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एकमात्र सदाशिव रुद्र के पूजन से सभी देवताओं की पूजा स्व: हो जाती है : आचार्य लेखवार।
आज के यजमान नगर के प्रसिद्ध चिकित्सक अपना अस्पताल के संचालक सर्जन डॉ. अजय गोयल धर्मपत्नी डॉ. गीता गोयल बच्चों पुत्र सहित रहे।
कुरुक्षेत्र, 27 जुलाई :- जयराम संस्थाओं के परमाध्यक्ष ब्रह्मस्वरुप ब्रह्मचारी की प्रेरणा से ब्रह्मसरोवर के तट पर जयराम विद्यापीठ में स्थित श्री रामेश्वर महादेव मंदिर में विश्व शांति एवं सर्वकल्याण की भावना से विद्वान ब्राह्मणों एवं ब्रह्मचारियों द्वारा निरंतर सावन रुद्राभिषेक किया जा रहा है। मंगलवार को मुख्य यजमान धर्मनगरी के प्रसिद्ध चिकित्सक अपना अस्पताल के संचालक सर्जन डा. अजय गोयल व धर्मपत्नी डा. गीता गोयल व उनके पुत्र को आचार्य प. राजेश प्रसाद लेखवार शास्त्री ने विधिवत मंत्रोच्चारण के साथ रुद्राभिषेक सम्पन्न करवाया। आचार्य लेखवार के अनुसार ब्रह्मस्वरुप ब्रह्मचारी का मानना है कि हमारे द्वारा किए गए पाप ही हमारे दुखों के कारण हैं। रुद्रार्चन और रुद्राभिषेक से हमारी कुंडली से पातक कर्म एवं महापातक भी जलकर भस्म हो जाते हैं और साधक में शिवत्व का उदय होता है तथा भगवान शिव का शुभाशीर्वाद भक्त को प्राप्त होता है। उन्होंने बताया कि श्रद्धा भक्ति से श्रद्धालुओं के सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं। आचार्य लेखवार ने बताया कि एकमात्र सदाशिव रुद्र के पूजन से सभी देवताओं की पूजा स्वत: हो जाती है। उन्होंने बताया कि रूद्रहृदयोपनिषद में भगवान शिव के बारे में कहा गया है कि सर्वदेवात्मको रुद्र: सर्वे देवा: शिवात्मका अर्थात सभी देवताओं की आत्मा में रुद्र उपस्थित हैं और सभी देवता रुद्र की आत्मा हैं। हमारे शास्त्रों में विविध कामनाओं की पूर्ति के लिए रुद्राभिषेक के पूजन के निमित्त अनेक द्रव्यों तथा पूजन सामग्री को बताया गया है। उन्होंने बताया कि साधक रुद्राभिषेक पूजन विभिन्न विधि से तथा विविध मनोरथ को लेकर करते हैं। किसी खास मनोरथ की पूर्ति के लिए तदनुसार पूजन सामग्री तथा विधि से रुद्राभिषेक किया जाता है। रुद्राभिषेक से हमारी कुंडली के महापाप भी जलकर भस्म हो जाते हैं और हममें शिवत्व का उदय होता है। भगवान शिव का शुभ आशीर्वाद प्राप्त होता है। सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं। एकमात्र सदाशिव रुद्र के पूजन से सभी देवताओं की पूजा स्वत: हो जाती है। उन्होंने बताया कि पुराणों में तो इससे संबंधित अनेक कथाओं का विवरण प्राप्त होता है। वेदों और पुराणों में रुद्राभिषेक के बारे में कहा गया है और बताया गया है कि रावण ने अपने दसों सिरों को काटकर उसके रक्त से शिवलिंग का अभिषेक किया था तथा सिरों को हवन की अग्नि को अर्पित कर दिया था जिससे वो त्रिलोकजयी हो गया।
जयराम विद्यापीठ के श्री रामेश्वर महादेव मंदिर में शिवलिंग पर पूजन करते हुए नगर के प्रसिद्ध चिकित्सक अपना अस्पताल के संचालक सर्जन डॉ. गोयल व उनका परिवार।