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सरकार से रोजगार मांगना, अब लोकतंत्र के लिए अच्छी संकेत,,,,, राम नारायण विश्वास
अररिया
स्वतंत्र विचारक सह राजद नेता राम नारायण विश्वास ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर एक सवाल के जवाब में कहा कि अब लोग व मीडिया सरकार से रोजगार मांग रहे हैं, मेरे समझ से या लोकतंत्र के लिए अच्छी संकेत है। राजद नेता श्री विश्वास ने आगे कहा कि
तेजस्वी के सरकार में शामिल होते हीं, बिहार के बेरोजगार, छात्र, नौजवान एवं तमाम जनता की उम्मीदें बढ़ गई । खास कर बेरोजगारों के द्वारा तेजस्वी से दस लाख नौकरी की मांग और मीडिया द्वारा भी मंदिर/मस्जिद आदि मुद्दों से हट कर नौकरी, रोजी-रोटी की बात करना बिहार की आबोहवा बदलने का संकेत दे रही है। मजेदार बात तो ये है कि विपक्ष मतलब भाजपा एवं उसके बेरोजगार कार्यकर्ताओं द्वारा भी तेजस्वी से नौकरी की मांग करना एक सुखद और सुकून भरा माहौल प्रदान कर रहा है। ऐसा लग रहा है बिहार में लोकतंत्र पुनर्जीवित हो गया, लोग सरकार से अपनी मूलभूत जरुरतों, समस्याओं और रोजीरोटी की मांग कर रहे हैं। यही तो असली लोकतंत्र है, जिसमें जनता अपनी बात बिना डरे अपनी सरकार से कह सके, उससे अपने हक के लिये संवैधानिक तरीके से लड़ सके, यही लोकतंत्र की मजबुती है। लोकतंत्र की ताकत अन्तिम व्यक्ति को महसुस हो, इसके लिए तेजस्वी ने बहुत पहले हीं संविधान बचाओ यात्रा निकाल कर अपनी मंशा जाहिर कर दिया था। लोकतंत्र और संविधान को बचाये रखना कितना जरुरी है, यह बात देश के हर एक नागरिक को महसुस होना चाहिए। आज लोग तेजस्वी से अपनी मांगे इस तरह से रख रहे हैं, जैसे बहुत दिनो बाद पिंजरे में बंद पंक्षी को खुली आकाश में पंख फैला कर उड़ने का अवसर मिला हो। वर्ना भाजपा सरकार में तो उसके बेरोजगार कार्यकर्ताओं द्वारा भी अपनी रोजीरोटी की बात करने की हिम्मत नही थी, परन्तु आज वे भी खुल कर तेजस्वी से नौकरी की मांग कर रहे हैं, वे भी अपनी मूलभूत जरुरतों को जानते हैं , आखिर कब तक वे अपनी रोजीरोटी से समझौता कर पार्टी का झंडा ढोते रहते, उन्हें अपना भविष्य अंधकारमय दिखने लगा था और ऐसे समय में तेजस्वी के सरकार में आते हीं उन्हें ऊम्मीद की किरण नजर आने लगी। बेरोगारों द्वारा प्रदर्शन के दौरान जिस अधिकारी ने लाठीजार्ज किया, तेजस्वी के संज्ञान में मामला आते हीं उस अधिकारी पर कार्रवाई होने लगी, ये प्रकरण आदरणीय लालू जी की याद ताजा कर दिया। तेजस्वी ने ऐसा कर जनता को संदेश दिया कि ये जनता की सरकार है ,अब यहां अफसरशाही नही चलेगी। भाजपा की सरकार में लोग चुप्पी लगाये बैठे थे, ऐसा लग रहा था डरे सहमे थे, अपने अधिकारों की बात करने से डरते थे, मुझे तो अब समझ में आया लोग निराश होकर नमाज /आजान और पुजा/प्रार्थना/हनुमान चालीसा पढ़ कर उपर वाले से फरियाद/प्रार्थना कर रहे थे कि कब इस सरकार से मुक्ति मिले, आखिरकार उपरवाले ने सबकी सुन ली और बिहार की जनता को मनुवादी से मुक्ति मिल गई। आज वे ऐसा महसूस कर रहे हैं जैसे वर्षों बाद खुली हवा में सांस ले रहे हैं। वर्ना जंगलराज का विलाप करने वालों ने तो इतना ग्लोबल वार्मिंग फैलाया कि लोगों का दम घुट रहा था।
जनता द्वारा तेजस्वी से मुखर होकर अपनी बात कहना क्या लोकतंत्र की सच्ची जीत नही है?