अररिया संवाददाता
फारबिसगंज(अररिया)बिहार बाल मंच फारबिसगंज के तत्वावधान में स्थानीय प्रो० कॉलोनी में विश्व साक्षरता दिवस पर संगोष्ठी ‘शिक्षा है अनमोल रतन’ विषय पर आयोजित हुई। कार्यक्रम का शुभारंभ बच्चों के द्वारा सरस्वती वंदना एवं सरस्वती चालीसा पाठ के बाद साक्षरता गीत प्रस्तुत किया गया। कहे समय का इक तारा, अक्षर-अक्षर दीप जले, फैले शिक्षा का उजियारा, कहे समय का इक तारा, लिख पढ़- पढ़ लिख बन होशियार, समझ बढ़े तो बढ़े विचार, शिक्षा है अनमोल रतन, पढ़ने का सब करो जतन से हुआ। विनोद कुमार तिवारी एवं दीपक कुमार उपाध्याय ने कहा कि शिक्षा हमारा संवैधानिक रूप से मूल अधिकार है, स्वतंत्रता की तरह शिक्षा भी हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है। अगर कोई व्यक्ति अनपढ़ या मूर्ख रह जाता है तो उसे शिक्षित समाज में जीने में काफी कठिनाई होती है। इसे नफरत की दृष्टि से देखा जाता है। इसलिए कहा गया है कि निरक्षरता समाज कलंक है। इस लिए निरक्षर व्यक्ति को पशु तुल्य समझा जाता है क्योंकि इसे अपने कर्तव्य और अधिकार का ज्ञान अच्छी तरह से नहीं होता है। शिक्षा अनमोल रतन है जो सिर्फ मनुष्य ही प्राप्त कर सकता है । जन जागरूकता के लिए नुक्कड़ नाटकों के माध्यम से यह बताया जाता है कि जो व्यक्ति अनपढ़ या मूर्ख रहता है उसे ही नरक मिलता है और जो शिक्षित होता है उसे मुक्ति का मार्ग मिलता है अतएव पढ़ना-लिखना शिक्षित् होना जरूरी है। आशुतोष, आनंद, अंकित, सोनम, आयुष, राजा, नैतिक, प्रियांशी, उन्नति, आराध्या, श्रेयस, कुशाल, रानी आदि बच्चों ने एक-एक गीत, कविता एवं चुटकुले सुनाए। सभाध्यक्ष प्रो० सुधीर सागर ने कहा कि आज भी देश के उन राज्यों में ‘इच वन- टीच वन’ कार्यक्रम चलना चाहिए जो राज्य पूर्ण साक्षर नहीं हो पाया है। बच्चों ने नारा दिया भारत अपना देश महान् साक्षरता हो इसकी शान, पढ़ना सीखो लिखना सीखो हक की खातिर लड़ना सीखो।