रिर्पोट पदमाकर पाठक
अंतर्राष्ट्रीय नशा निषेध दिवस पर गोष्ठी का आयोजन।
मादक पदार्थों का सेवन,परिवार की आर्थिक स्थिति को करता है प्रभावित।
अगर आप मादक पदार्थों का सेवन नहीं करेंगे तो आपका पारिवारिक जीवन सुखी और स्वस्थ रहेगा।मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आईएन तिवारी को सोमवार को मंडलीय जिला चिकित्सालय सभागार में आयोजित गोष्ठी को संबोधित किया और बताया कि नशीले पदार्थों के निवारण के लिए संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 7 दिसम्बर 1987 को प्रस्ताव पारित कर यह निर्णय लिया कि प्रत्येक वर्ष अंतर्राष्ट्रीय नशा निषेध दिवस 26 जून को मनाया जायेगा।इस क्रम में नशीली दवाईयों के दुरुपयोग व सिगरेट, शराब, अफीम, चरस, गांजा, भांग, स्मैक आदि नशे की सेवन से शारीरिक, मानसिक, आर्थिक और सामाजिक नुकसान होता है।नशीली दवाएं देश के युवाओं को अंदर से खोखला कर रही हैं।इसके सेवन से हजारों जिंदगियां बर्बाद हुई हैं।इसलिए न सिर्फ हमें इन दवाओं के उपयोग से बचना है, बल्कि अन्य लोगों को जागरूक भी करना है।जिला मानसिक स्वास्थ्य अधिकारी डॉ संजय कुमार ने कहा कि यह दिवस एक तरह से लोगों में चेतना फैलाना है।साथ ही युवाओं को नशे की लत से दूर करने व नशे के लती लोगों के उपचार की दिशा में महत्वपूर्ण कार्य करता है। तंबाकू, बीडी, सिगरेट, जर्दा, गुटखा और एल्कोहल सेवन से युवाओं में एक गंभीर समस्या के रूप में सामने आई हैं।इन मादक पदार्थों का सेवन केवल एक व्यक्ति को ही नहीं, बल्कि पूरे परिवार की आर्थिक स्थिति पर भी प्रभाव डालता है।डॉ अख्तर ने बताया की नशीली दवाओं के दुरुपयोग से कई बीमारियां जन्म लेती हैं| अत्यधिक शराब, धूम्रपान, गाँजा, भांग और अन्य नशीली दवाओं के उपयोग से मानसिक व शारीरिक विकृति उत्पन्न होती है जैसे – कैंसर, किडनी रोग, रक्तचाप, मधुमेह आदि बीमारियाँ हो सकती हैं।युवाओं में इसका प्रभाव बढ़ता जा रहा है।जिसके कारण चिड़चिड़ापन, गुस्सा, बेचैनी, अवसाद समय से पहले बुढ़ापा, याददास्त कमजोर होना और अनिंद्रा से सम्बंधित समस्यायें भी उत्पन्न हो जाती हैं। नशे की लत को छोड़ने हेतु जनपद के जिला चिकित्सालय में नि:शुल्क उपचार व परामर्श की सुविधा उपलब्ध है|