्द भारती महाराज ने गऊ सेवा पर व्याख्यान देते हुए कहा कि जहां गाय बैठती है,वहां की भूमि पवित्र होती है।गाय के चरणों की धूली भी पवित्र होती है।भगवत्प्रेम की प्राप्ति होती है,जन्म-मरण से मुक्ति मिलती है,संतोष मिलता है,धन में वृद्धि होती है,पुण्य की प्राप्ति होती है,संतान की प्राप्ति होती है। दु:ख दर्द व ताप-संताप दूर होते हैं,राष्ट्र सच्ची प्रगति करता है,हृदय प्रफुलिलत होता है व मन को शान्ति मिलती है। कार्यक्रम में यज्ञ सम्राट हरिओम महाराज, महामंडलेश्वर डा. प्रेमानंद, और महामंडलेश्वर विकास दास महाराज मोहड़ा धाम ने भी अपने विचार व्यक्त किए। लक्षचंडी महायज्ञ आयोजन समिति के अध्यक्ष कुलदीप शर्मा गोल्डी,अशोक शर्मा,आशुतोष गोस्वामी,राजेश मौदगिल, विजयंत बिंदल,पार्षद भारत भूषण सिंगला,राहुल तंवर व सतपाल द्विवेदी सहित व्यवस्था में जुटे समस्त कार्यकर्ताओं ने सभी संतों का स्वागत किया।वीरवार सुबह सभी संतों ने लक्षचंडी महायज्ञ में आहुतियां दी। कार्यक्रम में विद्या भारती उत्तर क्षेत्र के संगठन मंत्री बालकिशन, खंड कार्यवाह राजीव, दिनेश कुमार जींद, आरएसएस विभाग कार्यवाह डा.प्रीतम, डा. मनीष, परुषोतम सिंह ठाकरान, अनुज, सह जिला संघचालक रणजीत, सोनू मल्होत्रा, दीपक सचदेवा, इकबाल लुखी, डा. संजीव शर्मा, अतुल शास्त्री, इश्वर सिंह,बलबीर सिंह, परीक्षित शर्मा, राहुल पांचाल, लखीराम,कृष्णा, लीलूराम हिसार, सोमप्रकाश कौशिक, ओमप्रकाश लुखी, सतीश शर्मा, सतीश मित्तल,रमण बंसल, ओमप्रकाश जलगांव, रमेश कौशिक, हरीश शर्मा,जनकराज सिरसा, बी.डी.गौड़ चंडीगढ़, सीमा लोहिया व ममता गोयल सिरसा, देवेंद्र शर्मा,हरि प्रकाश शर्मा सोनीपत, हरीश अरोड़ा, कंवरपाल शर्मा, सरजन्त सिंह,अनिल देवगण, भगवत दयाल शर्मा, अनिल राणा सफीदों, सुरेन्द्र शर्मा, मुनीष राव,राज सिंह मलिक,लवकुश पंडित,दीपक शर्मा, कमल शर्मा, कृष्ण दहिया सिसाना, राजीव सैनी, विजेंद्र सिंह,अनिल डागर, ईश्वर शामड़ी, सुशील व आर.डी.शर्मा सहित अन्य श्रद्धालु शामिल रहे।

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