अथाह आस्था का केंद्र शेषनाग मन्दिर

अथाह आस्था का केंद्र शेषनाग मन्दिर।

हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक
दूरभाष – 9416191877

प्रस्तुति : डॉ. रूपिका शर्मा।
श्रावण मास पर विशेष ।

कांगड़ा : एक ऐसा मंदिर जो शांति और सुकून की अनुभूति देता है, किन्तु यहां रहस्य और रोमांच जिज्ञासा को उर्वर भी बनाते हैं । बचपन में अक्सर ऐसे कई किस्से कहानियां हम टेलीविज़न स्क्रीन पर देखकर रोमांचित हुआ करते थे, जिन पर विश्वास करना आसान नहीं होता था। विश्वास और अंधविश्वास की इस कशमकश में टेलीविजन पर प्रसारित नाटकों में इच्छाधारी नाग-नागिनों की कहानियां मनोरंजन का अहम हिस्सा हुआ करती थी। इन किस्से-कहानियों को देख कर यह सवाल उठता है कि क्या असल जीवन में भी इच्छाधारी नाग-नागिन होते हैं! हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में रानीताल गाँव में एक ऐसा ही अद्भुत मंदिर है , जिसका इतिहास इस बात की गवाही देता है कि आज भी इच्छाधारी नाग-नागिन की कहानियां काल्पनिक न होकर यकीनी हैं। शहर की भीड़भाड़ और चकाचौंध से दूर पहाड़ों के बीच यह एक ऐसा स्थान… जहां वातावरण आस्था और विश्वास से लबालब है। इस मन्दिर के रहस्य इंगित करते हैं कि श्रद्धा और विश्वास किसी वैज्ञानिक तर्क के मोहताज नहीं होते। जहाँ विज्ञान व तर्क खत्म होते हैं, वहीँ से धार्मिक आस्था का उद्भव होता है। रानीताल के पास चेलियां ग्राम पर बना प्राचीन श्री शेषनाग मंदिर “जमुआला दा नाग” के नाम से प्रसिद्ध है। गांव रानीताल की जनश्रुतियों के अनुसार यहां इच्छाधारी नाग-नागिन का वास है। मंदिर के पुजारी नरेंद्र जजमान ने बताया कि सदियों पहले जमुआल परिवार जम्मू से आकर चेलियां गॉव में बस गया था । लेकिन वो नाग देवता को अपने साथ नहीं लेकर आ सके। कुछ समय बाद जमुआल परिवार के एक बुजुर्ग को सपने में नाग देवता ने अपने साथ चेलियाँ गाँव में ले जाने
का संदेश दिया। जमुआल परिवार अपने कुल देवता श्री शेषनाग को जम्मू से पालकी में बैठाकर पैदल लेकर आये और नाग देवता की पिंडी को विधि-विधान के साथ स्थापित किया गया। इस पवित्र स्थान पर श्रावण मास में नाग देवता के मेलों का आयोजन बड़ी धूम-धाम से किया जाता है। मेले में पूरा दिन लोगों का जमावड़ा बड़े ही उत्साहपूर्वक लगा रहता है। पहाड़ी क्षेत्र में बने इस पवित्र स्थल पर पहुंचे श्रद्धालु मनोरम वातावरण एवं आभोहवा देखकर मंत्रमुग्ध हो जाते हैं और ऊपर से आस्था का भाव और चाव। स्थानीय लोग बताते हैं कि नाग देवता अपनी इच्छा से कभी भी छोटे सांप के रूप में अपने स्थान पर श्रद्धालुओं को दर्शन देते हैं। जब भी नाग देवता दर्शन देते हैं मंदिर के पुजारी लाउड स्पीकर द्वारा उद्घोषणा करवा कर सभी को नाग देवता के दर्शन हेतु सूचित करते हैं। पुजारी नाग देवता को हाथ में रख कर श्रद्धालुओं को दर्शन करवाते हैं।
मंदिर में पंडित द्वारा भक्तों को प्रसाद के साथ सफ़ेद रंग का कच्चा धागा व चरणामृत दिया जाता है। साथ ही मंदिर में नाग देवता के स्थान की मिट्टी (गोलू ) रूपी प्रसाद भी दिया जाता है। मान्यतानुसार इस मिट्टी को पानी में भिगो कर घर पर छिड़काव करने से घर में नकारात्मक प्रभाव कम होता है और घर की शुद्धि होती है। साथ ही किसी साँप के काटने पर इस मिट्टी को लगाने से ज़हर का प्रभाव कम होता है। मंदिर में लोग दूर-दूर से नाग देवता के दर्शन करने के लिए आते हैं। मुख्य रूप से श्रावण मास के हर शनिवार एवं मंगलवार को श्रद्धालु नाग देवता के दर्शन के लिए यहां जुटते हैं। लोगों का मानना है कि श्रद्धा से मांगी गई हर मन्नत नाग देवता द्वारा निश्चित रूप से पूरी की जाती है।
पौराणिक कथानुसार एक महिला ने इस मंदिर में अपनी गोद भरने की मन्नत मांगते हुए कहा था कि अगर मेरी गोद भर गई तो मैं नाग देवता की आँखों में सुरमा डालूंगी। नाग देवता की असीम कृपा से महिला के घर पुत्र ने जन्म लिया। महिला अपनी मन्नत पूरी होने पर नाग देवता के मंदिर मन्नत चढ़ाने आई और पुजारी से कहा कि मैंने नाग देवता जी के आँखों में काजल डालने की मन्नत मांगी है, जो कि पूरी हुई है, इसलिए आप नाग देवता से प्रार्थना करें कि वो काजल डलवाने के लिए दर्शन दें। पुजारी ने उस महिला को बहुत समझाया कि वो काजल की डिब्बी व सिलाई मूर्ति के समक्ष भेंट कर दे, नाग देव आपकी मन्नत स्वीकार कर लेंगे। महिला को बार- बार समझाने पर भी जब वो न मानी कि मैं स्वयं अपने हाथों से ही नाग देव की आँखों में सुरमा डालूंगी तब श्री नाग देवता मंदिर के थड़े पर विराजमान हो गए और धीरे-धीरे उनका स्वरूप विराट हो गया, जिसे देख कर महिला भयभीत होकर कांपने लग गई। पुजारी के बार-बार आदेश करने पर महिला ने हिम्मत जुटा कर कांपते हाथों से नाग देव की आँखों में काजल डाला। काजल डलवा कर नाग देव वापिस चले गए और पुजारी जी को चौंकी आ गई, जिसमे नाग देवता ने क्रोधित हो कर यह कहा कि भविष्य में कोई भी श्रद्धालु इस प्रकार की मन्नत न मांगे अन्यथा मन्नत सम्पूर्ण नहीं होगी। आस्था से परिपूरित यह कहानियां आज भी लोगों की जुबान पर सुनी जाती हैं । सदियों पुराना यह मंदिर असंख्य लोगों की आस्था को प्रतिपुष्ट करता है ।

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