हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
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कुरुक्षेत्र :- आजादी के अमृत महोत्सव के तहत श्रीकृष्णा आयुष विश्वविद्यालय में सिखों के नौवें गुरु तेग बहादुर के शहादत दिवस पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी में उपस्थित अतिथियों द्वारा गुरु तेग बहादुर को नमन करते हुए पुष्प अर्पित किए गए। मुख्य वक्ता कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय कुरुक्षेत्र से पंजाबी भाषा के विभागाध्यक्ष प्रो. कुलदीप सिंह ने कहा की इतिहास में धर्म एवं मानवीय मूल्यों, आदर्शों व सिद्धांतों की रक्षा के लिए प्राणों को न्यौछावर करने वालों में गुरु तेग बहादुर जी का जीवन अद्वितीय है। गुरु तेग बहादुर जी ने मात्र तेरह-चौदह वर्ष की आयु में करतारपुर के युद्ध में मुगलों के छक्के छुड़ा दिये थे, उनकी तेग तलवार के जौहर देखकर पिता गुरु हरगोविंद ने बेटे त्यागमल को तेग बहादुर नाम से संबोधित किया। उन्होंने कहा कि गुरु को हिंद की चादर धर्म की रक्षा के हेतु अपने प्राणों की शहादत के लिए बुलाया जाता है। जब दिल्ली सल्तनत पर औरंगजेब का शासन था, औरंगजेब हिंदू धर्म को मिटाकर इस्लाम धर्म फैलाना चाहता था। इस अत्याचार से हिंदू समाज में बहुत खलबली मची। इस पर गुरु तेग बहादुर ने किसी ओर की बजाय बेटे हरगोविंद के कहने पर स्वयं की कुर्बानी देने की ठानी। ऐसी सत्य-शाश्वत सिख गुरुओं की बलिदानी परंपरा रही है। इस परंपरा से वर्तमान की पीढ़ी को परिचित करना जरूरी है। तभी देश विरोधी षड्यंत्रकारी शक्तियों का मुकाबला कर सकेंगे।
कार्यक्रम में बतौर विशिष्ट अतिथि पहुंचे कुरुक्षेत्र विवि से डॉ. बी.आर. अंबेडकर स्टडी सेंटर के सहायक निदेशक डॉ. प्रीतम सिंह ने कहा कि महापुरुषों को जितना पढ़ोगे उतना कम है। महापुरुषों के जीवन की बहुत सारी ऐसी बातें हैं जो सोचने पर मजबूर करती हैं। महापुरुषों ने बलिदान क्यों दिया क्या आज लोग इस पर विचार करते हैं। गुरु साहब ने धर्म रक्षा के लिए अपना शीश कटा दिया। उस पीड़ा का एहसास देश के हर व्यक्ति को होना ही चाहिए। आजादी से पहले संघर्षों का लंबा कालखंड रहा। जिसमें अनेकों महापुरुषों ने जन्म लिया और मां भारती के लिए अपने प्राणों का बलिदान दिया। हमारी पाठ्य पुस्तकों में हमें अकबर दी ग्रेट पढ़ाया जाता है। एक षड्यंत्र के तहत पाठ्य पुस्तकों से हमारे महापुरुषों को गायब कर दिया गया। इसके कारण आज का युवा मानसिक और बौद्धिक रूप से गुलाम बना हुआ है।
भारत में महापुरुषों का गौरवशाली इतिहास – डॉ. बलदेव कुमार
आयुष विवि के कुलपति डॉ. बलदेव कुमार ने कहा कि आयुर्वेद के अनुसार शारीरिक, मानसिक और सामाजिक तीन प्रकार के स्वास्थ्य है। अगर व्यक्ति मानस ठीक है तो कोई भी देश विरोधी विचार उसे प्रभावित नहीं कर सकता। भारत में महापुरुषों का गौरवशाली इतिहास रहा है। जिसका स्मरण आने वाली पीढ़ी को होना ही चाहिए। श्री गुरु तेग बहादुर के शहादत दिवस पर जिस उद्देश्य से संगोष्ठी का आयोजन किया गया था। वह सारगर्भित और युक्तिसंगत रहा है।
कुलसचिव नरेश भार्गव ने भविष्य में इस प्रकार के कार्यक्रम निरंतर होते रहें इसके लिए आश्वासन दिया। कार्यक्रम के अंत में डीन एकेडमिक अफेयर डॉ. अशीष मेहता द्वारा आए हुए गणमान्य अतिथियों का धन्यवाद प्रकट किया गया। मंच का संचालन मनोज कुमार ने किया। इस अवसर पर आरएसएस के कुरुक्षेत्र जिला के जिला प्रचारक कुलदीप, डॉ.सतीश वत्स, डॉ. सुरेंद्र सहरावत, डॉ. मनीष सैनी, अतुल गोयल, कर्नल एस.एन शर्मा, आलोक नाथ व विश्वविद्यालय का स्टाफ उपस्थित रहे।